झोपड़ी में तस्वीर लगाकर शुरू की गई थी दुर्गा पूजा
सहरसा। शहर के प्रशांत रोड स्थित दुर्गा मंदिर में वर्ष 1974 से ही पूजा हो रही है। शुरू में तो यहां झोपड़ी थी जिसमें मां दुर्गा की तस्वीर लगाकर पूजा की शुरूआत की गई। लोगों की मानें तो यहां पहले एक टीन का शेड का झोपड़ी का निर्माण किया गया था।
सहरसा। शहर के प्रशांत रोड स्थित दुर्गा मंदिर में वर्ष 1974 से ही पूजा हो रही है। शुरू में तो यहां झोपड़ी थी जिसमें मां दुर्गा की तस्वीर लगाकर पूजा की शुरूआत की गई। लोगों की मानें तो यहां पहले एक टीन का शेड का झोपड़ी का निर्माण किया गया था। उसमें मां दुर्गा की तस्वीर लगाकर नवरात्रा पूजन शुरू हुआ। रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड के मध्य होने के कारण यहां अक्सर यात्री मंदिर परिसर में वाहन का इंतजार करने के लिए रूकते थे। मंदिर परिसर में एक पीपल का पेड़ ही लोगों के लिए सहारा बना हुआ था। धूप हो या बारिश लोग उसी के नीचे अपने आपको बचाते थे। धीरे- धीरे तस्वीर की जगह मिट्टी की प्रतिमा बनने लगी और मेला लगने लगा। इसके बाद हर वर्ष दुर्गा पूजा की भव्यता निखरने लगी। करीब बारह वर्षों के बाद मंदिर में पक्का निर्माण शुरू किया जाने लगा। पक्का मंदिर बनने में करीब सात आठ वर्ष लगे। मंदिर तो बनकर तैयार हो गया। वर्ष 1990 से इसमें मंदिर का स्वरूप बन गया। पक्का मंदिर में ही अब भव्य प्रतिमा का निर्माण किया जाता है। मंदिर परिसर में एक नया मंदिर का भव्य रूप बनकर तैयार है। मंदिर के पंडित वेदानंद झा है।
-----------------
चार दिनों का लगता है मेला
अष्टमी से ही यहां चार दिनों तक मेला लगता है। प्रशांत रोड स्थित दुर्गा मंदिर में मेला की भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गंगजला बस स्टैंड से लेकर प्रशांत सिनेमा मोड़ बंगाली बाजार से ही चार पहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक लग जाती है। पूरा प्रशांत रोड रौशनी से जगमग करता है।
--------------------
नव दुर्गा पूजा कमेटी है गठित
दुर्गा पूजा के सफल संचालन के लिए नव दुर्गा पूजा समिति गठित है। जिसके अध्यक्ष डा. अनुज कुमार, सचिव रूद्रनाथ प्रसाद गुप्ता, कोषाध्यक्ष भगवान देव गुप्ता सहित राजा राजकुमार भगत, अरूण भगत, बालकृष्ण निराला, सिकंदर साह, मनोज गुप्ता, गौरीशंकर भगत सहित अन्य कमेटी में शामिल है।
------------------------------
मुंगेर के मूर्तिकार बनाते है प्रतिमा
शहर के प्रशांत रोड स्थित दुर्गा मंदिर में हर वर्ष मुंगेर के मूर्तिकार सिकंदर दास मां दुर्गा की प्रतिमा बनाते है। आयोजन से जुड़े शशिशेखर झा कहते है कि पहले दुर्गा पूजा हजारों के खर्च में हो जाती थी। समय बीतने के साथ ही अब पूजा का खर्च लाखों में पहुंच गया है। इस मंदिर की खासियत है कि यहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है।