दुर्गावती जलाशय में राज्य का पहला रिवर सफारी बनकर तैयार
दुर्गावती जलाशय परियोजना में रिवर सफारी बनकर तैयार हो गया है। अगले माह से पर्यटक इसका आनंद ले सकेंगे। विभाग द्वारा जुलाई के पहले सप्ताह की तिथि निर्धारित की जा रही है। यह राज्य का पहला रिवर सफारी है जहां जल और जंगल दोनों का आनंद सैलानी एक साथ उठा सकेंगे। यहां से जलाशय के दायें तट पर मौजूद शेरगढ़ किला का नजारा और बाएं तट पर मौजूद कैमूर पहाड़ी के इलाके देखने को मिलेंगे। रिवर सफारी के लिए निर्धारित स्थल से सैलानियों को लेकर 25 सीटर वोट नदी का भ्रमण होते हुए नदी के अंदर गुप्ता धाम की ओर छह किलोमीटर तक जाएगी।

सासाराम (रोहतास)। दुर्गावती जलाशय परियोजना में रिवर सफारी बनकर तैयार हो गया है। अगले माह से पर्यटक इसका आनंद ले सकेंगे। विभाग द्वारा जुलाई के पहले सप्ताह की तिथि निर्धारित की जा रही है। यह राज्य का पहला रिवर सफारी है जहां जल और जंगल दोनों का आनंद सैलानी एक साथ उठा सकेंगे। यहां से जलाशय के दायें तट पर मौजूद शेरगढ़ किला का नजारा और बाएं तट पर मौजूद कैमूर पहाड़ी के इलाके देखने को मिलेंगे। रिवर सफारी के लिए निर्धारित स्थल से सैलानियों को लेकर 25 सीटर वोट नदी का भ्रमण होते हुए नदी के अंदर गुप्ता धाम की ओर छह किलोमीटर तक जाएगी।
डीएफओ प्रद्युम्न गौरव का कहना है कि यह रिवर सफारी बिहार का पहला ऐसा सफारी होगा जिसमें जंगल और नदी दोनों के आनंद एक लिए जा सकते हैं। जलाशय के एक किनारे पर मौजूद रोहतास और दूसरी तरफ मौजूद कैमूर पहाड़ी का इलाका सैलानियों के लिए काफी रमणीय होगा। तैयार किए गए प्वाइंट से रिवर सफारी के लिए 25 सीटर वोट निकलेगी जो नदी के अंदर गुप्ता धाम की ओर छह किलोमीटर तक जाएगी। इसके लिए प्रति व्यक्ति 50 रुपये किराया निर्धारित किया गया है। दुर्गावती परियोजना की नींव तत्कालीन उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम ने 1976 में रखी थी। वर्ष 2014 में 38 वर्ष बाद इस परियोजना का उद्घाटन हुआ।
सुरक्षा के होंगे पुख्ता इंतजाम :
रिवर सफारी के दौरान सैलानियों की सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। इसके लिए सभी को अनिवार्य रूप से लाइफ जैकेट पहना होगा। बिना लाइफ जैकेट के बोट में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। सैलानियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रेंज आफिसर को दी जाएगी। आपात स्थिति के लिए एक बोट प्रशासन द्वारा रिजर्व रूप में रखी जाएगी। जिससे आपदा के समय पीड़ित तक तत्काल सहायता पहुंचाई जा सके। जलाशय पर गोताखोरों की तैनाती के लिए भी राष्ट्रीय आपदा मोचन बल ( एनडीआरएफ) से पत्राचार किया जा रहा है। उनके द्वारा सहमति मिलने पर वहां पर्याप्त संख्या में गोताखोरों की स्थाई तैनाती कर दी जाएगी।
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