डॉ पंकज को मिला उत्कृष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार, खस की खेती में किया ये नवाचार
सहरसा के कृषि वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार राय को खस उत्पादन में उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। उन्होंने खस की सात किस्मों का परीक्षण किया जिसमें सिम-समृद्धि किस्म को सहरसा की मिट्टी के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया। डॉ. राय ने बताया कि कोसी नदी के किनारे की बंजर भूमि खस की खेती के लिए बेहतर है।
संवाद सूत्र, सत्तरकटैया (सहरसा)। कृषि विज्ञान केंद्र, अगवानपुर , सहरसा के उद्यान वैज्ञानिक डॉ पंकज कुमार राय को खस उत्पादन में अभिनव कार्यों के लिए उत्कृष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान आईसीएआर अटारी, जोन-04, पटना के 10वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि एवं NAIP के पूर्व राष्ट्रीय निदेशक डॉबंगाली बाबू ने प्रदान किया।
इस अवसर पर डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति डॉ पी. एस. पाण्डेय, IARI हजारीबाग के ओएसडी डॉ विशाल नाथ पाण्डेय, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान संस्थान, मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ विकास दास, आइसीएआर परिसर पूर्वी क्षेत्र, पटना के डॉ अनूप दास तथा अटारी, पटना के निदेशक डॉ अंजनी कुमार समेत कई वैज्ञानिक मौजूद थे।
डॉ राय ने वर्ष 2022 में फार्म इनोवेशन प्रोजेक्ट के तहत खस की सात किस्मों केसरी, गुलाबी, धरणी, केएस-1, खुशनालिका, सिम-समृद्धि एवं सिम-वृद्धि का परीक्षण किसानों के खेतों में कराया था।
परीक्षण में पाया गया कि सिम-समृद्धि किस्म में तेल की मात्रा सर्वाधिक है और यह सहरसा की मिट्टी व जलवायु में उत्कृष्ट उपज देती है। उन्होंने बताया कि कोसी नदी के किनारे बाढ़ प्रभावित बंजर भूमि खस की खेती के लिए उपयुक्त है।
इसकी जड़ों से 12–14 महीने में तेल निकाला जा सकता है। औसतन 18–20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर जड़ और 22–25 किग्रा तेल का उत्पादन मिलता है, जिससे किसानों को 1.50 से 1.80 लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ हो सकता है।
डॉ पंकज राय के इस प्रयास से सहरसा माडल को सराहना मिल रही है और यह किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। उनके इस सफलता पर मंडन भारती कृषि महाविद्यालय अगवानपुर , कृषि अनुसंधान केन्द्र अगवानपुर एवं कृषि विज्ञान केन्द्र अगवानपुर के वैज्ञानिकों तथा छात्र छात्राओं ने बधाई दी है।
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