आदि गुरू शिव की अराधना का मास है सावन: डा. अरूण
गुरुवार को गायत्री शक्तिपीठ में श्रावणी पर्व मनाया गया। पर्व के संबंध में डा. अरूण कुमार जायसवाल ने कहा-श्रावणी पर्व द्विजत्व का पर्व है । हेमाद्रि संकल्प का पर्व है। कहा कि गायत्री मंत्र वैदिक मंत्र है।

संस, सहरसा। गुरुवार को गायत्री शक्तिपीठ में श्रावणी पर्व मनाया गया। पर्व के संबंध में डा. अरूण कुमार जायसवाल ने कहा-श्रावणी पर्व द्विजत्व का पर्व है । हेमाद्रि संकल्प का पर्व है। कहा कि गायत्री मंत्र वैदिक मंत्र है। वेदों का सार है। वैदिक चेतना का प्रसार ब्रह्माजी से हुआ। ब्रह्माजी से वेदों की उत्पति मानी जाती है। भगवान विष्णु ने उस वेदों का रक्षण किया, इसलिए प्रतीक भाषा में कहा जा सकता है कि गायत्री माता ब्रह्माजी की पुत्री है। गायत्री वेद माता है, यानी वेदों का सार है। कहा कि परमपूज्य गुरुदेव अखंड ज्योति में अपने अंग अवयवों
से कहा करते थे कि हमारे बच्चे प्रज्ञा पुत्र-प्रज्ञा पुत्री हैं। गायत्री परिजन को वे सदा अपना अंग अवयव मानते थे।
उन्होंने कहा गायत्री चेतना और धरती के बीच में एक गहरा अंधकार की परत है जो धरती पर उसकी चेतना को आने से रोकती है। उन्होंने उस अंधकार को हटाया और गायत्री को जन जन तक पहुंचाया और सब के लिए सुलभ किया। बताया कि श्रावण मास शिव की आराधना का मास है। शिव को आदि गुरु माना जाता हैं। शिव से पहले कोई गुरु नहीं था। श्रावण मास श्रवण का मास है। गुरु ने कहा शिष्य ने सुना। इसलिए यह ज्ञान का भी पर्व है। श्रावणीपर्व का देवपूजन शक्तिपीठ की देवकन्या मनीषा,ऋतिका ने करवाई। और पूजन के मुख्य यजमान शांतिकुंज प्रतिनिधि टोली नायिका श्यामा राठौर, सविता जी, तथा गुंजन जी थी।संध्याकालीन नारी प्रशिक्षण शिविर का समापन दीप महायज्ञ से हुआ। इस अवसर पर शांतिकुंज टोली नायिका श्यामा राठौर ने नारी सशक्तिकरण के संबंध में कहा कि परमपूज्य गुरुदेव चाहते थे अच्छे व्यक्तिवान व्यक्ति समाज में आगे आए इसके लिए नारी प्रशिक्षण बहुत जरूरी है। नर रत्न के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। उनके दोष दुर्गुण को हटाकर एक अच्छा इंसान बनाते हैं।
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