Bihar Politics: जटाशंकर चौधरी ने अपना टिकट देकर रमेश झा को बनाया था विधायक, शिवालक आश्रम पर लगता था अड्डा
सहरसा में स्वतंत्रता सेनानी जटाशंकर चौधरी और रमेश झा की यादें ताजा हैं। आजादी के आंदोलन में उनका योगदान महत्वपूर्ण था। 1952 में जटाशंकर चौधरी ने अपना टिकट रमेश चंद्र झा को दिया जिन्होंने कांग्रेस के चितनारायण शर्मा को हराया। रमेश झा ने हमेशा जटाशंकर चौधरी के विचारों का सम्मान किया। कांग्रेस नेता डॉ. तारानंद सादा ने कहा कि इन विभूतियों से प्रेरणा लेने की जरूरत है।

कुंदन कुमार, सहरसा। आज जब राजनीति क्षेत्र का लगातार अवमूल्यन हो रहा है। सभी दलों में चुनावी टिकट के लिए काफी मारामारी होती है। राजनीतिक कार्यकर्ता इसके लिए अपने दल में ही हर तरह की शक्ति का प्रयोग करते हैं।
ऐसे में सहरसा जिले में प्रखर स्वतंत्रता सेनानी जटाशंकर चौधरी उनके सहयोगी स्वतंत्रता सेनानी रमेश झा की लोगों को काफी याद आती है। आजादी के आंदोलन में दोनों नेताओं की अहम भूमिका रही। दोनों कई बार जेल भी गये।
आजादी के बाद जिले के तत्कालीन धरहरा विधानसभा (वर्तमान सहरसा) क्षेत्र से सोशलिस्ट पार्टी ने 1952 के चुनाव में जटाशंकर चौधरी को चुनावी अखाड़े में उतारने का निर्णय लिया और उन्हें इसके लिए टिकट दिया, परंतु वो अपने सहयोगी रमेश चंद्र झा को चुनाव लड़ाना चाहते थे।
स्वतंत्रता सेनानी जटाशंकर चौधरी।
अपना टिकट रमेश चंद्र झा को देने के लिए उन्होंने पार्टी हाईकमान को भी मनाया और वही प्रतीक चिह्न रमेश झा को देकर चुनाव मैदान में उतारा। इस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी चितनारायण शर्मा को पराजित कर रमेश झा विधानसभा गए। रमेश झा 1957 में भी सोशलिस्ट पार्टी से ही चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस के विश्वेश्वरी देवी से पराजित हो गए।
जीवन पर्यन्त शिवालक आश्रम बना रहा दोनों विभूतियों का केंद्र
1975 के बाद रमेश झा ने कांग्रेस पार्टी से जुड़कर संपूर्ण राजनीतिक यात्रा की, परंतु जिस शिवालक आश्रम में वे शुरूआती दौर से जटाशंकर चौधरी व अन्य साथियों के साथ बैठते थे। विधायक और मंत्री बनने के बाद भी वहीं बैठ कर हर मुद्दे पर जटाशंकर चौधरी व साथी कार्यकर्ताओं से मशविरा कर ही कोई निर्णय लेते थे।
कांग्रेस के वरीय नेता डॉ. तारानंद सादा कहते हैं कि आज जब राजनीतिक मूल्यों का लगातार ह्रास हो रहा है। ऐसे समय में इन विभूतियों को स्मरण करने और उनके कृतित्व से प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जटाशंकर चौधरी की जो सोच थी, उसपर रमेश झा न सिर्फ खरा उतरे, बल्कि सहरसा व कोसी क्षेत्र के विकास के लिए जो काम किया, वह हमेशा याद किया जाएगा।
रामसागर पांडेय कहते हैं इन महान विभूतियों के आदर्शों को याद करने के लिए आज भी हर वसंत पंचमी में जटाशंकर चौधरी व रमेश झा की स्मृति में सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है।
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