कान में खुजलाहट होने पर न डालें माचिस की तिल्ली
रोहतास। कान एक सुरंग के समान है, जो हमारे शरीर का एक मुख्य हिस्सा है। आजकल लाइफ स्ट
रोहतास। कान एक सुरंग के समान है, जो हमारे शरीर का एक मुख्य हिस्सा है। आजकल लाइफ स्टाइल में बदलाव से कान के रोग बढ़ रहे हैं। इसके अलावा गले व नाक की भी बीमारियां बढ़ रही हैं। इन्हीं समस्याओं को ले बुधवार को प्रश्न पहर कार्यक्रम के दौरान दैनिक जागरण के स्थानीय रौजा रोड कार्यालय में सदर अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. आरएल ¨सह ने पाठकों की समस्याओं का समाधान बताया। प्रस्तुत है पाठकों के सवाल व चिकित्सक के जवाब :
सवाल : मेरी आयु 32 वर्ष है। मेरे कान से काफी कम सुनाई देता है। इसका क्या इलाज है?
श्रीराम पांडेय, सासाराम
जवाब : कान से कम सुनाई देने के कई कारण हो सकते हैं। जिनमें से एक है बचपन से कान का बहना। लंबे समय तक कान बहने से पर्दे में छेद होने की संभावना रहती है। इसके अलावा नसों के सूखने के कारण भी कम सुनाई देने की समस्या आती है। यह जांच के बाद ही पता चलता है। इसका इलाज दवा द्वारा संभव है। नसों के सूखने की स्थिति में सुनाई देने वाली मशीन का भी सहारा लिया जाता है। सावधानी से कान की बीमारियों को दूर रखा जा सकता है। कान में खुजलाहट होने पर कभी भी माचिस की तिल्ली या किसी नुकीली वस्तु को कान में न डालें।
सवाल : कान में इंफेक्शन से क्या समस्या आती है। इसके क्या लक्षण हैं?
जवाहर ¨सह, सासाराम
जवाब : कान में इंफेक्शन से कई समस्याएं आ जाती हैं। बाहरी मध्यम और भीतरी कान में इंफेक्शन की वजह से सूजन हो जाती है। यह समस्या तब आती है, जब कान में चोट लगना, एलर्जी होना, घाव होना, बैक्टीरिया व वायरस से उत्पन्न होती है। ये कान के बाहरी भाग व भीतरी भाग को प्रभावित करते हैं।
सवाल : कान से कम सुनाई देने का क्या कारण है? क्या यह स्थाई बधिरता का रूप ले सकता है? क्या यह ठीक हो सकता है।
संजय प्रसाद, सासाराम
जवाब : बच्चों में प्राय: टॉन्सिल और ऐडिनाएड के चलते जुकाम के बार-बार होने से, कान में किसी रोग होने विशेषकर खसरा व स्कारलेट ज्वर से बधिरता उत्पन्न हो जाती है। यह रोग प्रौढ़ावस्था में अधिक होता है। प्राय: टॉन्सिल में सूजन, नाक में अवरोध आदि रोगों के परिणामस्वरूप भी होता है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी पूर्ण बधिरता हो जाती है। किसी विशेषज्ञ द्वारा बच्चों, युवा या प्रौढ़ों में रोग के कारण को दूर कराना आवश्यक है। कान बहने की सफल चिकित्सा से यह बीमारी ठीक हो जाती है।
सवाल : कान में मैल क्यों जमता है? फुटपाथ पर बैठकर कुछ लोग कान का मैल निकालते हैं, उनसे इसकी सफाई कराना क्या ठीक है?
रीमा देवी, कोचस
जवाब : कान के बाहरी भाग के चारों ओर की त्वचा व अंदर ग्रंथियों का स्त्राव जमा होकर सूख जाता है। कुछ व्यक्तियों में स्त्राव बनता ही अधिक है। इसके एकत्र हो जाने से कान में भारीपन, झनझनाहट तथा कुछ बधिरता उत्पन्न हो जाती है। इसे किसी प्रशिक्षित व्यक्ति या चिकित्सक से ही निकलवाना चाहिए, अन्यथा लेने के देने पड़ सकते हैं। क्योंकि मैल निकालने के चक्कर में कभी-कभी कान के पर्दे को भी नुकसान पहुंचने की शिकायतें मिलती रहती हैं।
सवाल : मुझे हमेशा जुकाम की शिकायत रहती है? जिससे नाक से पानी गिरने लगता है। नाक की देखभाल के लिए क्या करना चाहिए।
चंद्रमा प्रसाद, डालमियानगर, डेहरी
जवाब : जुकाम एक साधारण रोग है, जो हर किसी को समय-समय पर होता रहता है। यह एलर्जी या इंफेक्शन के कारण भी हो जाता है। सामान्यत: दो-तीन दिन में यह ठीक हो जाता है। लेकिन ज्यादा होने पर चिकित्सक से इसका इलाज कराना चाहिए। यह दूसरे रोग का सूचक भी हो सकता है।
सवाल : मेरा पुत्र 12 वर्ष का है। गर्मी के दिनों में एक-आध बार उसके नाक से खून निकल जाता है। क्या यह खतरनाक हो सकता है?
मो. सलीम अंसारी, सासाराम
जवाब : कभी-कभी नाक में चोट लगने के कारण खून निकल आता है। नकसीर में भी नाक से खून निकलने की शिकायत मिलती है। इसका कारण है कि नाक के छिद्र में कहीं पर अल्सर की समस्या आ जाती है। इसमें कोई रक्तवाहिका फट जाती है। इसी से रक्त निकलता है। कभी-कभी रक्त की अधिक मात्रा निकलती है। ऐसी स्थिति आने पर चेहरा आगे की ओर करके थोड़ी देर तक नाक दबाए रखने से रक्तस्त्राव रुक जाता है। इसके अलावा रुई के टुकड़े को दवा में ¨भगोकर नाक में भर देना चाहिए। इससे भी लाभ होता है।
सवाल : मुझे सांस लेने में कठिनाई होती है। इसका क्या कारण है।
विकास कुमार, गौरक्षणी, सासाराम
जवाब : श्वास ग्रंथियों के टेढ़े होने अथवा नाक में छोटी-छोटी हड्डियों के बढ़ जाने से ऐसी समस्या आ जाती है। इसके और भी कई कारण हैं। कभी-कभी अवरोध इतना बढ़ जाता है कि श्वास लेने में कठिनाई होती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए शल्य चिकित्सा की जाती है।
सवाल : कभी-कभी कान में कीड़े घुस जाते हैं। क्या उन्हें घर पर ही निकालना सही होगा?
चंदन मिश्र, गौरक्षणी, सासाराम
जवाब : कान में कीड़े घुस जाने पर किसी चिकित्सक की सलाह लें। घर पर उसे निकालने के लिए कान के पास टॉर्च जलाकर उसकी रोशनी अंदर डालनी चाहिए। कीड़ा यदि ¨जदा हो, तो रोशनी देखकर बाहर आ सकता है। दूसरा उपाय यह है कि कान में कोई तरल पदार्थ या पानी डालने से भी जान बचाने के लिए बाहर निकल जाते हैं। ऐसी स्थिति में कान में अंगुली या कोई कड़ा पदार्थ डालने से कीड़े डरकर अंदर भागते हैं, जिससे पर्दा को नुकसान पहुंच सकता है।
सवाल : मुझे अक्सर टॉन्सिल बढ़ने की समस्या होती रहती है। इसका क्या निदान है?
विद्यासागर ¨सह, करगहर
जवाब : टॉन्सिल में प्राय: संक्रमण हो जाता है, जिससे वे सूज जाते हैं। ऐसी समस्या एलर्जी से भी आ सकती है।, जिससे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। कभी-कभी यह सूजन ज्यादा उग्र हो जाती है, फिर दब जाती है। बालकों में टॉन्सिल का बढ़ना आम समस्या है। ऐसी समस्या आने पर चिकित्सक की सलाह लें।
इसके अलावा सासाराम से दिनेश प्रसाद, विजय ¨सह, राजेश्वरी देवी, अश्विनी कुमार, विवेक कुमार, डेहरी से दमयंती देवी, बादशाह, नोखा से ब्रजेश कुमार, शिवसागर से अजय ¨सह, बिक्रमगंज से उपेंद्र कुमार, नासरीगंज से अटल बिहारी ¨सह, करगहर से पवन चौधरी, कोचस से प्रशांत कुमार समेत अन्य ने भी सवाल पूछे।
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