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    नाटक के जरिये सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ चल रहा चंदन का अभियान

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 07 May 2020 05:50 PM (IST)

    सहरसा। शहर के न्यू कॉलोनी निवासी मणीन्द्र कुमार सिन्हा के पुत्र 38 वर्षीय चंदन कुमार भारत ...और पढ़ें

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    नाटक के जरिये सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ चल रहा चंदन का अभियान

    सहरसा। शहर के न्यू कॉलोनी निवासी मणीन्द्र कुमार सिन्हा के पुत्र 38 वर्षीय चंदन कुमार भारती सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने में लगे हुए हैं। चंदन का यह अभियान अब बड़ा रूप ले लिया है।

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    इस बाबत चंदन का कहना है कि करीब एक दशक पहले दहेज के कारण समाज में बराबर महिलाओं पर अत्याचार की खबर पढ़ने को मिलती थी। उसी खबर ने मुझे विचलित कर दिया कि आखिर मानवता कहां जा रही है इसीलिए मैंने नुक्कड़ नाटक के जरिये सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया। इससे यह फायदा हुआ कि लोग नाटक देखने के बहाने उनकी संवेदना जगने लगी और हमारा यह प्रयास सफल होने लगा।

    कुछ ही दिनों में नुक्कड़ नाटक की एक टीम बनने लगी। कई युवा साथी मुझसे जुड़ने लगे। इसके बाद तो हमने इसे एक जन अभियान का रूप दे दिया। पहले हम मुहल्ला व शहर तक ही सिमटे रहे। लेकिन तीन-चार वर्षों में ही सहरसा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर घर- परिवार के बीच टोला- मुहल्ला में जाकर जागरूकता अभियान चलाना शुरू कर दिया। समाज में बढ रहे दहेज प्रथा, डायन, अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को जागरूक ही नहीं किया बल्कि इसका कई जगहों पर प्रतिकार भी किया। चंदन कहते है कि वर्ष 2010 तक सामाजिक कुरीतियां बहुत हॉवी थी। हर दिन दहेज के लिए महिलाओं के जलने की घटना घटती रही। लेकिन इसके बाद घटना में कमी आने लगी।

    कई लड़कियों की कराई शादी

    चंदन कहते है कि दहेज प्रथा के खिलाफ चलाए गए अभियान के दौरान कई लड़कियों की शादी बिना दहेज के कराई गई। दोनों पक्षों ने सहर्षता के साथ रिश्ता स्वीकार कर अब बेहतर जीवन जी रही है।

    वे कहते है कि नुक्कड़ नाटक करने में मुझे आत्मसंतुष्टि मिलती थी। मेरी भूख नाटक से ही मिटती थी। यही नाटक ने कई युवाओं को सही रास्ता दिखाया और उसने बिना दहेज के अपनी शादी की। जबकि पिछले एक दशक में करीब पांच हजार से अधिक परिवारों के बीच जागरूकता अभियान चला चुके है। ग्रामीण इलाकों में तो अंधविश्वास के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम अब भी किया जा रहा हैं।