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    सासाराम आएं तो पूर्वोत्तर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना न भूलें, साल में 2 बार खुलता है अघोरेश्वर महादेव का कपाट

    सासाराम में सावन के महीने की शुरुआत के साथ ही पूर्वोत्तर ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। यहाँ ढाई फीट ऊंची स्फटिक शिवलिंग और भगवान बुद्ध समेत कई महापुरुषों की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। महायोगी पायलट बाबा धाम में स्थित यह मंदिर भक्ति संस्कृति और मनोरंजन का केंद्र है। यहां अघोरेश्वर महादेव मंदिर में काले पत्थर का शिवलिंग भी है।

    By dhanjay kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 07 Jul 2025 05:14 PM (IST)
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    सासाराम आएं तो पूर्वोत्तर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करना न भूलें

    धनंजय पाठक, सासाराम (रोहतास)। सावन का महीना (Sawan 2025 Date) शुक्रवार से प्रारंभ होगा। जिले में विभिन्न कालखंड के सांस्कृतिक विरासतों से जुड़े अवशेष अभी भी विद्यमान हैं। इससे जिले की सांस्कृतिक विरासत के महत्व की जानकारी लोगों को मिलती है।

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    जिले में कई अति प्राचीन शिवलिंग पहाड़ी की गुफा से लेकर चोटी तक अवस्थित हैं, जो यहां की धार्मिक महत्ता को दर्शाता है। इन स्थानों पर महा शिवरात्री हो, बसंत पंचमी हो या सावन का महीना। जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

    कम समय में ही मंदिर को मिली ख्याति:

    ऐसे ही महत्व को आज दर्शा रहा है जिला मुख्यालय के पूर्वी छोर पर एसपी जैन कालेज के पास अवस्थित पूर्वोत्तर ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर। अगर आप सासाराम आते हैं तो पूर्वोत्तर ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मंदिर का दर्शन करना न भूलें।

    महायोगी पायलट बाबा धाम परिसर में बने मंदिर में स्थापित ढ़ाई फीट ऊंची स्फटिक की शिवलिंग श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। यहां भगवान बुद्ध, शिव, मर्यादा पुरुषोत्तम राम समेत अन्य महापुरुषों की प्रतिमाएं स्थापित है। धाम, भक्ति, संस्कृति और मनोरंजन का एक अद्भुत संगम है।

    फरवरी 2018 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 85 फीट ऊंची स्थापित महात्मा बुद्ध की प्रतिमा का अनावरण किया था, जबकि नवंबर 2022 में बाबा रामदेव ने स्थापित शिविलिंग तथा सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन किया था। बहुत कम समय यह मंदिर ख्याति पाने में सफल रहा है।

    2004 में धाम की रखी गई थी नींव:

    नोखा प्रखंड अंतर्गत विशुनपुरा गांव निवासी कपिल सिंह ने वायुसेना में पायलट की नौकरी छोड़ पायलट बाबा के नाम से विख्यात होने के बाद 2004 में भूमि पूजन के साथ महायोगी पायलट बाबा धाम की नींव रखी थी। दो दशक में धाम सनातन संस्कृति का मुख्य केंद्र के रूप में स्थापित हुआ।

    ऐसा माना जाता है कि ज्ञान प्राप्ति के क्रम बोधगया से सारनाथ जाने के क्रम में गौतम बुद्ध का सासाराम में ठहराव हुआ था। साथ ही धाम से कुछ दूरी पर कैमूर पहाड़ी की चोटी पर धम्म प्रचारक सम्राट अशोक का लघु शिलालेख भी विद्यमान है। पूर्वोत्तर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने के लिए आज भारत के अलावा जर्मनी समेत कई अन्य दूसरे देश से भी उनके श्रद्धालु काफी संख्या पहुंचते हैं।

    साल में दो बार खुलता है अघोरेश्वर महादेव का कपाट:

    सोमनाथ मंदिर के बगल में स्थित अघोररेश्वर महादेव मंदिर काले पत्थर की पांच फीट ऊंची स्थापित शिवलिंग को दर्शन करने का सौभाग्य साल में दो बार मिलता है। सावन के अलावा महाशिवरात्री को मंदिर का कपाट खुला रहता है।

    धाम कमेटी के अध्यक्ष पूर्व एमएलसी कृष्ण कुमार सिंह, सचिव सत्येंद्र सिंह, कोषाध्यक्ष अतेंद्र सिंह, उपाध्यक्ष विजेंद्र सिंह, मनीष कुमार समेत अन्य पदाधिकारियों की माने तो जो भाग्यशाली होते हैं, उन्हीं को अघोरेश्वर महादेव को दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

    धाम की विशेषता:

    • 85 फीट ऊंची महात्मा बुद्ध की प्रतिमा
    • ढाई फीट ऊंचा स्फटिक का शिवलिंग
    • 111 फीट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा
    • विभिन्न धर्म के धर्म गुरुओं की प्रतिमा
    • विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर
    • 30 फीट ऊंची भगवान श्रीराम की प्रतिमा
    • ओघेरश्वर महादेव मंदिर में पांच फीट ऊंचा काले पत्थर का शिवलिंग