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    आजादी के बाद सिमरी बख्तियारपुर रचा इतिहास, विधानसभा चुनाव में संजय सिंह ने तोड़ा दो जाति के जीतने का मिथक

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 05:55 AM (IST)

    सिमरी बख्तियारपुर में आजादी के बाद पहली बार संजय सिंह ने विधानसभा चुनाव जीतकर इतिहास रचा है। उन्होंने दो जातियों के जीतने के मिथक को तोड़ा। उनकी जीत क्षेत्र में जातीय समीकरणों को चुनौती देती है और यह दिखाती है कि जनता का समर्थन सबसे महत्वपूर्ण है। 

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    बिहार विधानसभा चुनाव 2025

    संवाद सहयोगी, सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 एनडीए की आंधी में महागठबंधन धराशायी हो गया। वहीं सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा चुनाव का रिजल्ट ने सिमरी बख्तियारपुर के राजनीति में इतिहास दर्ज कर दिया है।

    आजादी के बाद इस विधानसभा में हुए 17 चुनाव में यहां से यादव एवं मुस्लिम समुदाय के प्रत्याशी ही बारी बारी से जीत दर्ज करते रहे। लेकिन 2025 के चुनाव में अल्प मतदाता वाले इस विधानसभा चुनाव में राजपूत समुदाय के संजय कुमार सिंह ने जीत दर्ज कर यादव या मुस्लिम समुदाय से यहां विधायक होगा के मिथक को तोड़ दिया।

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    विश्लेषक मानते हैं कि एक मिथक टूटने से हर समुदाय के लोगों को राजनीति में आगे बढ़ने की उम्मीद जगी है। 2020 के चुनाव में तत्कालीन एनडीए से वीआईपी के मुकेश सहनी से नजदीकी मुकाबले में इस विधानसभा से राजद के यूसुफ सलाहउद्दीन की जीत हुई थी।

    इस बार भी कांटे की टक्कर होने का कयास लगाया गया था। लेकिन इस में महागठबंधन के उम्मीदवार से उनके वोट बैंक में हुए बिखराव को रोकने में चूक भारी पड़ गई।

    दूसरी ओर जनसुराज के प्रत्याशी सुरेन्द्र यादव एवं निर्दलीय विकास राज को मिले 9763 मत राजद का वोट बैंक के बिखराव का ही नतीजा माना जा रहा है। इसको लेकर दैनिक जागरण ने गत दिनों प्रमुखता से खबर भी छापी थी।

    दोनों प्रत्याशी सुरेन्द्र और विकास सलखुआ प्रखंड के रहनेवाले हैं। दोनों यादव समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। दोनों का आधार वोट बैंक यादव ही रहा है। जनसुराज ने 2270 एवं निर्दलीय विकास राज ने 7493 मत प्राप्त किया इन दोनों के मतों को जोड़ दिया जाय तो 9763 मत होते हैं।

    राजद के निवर्तमान विधायक युसूफ सलाउद्दीन की हार 7930 मतों से हुई हैं। कहीं न कहीं इसे राजद का परंपरागत वोट में बिखराव माना जा रहा है।

    हालांकि महागठबंधन के बिहार में धराशायी होने का ठिकरा अब ईवीएम मशीन पर फोड़े जाने की कवायद की शुरुआत हो चुकी हैं। कुछ भी हो सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा के लोगों को यह चुनाव हर समुदाय के लोगों को राजनीति में आगे बढ़ने की ललक पैदा कर गया है।