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    सहरसा की 8% से अधिक गर्भवतियों में बीपी, शुगर और एनीमिया; चेक करें पूरे बिहार का हाल

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 02:49 PM (IST)

    सहरसा में 8% से अधिक गर्भवती महिलाओं में बीपी, शुगर और एनीमिया की समस्याएं पाई गई हैं। यह आँकड़ा बिहार में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति को द ...और पढ़ें

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    सहरसा की 8% से अधिक गर्भवतियों में बीपी, शुगर और एनीमिया

    संवाद सूत्र, नवहट्टा (सहरसा)। रक्तचाप, मधुमेह और एनीमिया की समय से जांच नहीं कराने से गर्भवती महिलाएं हाई रिस्क में जा रही हैं। सहरसा समेत राज्य के 17 जिलों की आठ प्रतिशत से अधिक गर्भवती बीपी, शुगर और एनीमिया से जूझ रही हैं।

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    राज्य स्वास्थ्य समिति को नवंबर की रिपोर्ट के अनुसार पूर्णिया, पटना, शेखपुरा, जहानाबाद, गयाजी जिलों की 10 प्रतिशत से अधिक गर्भवती प्रभावित हैं। इससे बचने के लिए सभी अस्पतालों में प्रसव पूर्व जांच पर जोर दिया जा रहा है। सुरक्षित प्रसव के लिए महीने में तीन बार बिना शुल्क जांच की सुविधा मिल रही है।

    अब नौ, 15 और 21 को होगी जांच

    पहले गर्भवती महिलाओं को प्रत्येक माह की नौ और 21 तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान के तहत जांच की सुविधा दी जाती थी। अब राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर तीसरी तिथि 15 तारीख भी जोड़ी गई है। ऐसी महिलाओं को चिह्नित कर आशा जांच व इलाज के लिए अस्पताल ला रही हैं। आशा के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है।

    चिकित्सक संदीप भारद्वाज ने बताया कि प्रसव पूर्व जांच गर्भवती और उनके शिशु के लिए अत्यंत आवश्यक है। जांच से समय रहते जटिलताओं का पता चल जाता है। इससे उपचार में आसानी होती है।

    इस तरह की होगी मुफ्त जांच

    तीन बार जांच की व्यवस्था मातृ और शिशु मृत्यु दर की कम करने में कारगर होगी। सुरक्षित अभियान के तहत के रक्त, मूत्र, एचआइवी, ब्लड ग्रुप. बीपी और हार्ट बीट जैसी महत्वपूर्ण जांच की जाती है ताकि उन्हें सही समय पर इलाज व परामर्श मिल सके।

    हेल्थ कांउसेलर शिवानी राय ने बताया कि पौष्टिक आवर की कमी के कारण गर्भावस्था में इस तरह के जोखिम होते हैं। गर्भवती को अपने स्वास्थय के प्रति अधिक सावधान रहना चाहिए।

    सुपौल और मधेपुरा में छह प्रतिशत से कम है प्रभावित

    कोसी प्रंमडल के सहरसा में जहां आठ प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाएं प्रभावित हैं। वहीं, मधेपुरा जिले में महज 5.1 प्रतिशत एवं सुपौल जिले में 5.8 प्रतिशत बीपी, शुगर व एनिमिया से प्रभावित हैं।

    इसके अलावा रोहतास में 4.7 प्रतिशत, शिवहर में 5.0, सीतामढ़ी में 5.3, किशनगंज में 5.4, खगड़िया में 5.5, नवादा में 5.9. समस्तीपुर में 5.9. मुजफ्फरपुर में 6.3, अररिया में 7.0, बक्सर में 7.2, सिवान में 7.2, बेगूसराय में 7.5, नालंदा में 7.6, लखीसराय में 7.8, पूर्वी चंपारण में 7.8, दरभंगा में 7.9, बांका में 7.9, औरंगाबाद में 8.0, वैशाली में 8.0, सारण में 8.1, मुंगेर में 8.3. कटिहार में 8.3. गौपालगंज में 8.4, सहरसा में 8.7, मधुबनी में 8.8, कैमूर में 8.9, पश्चिम चंपारण में 9.2, अरवल में 9.3, भागलपुर में 9.8, जमुई में 9.9, पटना में 102, भोजपुर में 10.3, शेखपुरा में 10.7, जहानाबाद में 10.7, गयाजी में 12 .4 और पूर्णिया में 12.6 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं प्रभावित हैं।