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मकर संक्रांति पर मां उग्रतारा को लगाया जाएगा 56 भोग

संसू महिषी (सहरसा) सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने के दिन मनाया जाने वाला पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर मां उग्रतारा को 56 व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 06:00 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 06:00 PM (IST)
मकर संक्रांति पर मां उग्रतारा को लगाया जाएगा 56 भोग

संसू, महिषी (सहरसा): सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने के दिन मनाया जाने वाला पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर मां उग्रतारा को 56 व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। मां के दरबार में यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। मान्यता है कि भगवती को 56 भोग लगाने से क्षेत्र में सुख-समृद्धि आती है।

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मंदिर में श्रद्धा अर्पण वाले पुजारी और ग्रामीणों के सहयोग से 56 भोग की तैयारी बड़े पैमाने पर की जाती है। अतिप्राचीन परंपरा पर इस वर्ष कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के की संख्या कम रहने की संभावना है। माता के 56 भोग श्रद्धालुओं के सहयोग से प्राप्त अन्न और सब्जियों से तैयार व्यंजन के अतिरिक्त बाजार से मिठाई और फल खरीदकर के की जाती है।

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माता के 56 भोग में शामिल होने दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु

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गाजर, मूली, गोभी और आंवले से बने स्वादिष्ट पकवान से सजी माता की थाली के बीच माता के अन्नपूर्णा स्वरूप से मंगलकामना की आस लिए पटना, खगड़िया, नवगछिया, मधेपुरा, सुपौल सहित अन्य स्थलों से तंत्र साधक और श्रद्धालु आते हैं। हालांकि इस वर्ष इसपर कोरोना का असर दिखना तय है।

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क्या है मान्यता

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मिथिला में नव्य अन्न की परंपरा नवान के दिन से ही मानी जाती है लेकिन महिषी के लोगों का नव्यअन्न मकर संक्रांति को माता को भोग लगाने के बाद शुरू होता है। इस सबंध में पंडित जवाहर पाठक का कहना है कि धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य पुराण के अनुसार तारा सूर्य की आदि शक्ति है। मकर संक्रांति के बाद सूर्य का ताप बढ़ने लगता है। सूर्य के ताप को नियंत्रित करने की कामना से माता तारा को अन्न का भोग लगाया जाता है। इस संबंध में मंदिर के पुजारी ताराकांत झा, सुंदरकांत झा, प्रेमकांत झा का कहना है कि मां उग्रतारा की तंत्र पूजन विधि से माता का भोग जनकल्याण की कामना के लिए लगाया जाता है।


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