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    आत्मा व परमात्मा का संयोग है विहंगम योग : श्रीविज्ञान देव

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    Updated: Sun, 05 Feb 2017 07:37 PM (IST)

    रोहतास। आत्मा और परमात्मा का संयोग है विहंगम योग। वाह्य ज्ञान से आंतरिक अनुभव की यात्रा है

    आत्मा व परमात्मा का संयोग है विहंगम योग : श्रीविज्ञान देव

    रोहतास। आत्मा और परमात्मा का संयोग है विहंगम योग। वाह्य ज्ञान से आंतरिक अनुभव की यात्रा है विहंगम योग। स्वास्थ्य, सुख और शांति का संगम है विहंगम योग। सेवा, सत्संग व साधना की त्रिवेणी है विहंगम योग। विहंगम योग एक चेतन विज्ञान है। जिस प्रकार भौतिक विज्ञान द्वारा भौतिक पदार्थ जाने जाते हैं, उसी प्रकार अध्यात्म के इस चेतन विज्ञान द्वारा चेतन पदार्थों का अनुभव होता है। उक्त बातें विहंगम योग के संत प्रवर श्रीविज्ञान देव जी महाराज ने कटार सोन तट पर चल रहे सदगुरु सदफलदेवजी महाराज के 63वें परम निर्वाण दिवस के पावन अवसर पर त्रिदिवसीय विहंगम योग समारोह व 2100 कुंडीय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ के तीसरे दिन रविवार को भक्तों को संबोधित करते हुए कही।

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    उन्होंने कहा कि विहंगम योग का ध्यान आंतरिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। एक साधक जब एक आसन पर बैठकर अपनी चेतना को गुरु उपदिष्ट भूमि पर केंद्रित करता है, तो वह मानसिक व आत्मिक शांति का अनुभव करता है। मन पर नियंत्रण न होने से ही समाज में तमाम विसंगतियां फैली हैं। मनुष्य ध्यान में मानवीय गुणों से मंडित होकर दिव्यगुण स्वभाव वाला बन जाता है। सदगुरु आचार्य श्रीस्वतंत्र देवजी महाराज ने अपनी अमृतवाणी के दौरान कहा कि हमारा वास्तविक स्वरूप है आत्मा। सांसारिक सुखों की मृगमरीचिका में फंसी आत्माएं परमात्मा से योग द्वारा ही आनंद की प्राप्ति कर सकती है। कहा कि विहंगम योग के प्रणेता श्रीसदगुरु सदाफल देवजी महाराज द्वारा रचित अध्यात्म का महाशास्त्र 'स्वर्वेद' के माध्यम से सदगुरु देव की ज्योति सदैव अध्यात्म के नाम पर फैले आडंबर व अज्ञानता को नष्ट करती रहेगी। सदगुरु देव की पावन पुण्यतिथि सही अर्थों में तभी सफलीभूत होगी, जब हम सब सदगुरु की अमूल्य आध्यात्मिक धरोहर स्वर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने में अपनी शक्ति का पूर्ण उपयोग करेंगे। सदगुरु सदाफल देवजी महाराज एक ऐसे व्यक्तित्व वाले महर्षि हैं, जिन्होंने अभ्यासिद्ध सदगुरु का पद प्राप्त कर ब्रह्म विद्या की ज्ञानधारा को संपूर्ण मानवता के आध्यात्मिक कल्याण के निमित्त प्रदान किया है। विहंगम योग के सिद्धांत व साधना को शुद्ध रूप से प्रकट करने का श्रेय उस महामनीषी हिमालय योगी को है जिस महान सत्ता ने 17 वर्षों तक शून्य शिखर हिमालय की कंदरा में विहंगम योग के साधन रहस्य को प्राप्त कर मानव मात्र के आध्यात्मिक कल्याण के निमित्त विहंगम योग के ज्ञान धारा को प्रवाहित किया। इसके पूर्व प्रात: आसन व प्राणायाम योग साधकों को सिखाया गया।

    दिन में 11 बजे से सदगुरु आचार्य श्रीस्वतंत्र देव जी व श्रीविज्ञान देवजी महाराज के पावन सान्निध्य में दीप प्रज्ज्वलित कर 2100 कुंडीय विश्व शांति वैदिक महायज्ञ का शुभारंभ किया गया। यज्ञ में बैठे हजारों दंपतियों ने अपनी आध्यात्मिक व भौतिक उत्थान के निमित्त यज्ञ कुंड में आहुति दी। इस कार्यक्रम में पंकज ¨सह सेल्स टैक्स कमिश्नर नोएडा, भोलानाथ ¨सह, रमेश ¨सह, मुख्य न्यायाधीश, आरके प्रधान, सिक्किम, सीताराम ¨सह, पटना, अमरेंद्र ¨सह, गया, वरुण ¨सह, एबी मिश्र आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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