Bihar Politics: चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों में आंतरिक गुटबाजी तेज, डैमेज कंट्रोल में लगे बड़े नेता
रोहतास में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक दलों में आंतरिक गुटबाजी तेज हो गई है। भाजपा और कांग्रेस में जिलाध्यक्षों के खिलाफ कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोल दिया है। पुराने कार्यकर्ताओं ने मनमानी और उपेक्षा का आरोप लगाया है। दोनों दलों के अध्यक्षों ने इसे लोकतंत्र बताते हुए गलतफहमी दूर करने की बात कही है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे चुनाव में प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।

जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) की सुगबुगाहट के बीच राजनीतिक दलों की आंतरिक गुटबाजी तेज हो गई है। कार्यकर्ताओं में अपने आप को सर्वोपरि साबित करने की होड़ मची हुई है। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही घटक दलों में समय-समय पर आपसी खींचतान उजागर हो रही है।
कई दलों में पुराने कार्यकर्ताओं का गुस्सा इस तरह फूटा है कि अपने जिला अध्यक्ष के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में अभी यह सबसे ज्यादा दिख रहा है। भारतीय जनता पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं ने जहां जिलाध्यक्ष संतोष पटेल के खिलाफ अलग-अलग जगह बैठकर अपने गुस्से का इजहार किया है।
वहीं, कांग्रेस में भी कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष अमरेंद्र पांडेय के खिलाफ विद्रोह का विगुल फूंक डाला है। इसे लेकर कांग्रेस जिलाध्यक्ष को कई बार प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी है।
कांग्रेस के बुजुर्ग नेता दशरथ दुबे ने कुछ दिन पूर्व दरभंगा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी मां के संबंध में महागठबंधन कार्यकर्ताओं द्वारा अभद्र टिप्पणी पर गंभीर नाराजगी जताते हुए पार्टी के विरुद्ध बयान तक दे डाला था, जिसके दूसरे ही दिन कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने उन्हें पार्टी का कार्यकर्ता मानने से ही इनकार कर दिया था।
दूसरी तरफ, अध्यक्ष के कार्य कलाप के खिलाफ कई कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई है। पिछले दिनों कई प्रखंडों के अध्यक्ष व कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष के खिलाफ समानांतर बैठक कर और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन पर मनमानी करने और पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है।
इधर, भाजपा में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कई पुराने व वरीय कार्यकर्ताओं तथा जिलास्तर के पूर्व पदाधिकारियों ने वर्तमान जिलाध्यक्ष पर पार्टी को जेबी संगठन बनाने का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया है। इसे लेकर इंटरनेट मीडिया पर तरह-तरह के बयान जारी किए जा रहे हैं। हालांकि, इसे पार्टी में टूट नहीं कहा जाएगा, क्योंकि दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं ने पार्टी में रहकर ही विरोध करना शुरू किया है।
दूसरी तरफ, दोनों पार्टियों के अध्यक्षों ने पार्टी में सब कुछ ठीक होने का दावा किया है। भाजपा जिलाध्यक्ष संतोष पटेल और कांग्रेस जिलाध्यक्ष अमरेंद्र पांडेय इसे पार्टी में लोकतंत्र मानते हैं। कहते हैं कि कार्यकर्ताओं से बात कर उनकी गलतफहमी दूर कर दी जाएगी। सामान्य कार्यकर्ताओं की मानें तो इस तरह की गतिविधियों से आगामी विधानसभा चुनाव में दलों के प्रदर्शन प्रभावित हो सकते हैं।
बताते चलें कि कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जिले के सभी सात विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशियों ने कब्जा जमा लिया था। इनमें सासाराम, डेहरी, नोखा और दिनारा पर राजद, चेनारी और करगहर पर कांग्रेस तथा कारकाट सीट पर माले के प्रत्याशी जीते थे। बाद में चेनारी के कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री मुरारी प्रसाद गौतम ने पार्टी को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया।
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