30 दिन अनुपस्थित रहने पर बच्चा होगा 'छीजित', शिक्षा विभाग ने जारी किया नया दिशा-निर्देश
बिहार शिक्षा विभाग ने स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए नया दिशा-निर्देश जारी किया है। यदि कोई छात्र लगातार 30 दिनों तक अनुपस्थित रहता है, ...और पढ़ें

30 दिन अनुपस्थित रहने पर बच्चा होगा 'छीजित'
संवाद सूत्र , नवहट्टा ( सहरसा )। शिक्षा विभाग ने विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ाने और स्कूल छोड़ चुके बच्चों को वापस लाने के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किया है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई विद्यार्थी लगातार 30 दिनों तक विद्यालय नहीं आता है, तो उसे छीजित यानी विद्यालय छोड़ चुका माना जाएगा।
इस संबंध में स्कूलों को एक विस्तृत कार्य योजना लागू करने का आदेश दिया गया है, ताकि किसी भी बच्चे की पढ़ाई बाधित न हो और सभी छात्रों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। विभाग का प्रमुख नारा हर बच्चा स्कूल जाए, कोई बच्चा छूट न पाए, इस नई व्यवस्था की आधारशिला है।
विद्यार्थियों की अनुपस्थिति की निगरानी
इसके तहत विद्यार्थियों की अनुपस्थिति की निगरानी और उन्हें विद्यालय में वापस लाने की जिम्मेदारी विभिन्न स्तरों पर तय की गई है। कहा गया है कि लगातार तीन दिन अगर कोई बच्चा अनुपस्थित रहता है तो, सबसे पहले सहपाठी छात्र उस बच्चे को स्कूल लाने का प्रयास करेंगे।
मित्रता और संवाद के माध्यम से बच्चे को प्रेरित करने की जिम्मेदारी इस स्तर पर होगी। अगर लगातार सात दिन तक कोई बच्चा स्कूल नहीं आता है तो, वर्ग शिक्षक (क्लास टीचर) बच्चे और उसके परिवार से संपर्क कर कारण जानेंगे और उसे विद्यालय आने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
बच्चे की 14 दिन की अनुपस्थिति पर प्रधानाध्यापक स्वयं पहल करेंगे और बच्चे के अभिभावकों से मिलकर समस्या जानने और उसका समाधान ढूंढने का प्रयास करेंगे। बच्चे के विद्यालय में 21 दिनों तक अनुपस्थित रहने पर विद्यालय प्रबंधन समिति उक्त बच्चे को स्कूल वापस लाने का प्रयास करेगी।
28वें दिन तक होगी आखिरी कोशिश
अगर बात उससे भी नहीं बनती है तो 28 दिन की अनुपस्थिति पर विद्यालय प्रबंधन समिति अंतिम प्रयास करेगी। यदि इसके बावजूद विद्यार्थी विद्यालय नहीं आता है, तो 30वें दिन उसे छीजित घोषित किया जाएगा और उसकी जानकारी प्रखंड एवं जिला शिक्षा कार्यालय को भेजी जाएगी।
लेखापाल तुषार देव ने बताया कि विभाग का मानना है कि कई बार बच्चों की अनुपस्थिति सामाजिक, पारिवारिक या आर्थिक कारणों से होती है, इसलिए अलग-अलग स्तर पर सतत प्रयास से उन्हें फिर से विद्यालय से जोड़ा जा सकता है।

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