Bihar News: कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य का होगा कायाकल्प, 15 और गांव इको सेंसिटिव जोन में शामिल
रोहतास जिले में कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 30 वर्ग किलोमीटर बढ़ाया गया है जिससे यह 1539.862 वर्ग किलोमीटर हो गया है। केंद्र सरकार ने गजट प्रकाशित कर अधिसूचना जारी की है जिसमें रोहतास और कैमूर के कई गांव शामिल हैं। लोग 20 अगस्त तक आपत्ति या सुझाव दे सकते हैं। यह अभ्यारण्य ऐतिहासिक सांस्कृतिक और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है जहाँ कई वन्यजीव और पक्षी पाए जाते हैं।

प्रेम कुमार पाठक, (डेहरी ऑनसोन) रोहतास। जिले में कैमूर वन्य जीव अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 30 वर्ग किलोमीटर बढ़ाकर 1539.862 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया है। इसके लिए केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने गजट प्रकाशित कर अधिसूचना जारी कर दी है। विस्तारित क्षेत्र में जिले के 15 अन्य गांवों को भी शामिल किया गया है।
अब रोहतास जिले के 108 गांव और कैमूर जिले के 144 गांव कैमूर वन्य जीव अभ्यारण्य के अति संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसिटिव जोन) में शामिल हो गए हैं। प्रभावित क्षेत्र के लोगों को सूचित करने के लिए अधिसूचना प्रकाशित की गई है।
अधिसूचना जारी होने की तिथि से साठ दिनों की अवधि यानी 20 अगस्त तक निर्धारित की गई है। अधिसूचना में निहित प्रस्तावों पर आपत्ति या सुझाव देने के इच्छुक कोई भी व्यक्ति इसे लिखित रूप में सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार को भेज सकते हैं।
कैमूर वन्यजीव अभयारण्य देश में महत्वपूर्ण स्थान
कैमूर वन्यजीव अभयारण्य ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और जैव विविधता की दृष्टि से देश में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कैमूर पहाड़ी पर स्थित रोहतासगढ़, शेरगढ़ जैसे ऐतिहासिक किले अपनी अजेयता के लिए जाने जाते हैं।
इस अभयारण्य में कई गुफा चित्र, शिलालेख, महापाषाण और मुंडेश्वरी मंदिर भी हैं, जो देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। कैमूर वन्यजीव अभयारण्य 20 जुलाई 1979 को अधिसूचित किया गया था। उस समय इसका क्षेत्रफल 1520.095 वर्ग किलोमीटर था। फिर अभयारण्य क्षेत्र का विस्तार 12.0176 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया।
राज्य सरकार की अधिसूचना द्वारा 22.2502 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को इससे मुक्त कर दिया गया और अभयारण्य में 30 वर्ग किलोमीटर का अतिरिक्त क्षेत्र जोड़ा गया। अभयारण्य के पठारी क्षेत्र में चेरो, उरांव और खरवार जनजातियाँ निवास करती हैं।
यहां रहते हैं ये जंगली जानवर और पक्षी
यहां तेंदुआ, लकड़बग्घा, सुनहरा सियार, भारतीय भेड़िया, जंगली सूअर, सुस्त भालू, चीतल, सांभर, हिरण, चार सींग वाला तीतर, नीलगाय, जंगली बिल्ली पाई जाती है।
पक्षी और तितली प्रजातियों में एशियाई कोयल, काली ड्रोंगी, काली चील, काले पंखों वाली चील, ब्राह्मणी मैना, कॉमन वील, कबूतर, ग्रेटर काउल, ग्रीन बी-ईटर, ग्रे फ्रैंकोलिन, पेंटेड स्परफाउल, पॉन्ड हेरॉन, पर्पल सनबर्ड, रेड-वॉटल्ड बुलबुल, रोज़-रिंग्ड पैराकीट और लाइम बटरफ्लाई, लेमन पैंसी, पीकॉक पैंसी, ब्लू पैंसी, टैनी कोस्टर, कॉमन पियरोट, स्मॉल ग्रास येलो, कॉमन स्मॉल फ्लैट, येलो आरिंग टिप, कॉमन गल, द वेरोनेट, प्लेन टाइगर शामिल हैं।
इन योजनाओं पर होगा काम
क्षेत्रीय महायोजना के अंतर्गत पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव, नगरीय विकास, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास, पर्यटन, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण, नगर पालिका, लोक निर्माण विभाग और राजमार्ग विकास से संबंधित योजनाएँ तैयार की जाएँगी।
वन्य जीव अभ्यारण्य की पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र सीमा
कैमूर जिले के चैनपुर, भगवानपुर और रोहतास जिले के चेनारी और रायपुर चोर गाँव पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र के उत्तर में शामिल हैं। रोहतास जिले के दरिगांव, सासाराम, जमुहार, धवदाहर और तिलौथू पूर्वी उत्तर-पूर्व में शामिल हैं।
इंद्रपुरी चंदनपुरा, तुम्बा, तेलकप, बंजारी, रोहतास, अकबरपुर, दारानगर, भुड़वा, पिपराडीह दक्षिण-पूर्व में शामिल हैं। इसी प्रकार, दक्षिण-पश्चिम में सोन नदी के तट पर परचा, यदुनाथपुर, जरादाग और झारखंड सीमा स्थित हैं। उत्तर-पश्चिम में उत्तर प्रदेश के नौगढ़ झील, काशीजोर, करकटगढ़ और छितमपुर शामिल हैं।
अभयारण्य क्षेत्र की सुरक्षा के लिए पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों का विस्तार किया जा रहा है। पारंपरिक रोजगार के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहाँ एक विकास समिति का गठन किया जाएगा।
-शशि भूषण सिंहा, सहायक वन प्रभाग अधिकारी, चौहान
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।