सिर्फ कुत्तों से नहीं होता रेबीज, आपके गली-मोहल्ले में रहने वाले इन जानवरों से भी रहिए अलर्ट
रोहतास जिले में आवारा कुत्तों और बंदरों का आतंक बढ़ गया है जिससे लोग घायल हो रहे हैं। सीएचसी के अनुसार हर महीने लगभग 200 लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन दी जा रही है। नगर पंचायत आवारा पशुओं को पकड़ने में लापरवाह है। पशु चिकित्सक पालतू जानवरों को नियमित टीकाकरण कराने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि रेबीज के अलावा अन्य वायरस फैलने का खतरा भी है।
संवाद सूत्र, काराकाट (रोहतास)। स्थानीय नगर पंचायत से लेकर गांव की गलियों तक इन दिनों आवारा कुत्तों और बंदरों का आतंक बढ़ गया है। रात के अंधेरे में आवारा कुत्तों के हमले का शिकार आए दिन लोग बनते रहते हैं, जबकि कहीं से भाग कर आए बंदर दिनदहाड़े राह चलते लोगों का सामान झपटने के दौरान नोच डालते हैं। गुरुवार की रात आवारा कुत्तों ने मोथा निवासी राजबहादुर चंद्रशी पर हमला बोल दिया, जिसमें वे किसी तरह बाल-बाल बचे।
सीएचसी से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, प्रत्येक माह इन पशुओं के हमले का शिकार हुए औसतन 200 से अधिक लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन दिया जाता है। इनसे बचाव के लिए आवारा पशुओं समेत सभी पालतू जानवरों को एंटी रेबीज वैक्सीन दिया जाना निहायत जरूरी है, परंतु मवेशी अस्पताल में कभी-कभार एकाध पालतू कुत्तों को ही वैक्सीन लग सका है।
दो महीने में लगभग 20 वैसे पालतू पशुओं को एंटी रेबीज वैक्सीन दिया गया है, जो कुत्ता या फिर सियार के काटने से जख्मी होकर अस्पताल लाए गए थे। नगर पंचायत में आवारा पशुओं को पकड़ कर उन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन देने की जिम्मेवारी नगर पंचायत की है, परंतु नगर पंचायत प्रशासन इस मामले में पूरी तरह लापरवाह रहा है।
बुद्धिजीवियों का कहना है कि नगर व प्रखंड में कुत्ता पालने का शौक भी बढ़ा है, परंतु न तो इनमें से अधिकांश का रजिस्ट्रेशन है और न ही इन्हें एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाया जाता है। ऐसे में इन पालतू कुत्तों का शिकार भी लोग आए दिन बनते रहते हैं।
पशुओं में रेबीज के अलावा अन्य वायरस फैलने की है संभावना:
पशु चिकित्सक के अनुसार, लोगों के बीच आम धारणा यह है कि केवल कुत्ता के काटने से ही रेबीज हो सकता है, परंतु रेबीज की बीमारी बिल्ली, बंदर, छुछुंदर, नेवला और जंगली चूहों के माध्यम से भी फैल सकती है। इसके अलावा यह वायरस रेबीज से ग्रसित जानवरों के माध्यम से अन्य जानवर गाय, घोड़ों और गदहे में भी फैल सकता है।
पालतू कुत्ता पालने वाले लोग अपने कुत्तों को निशुल्क मिलने वाले केवल एंटी रेबीज वैक्सीन दिलाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं। जबकि इन पशुओं में रेबीज के अलावा अन्य गंभीर वायरस फैलने की भी व्यापक संभावना रहती है, जिसके लिए इन्हें नाइन इन वन वैक्सीन दिया जाता है।
रेबीज के लक्षण:
- रेबीज से ग्रसित पशुओं की पूंछ अक्सर सीधी हो जाती है।
- रेबीज से ग्रसित मनुष्यों को पानी से डर लगता है।
निशुल्क वैक्सीनेशन:
पालतू पशुओं के लिए विश्व रेबीज दिवस पर 28 सितंबर को निशुल्क वैक्सीनेशन किया जाता है। अन्य दिन भी नामांकन के लिए मात्र दो रुपये का पुर्जा कटवाना होता है।
क्या कहते हैं पशु चिकित्सक?
पालतू पशुओं को तीन माह की उम्र के बाद 30 दिनों के अंतराल पर एंटी रेबीज और 45 दिन की उम्र में नाइन इन वन वैक्सीन अवश्य दिलवाएं। इसके बाद प्रति वर्ष इसी तिथि को इनका बूस्टर डोज भी हमेशा दिलवाते रहना चाहिए। - डॉ. जयकिशन कुमार, पशु चिकित्सक
कुत्ते काटने से जख्मी लोगों का आंकड़ा एक नजर में:
महीना | संख्या |
---|---|
जनवरी 2025 | 498 |
फरवरी | 401 |
मार्च | 410 |
अप्रैल | 269 |
मई | 270 |
जून | 234 |
जुलाई | 256 |
अगस्त | 109 |
(सीएचसी से प्राप्त डाटा के अनुसार)
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