बिहार के इस जंगल में है खजाने की भरमार, डायबिटीज से ब्लड प्रेशर तक का मिलेगा इलाज
Bihar News बिहार में कैमूर की पहाड़ियों में जड़ी-बूटियों का भंडार है। यहां का एक-एक पौधा औषधीय गुण से भरपूर है। हालांकि ग्रामीणों को इनकी उपयोगिता के बारे में उतनी जानकारी नहीं है इसलिए ये ठगे जा रहे हैं। जड़ी बूटियों के खरीदार औने पौने दामों में इन्हें खरीद कर बाहर के राज्यों में ऊंची कीमतों पर आपूर्ति कर रहे हैं।

विनय पाठक, नौहट्टा (रोहतास)। सोन नदी के कछार व कैमूर पहाड़ी में आयुर्वेदिक दवाओं के प्रयोग में आने वाली जड़ी बूटियों का भंडार है। ये जड़ी बुटियां कई रोगों के उपचार के लिए रामबाण हैं। इन जड़ी बुटियों में आंवला, हर्रे, बहेरा, गोक्षुर, गुड़मार, निर्गुंडी, वन प्याज समेत अन्य वनोत्पाद शामिल हैं। हालांकि उसकी उपयोगिता व महत्व की जानकारी नहीं होने से वनवासी ठगे जा रहे हैं।
हर तरह की बीमारी का यहां मिलेगा इलाज
वे बस इतना जानते हैं कि यह दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। जड़ी बूटियों के खरीदार औने पौने दामों में खरीद कर बाहर के राज्यों में आपूर्ति कर रहे हैं। किडनी, हार्ट, फेफड़ा से संबंधित बीमारी, कफ ,ज्वर ,मधुमेह कमजोरी, पेट दर्द ,रक्तचाप ,महिलाओं की आंतरिक बीमारी तथा विषरोधी सहित विभिन्न रोगों की दवाएं यहां की जड़ी बूटियों से बनाई जा सकती हैं।
यहां का हर एक पौधा गुणों से भरपूर
कहते हैं चिकित्सक
आयुर्वेदिक पद्धति से बनने वाले आसव, चूर्ण, रस रसायन समेत अनेक दवाइयां इस क्षेत्र में भी बन सकती है। कंटकारी, निर्गुंडी, विजया, अर्जुन, कहुआ, अंवाला, हर्रे, बहेरा, अमलतास आदि वनौषधीय से दवा निर्माण हो तो अच्छी कीमत भी मिलेगी। इसके अलावा फूलधवई वनौषधि इस क्षेत्र से तस्करों द्वारा दवा कंपनियों को बेची की जाती है। कहा कि आयुर्वेदिक दवा संपूर्ण रूप से स्वास्थ्य लाभ करता है- डा. रामबचन मिश्र, आयुर्वेदाचार्य व वरिष्ठ चिकित्सक।
कहते हैं लोग
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