बिहार का एक ऐसा विधायक जो महज 1 रुपये लेता था सैलरी, कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में था शुमार
सहरसा के सिमरीबख्तियारपुर के विधायक और मंत्री रहे चौधरी सलाउद्दीन की ईमानदारी की चर्चा आज भी होती है। उन्होंने विधायक बनने के बाद वेतन नहीं लेने का फैसला किया था। बाद में सरकार के दबाव पर उन्हें वेतन लेना पड़ा जिसे वे जरूरतमंदों पर खर्च कर देते थे। उनके सामाजिक कार्यों और विकास कार्यों की आज भी प्रशंसा होती है। उनके परिवार का राजनीतिक योगदान भी उल्लेखनीय है।

कुंदन कुमार, सहरसा। सहरसा जिले के सिमरीबख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र से लगभग तीन दशक तक प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक, बिहार सरकार के कद्दावर मंत्री रहे चौधरी सलाउद्दीन की ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा की आज भी चर्चा होती है।
वो 1969 के चुनाव को छोड़कर 1957 से 1985 तक अनवरत इस क्षेत्र के विधायक व बिहार सरकार के मंत्री रहे। आज जहां जनप्रतिनिधि हर दिन धन अर्जन के फिराक में रहते हैं। अपने वेतन भत्ता को बढ़ाने की मांग हमेशा उठाते रहते हैं।
वहीं, चौधरी सलाउद्दीन ने विधायक बनने के बाद वेतन नहीं लेने का निर्णय लिया और वेतन के रूप में महज एक रुपया लेकर अपने वेतन पंजी पर हस्ताक्षर करते थे।
बाद में सरकार व अन्य जनप्रतिनिधियों के दबाव पर उन्हें इस नीति को बदलना पड़ा और इच्छा नहीं रहने के बावजूद उन्हें वेतन लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालांकि, बताया जाता है कि जितना उन्हें वेतन मिलता था, उससे अधिक वे समाज के जरूरतमंदों पर खर्च कर देते थे।
उनके सामाजिक जुड़ाव व विकास कार्य की आज भी होती है चर्चा
नवाब परिवार से आने वाले चौधरी सलाउद्दीन ने 1952 में पहला चुनाव स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस के जियालाल मंडल से पराजित हो गए। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया तथा कांग्रेस के टिकट पर 1957 व 1962 में जीत हासिल किया, परंतु 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी रामचंद्र प्रसाद से चुनाव हार गए।
उसके बाद 1972, 1977, 1980 और 1985 के चुनाव तक यानी जीवन पर्यन्त वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतते रहे। उनके सामाजिक सरोकार, विकास व कल्याणकारी कार्यों की आज भी काफी चर्चा है। उनके बाद उनके पुत्र चौधरी महबूब अली कैशर भी विधायक मंत्री व सांसद बने वर्तमान में उनके पौत्र चौधरी युसुफ सलाउद्दीन भी राजद के विधायक हैं।
इन लोगों को भी चौधरी सलाउद्दीन के किए कार्यों व सामाजिक जुड़ाव का अत्यधिक फायदा मिलता रहा है। वरीय कांग्रेस नेता बीरेंद्र कुमार झा अनीश कहते हैं कि आज जब राजनीतिक मूल्यों का लगातार ह्रास हो रहा है। ऐसे में नई पीढ़ी को उन महान नेताओं को भी जानने और उनके प्रेरणा लेने की जरूरत है।
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