Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mahatma Gandhi: पुश्तैनी घर और गाय बेचकर स्थापित कराई बापू की प्रतिमा, देश सेवा में पूरा जीवन कर दिया समर्पित

    By chandradeo singhEdited By: Aditi Choudhary
    Updated: Mon, 30 Jan 2023 10:31 AM (IST)

    सूबेदार उर्फ सूबी साह प्रखर गांधीवादी थे। 1920 में बिक्रमगंज आए बापू के भाषण से इतने प्रेरित हुए कि स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। इसके लिए आजन्म कुंवारे रहे। लोगों के बीच स्वदेशी अपनाने का प्रचार करते थे और घर-घर जाकर चरखा चलवाते थे।

    Hero Image
    Mahatma Gandhi: पुश्तैनी घर और गाय बेचकर स्थापित कराई बापू की प्रतिमा, देश सेवा में पूरा जीवन कर दिया समर्पित

    सूर्यपुरा/रोहतास, शिवेश कुमार। रोहतास जिले के सूर्यपुरा प्रखंड के सूबेदार उर्फ सूबी साह प्रखर गांधीवादी थे। 1920 में बिक्रमगंज आए बापू के भाषण से इतने प्रेरित हुए कि स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। इसके लिए आजन्म कुंवारे रहे। लोगों के बीच स्वदेशी अपनाने का प्रचार करते थे, घर घर जाकर चरखा चलवाते थे। संपत्ति के नाम पर उनके पास एक खपड़ैल घर के अलावा एक गाय थी। 1968 में उसे भी उन्होंने बेचकर गांव के एक खेल मैदान में गांधी स्मारक बनावा दिया, ताकि आने वाली पीढ़ी राष्ट्रपिता के कृतित्व को याद करे। आज भी लोग उनके द्वारा स्थापित प्रतिमा को नमन करते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गांव के लोग उनसे जुड़ा एक किस्सा याद करते हुए बताते हैं कि आजादी के बाद सूबी साह स्वतंत्रता सेनानी पेंशन पाने के लिए आवेदन जमा करने गए, तो किसी सरकारी कर्मी ने उनसे पैसा मांग दिया। इससे वे इतने खिन्न हुए कि आवेदन फाड़ दिया और पूरे जीवन पेंशन नहीं लिया। 1974 में उनका देहावसान हो गया। जब तक वे जीवित रहे, हर साल अपने खर्च पर स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के मौके पर यहां कार्यक्रम आयोजित करते रहे। सब कुछ त्याग कर स्वाभिमान से जीने वाले सूबी साह की प्रेरणादायी देशभक्ति के आज भी यहां के लोग कायल हैं।

    क्या कहते हैं बुजुर्ग

    85 वर्षीय बारून निवासी चंद्रमा शर्मा ने बताया कि सूबी साह बहुत ही ईमानदार व नेक प्रवृति के व्यक्ति थे। राष्ट्रभक्ति उनके रग-रग में बसा था। वे हमेशा ही दूसरों की मदद करते थे। उन्होंने बताया कि हमें याद है, वे आर्थिक तंगी के बाद भी गांधी स्मारक के समीप झंडोत्तोलन कर लोगों के बीच कभी मिश्री व बादाम तो कभी लचीदाना का प्रसाद बांटा करते थे।

    बारून टाड़ के पूर्व प्रमुख रहे 98 वर्षीय जगनारायण सिंह ने बताया कि एक वह दौर था, जब बग्गी पर सवार होकर अंग्रेजी हुक्मरान इस क्षेत्र से गुजरते थे। लोगों में दहशत मच जाता था। सभी घरों में छुप जाया करते थे, परंतु आजादी के इस दिवाने पर उसका कोई असर नहीं था। बस हम और हमारे गांधी का विचार लिए वे लोगों को प्रेरित करते रहे। उनकी कर्तव्यनिष्ठा व सुविचारों को हम सभी ताउम्र नहीं भूलेंगे।

    बलिहार निवासी 86 वर्षीय कालिकेश्वर प्रसाद कहते हैं कि सूबी साह काफी अच्छे विचार के थे, उनके अंदर त्याग और ईमानदारी कूट-कूटकर भरी थी। हम सब उनके विचारों से काफी प्रभावित हुए हैं। बलिहार के ही 87 वर्षीय शिवयोगी सिंह बताते हैं कि सूबी साह के घर और गाय बेचकर बनवाया गया गांधी स्मारक लोगों के लिए प्रेरणादायक है। आज भी हम घर व बाहर में युवाओं के बीच उनके विचारों को प्रकट करते हैं, ताकि अगली पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले सके।

    comedy show banner