Bihar Bhumi: खानदानी निकली जमीन, तो सरकारी अस्पताल पर काबिज हुए वंशज; इस जिले से सामने आया मामला
रोहतास जिले के राजपुर में एक विवादित मामला सामने आया है जहां दशकों पहले दान दी गई जमीन पर बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) को निजी संपत्ति बताकर बेचा जा रहा है। जमीन के खरीददार अस्पताल की चारदीवारी कराकर भवन को तोड़ रहे हैं जिसका चिकित्सा पदाधिकारी विरोध कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के पास जमीन के अभिलेख उपलब्ध नहीं है जिसके कारण विवाद और बढ़ गया है।
संवाद सूत्र, राजपुर (रोहतास)। जिले में आज भी ऐसे कई उदाहरण हैं कि चार-पांच दशक पहले लोग सामाजिक हित के कार्यों को लेकर अस्पताल, विद्यालय, धर्मशाला, मंदिर आदि के लिए अपनी जमीन मौखिक रूप से दान दे दिया करते थे। आज जब परिवार बढ़ा और रकबा घटने लगा तो उनके वंशजों की निगाह अपने पूर्वजों की जमीन पर पड़ने लगी है।
उस जमीन पर येन केन प्रकारेण दखल करने की प्रक्रिया भी शुरू दी है। ऐसा ही एक ताजा मामला सामने आया है, जिले के राजपुर से।
प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बने भवन वाले भूखंड को अपनी रैयती जमीन बता उसकी धड़ल्ले से बिक्री की जा रही है। जमीन खरीदने के बाद क्रेता द्वारा आनन फानन में सरकारी अस्पताल की चारदीवारी करा उसके भवनों को तोड़ जा रहा है। इससे प्रखंड क्षेत्र की जनता हैरत में है।
चिकित्सा पदाधिकारी ने भी जताया है विरोध:
जब क्रेता द्वारा उक्त जमीन की चारदीवारी कराई जा रही थी, उसी समय जनता द्वारा चिकित्सा पदाधिकारी को लिखित आवेदन दे निर्माण कार्य पर रोक लगाने व स्वास्थ्य विभाग की जमीन हड़पने का आरोप लगा कार्रवाई की मांग की थी।
इस पर उस समय के तत्कालीन सीओ ने पीएचसी पर चल रहे निर्माण कार्यों को बंद करा दिया। अब लोगों का आरोप है कि उनके स्थानांतरित होने के बाद क्रेता-विक्रेता अधिकारी व कर्मचारी से सांठ गांठ कर पुनः भवन तोड़ने का काम शुरू कर दिए हैं।
क्या है मामला?
अस्पताल की खाता संख्या 37 व खेसरा 3572 में 52 डिसमिल तथा खाता 730 व खेसरा 3560 में 22 डिसमिल, कुल एक एकड़ 11 डिसमिल जमीन है। इसमें 1979-80 में प्राथमिकी स्वास्थ्य केंद्र के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा भवन निर्माण कराया गया था। तब से लेकर 2023 तक यहां पीएचसी का संचालन होता आ रहा था।
2024 में पीएचसी के नए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शिफ्ट होते ही जमीनदाता विनायक मिश्र के पोता मनोहर मिश्र की नजर उस जमीन पर पड़ गई। पूर्व प्रमुख राजेंद्र सिंह के अनुसार, जब स्वास्थ्य केंद्र की जमीन नहीं थी, तो 45 वर्ष पूर्व भवन कैसे बना और बन गया तो उसे बिना अनुमति लिए कैसे तोड़ा जा रहा है।
इतना ही नहीं, स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव ने पूर्व में पत्र जारी कर डीएम, एसडीएम व अंचलाधिकारी को निर्देशित किया था कि यदि विभाग के पास कोई अभिलेख नहीं है और उस पर उसका भवन बना है, तो उसका दाखिल खारिज विभाग के नाम से किया जाए। लेकिन उनके निर्देश को भी अधिकारी दरकिनार कर रहे हैं।
क्या कहते हैं जमीन पर दावा करने वाले?
भूमि दानकर्ता स्व विनायक मिश्रा के पुत्र मृत्युंजय मिश्र व पोता मनोहर मिश्र उसे अपनी रैयती जमीन बता रहे हैं। उनसे पूछा गया कि जब आपकी जमीन थी, तो उस पर स्वास्थ्य विभाग ने अपना भवन कैसे बनाया। तब कहते हैं कि विभाग के अधिकारी जानें उसे कैसे बनवाए थे। यदि मेरे दादा ने 52 डिसमिल जमीन दान दी है, तो विभाग कागज दिखाए।
क्या कहते हैं सीओ?
उक्त भूमि पर भवन तो स्वास्थ्य केंद्र का दिखाई दे रहा है। स्वास्थ्य विभाग को अभिलेख उपलब्ध कराने को कहा गया है, लेकिन उपलब्ध नहीं करा पाया, जबकि निर्माण कार्य करा रहे लोग अपनी रैयती जमीन बता रहे हैं। ऐसे में मैं क्या कर सकता हूं। वरीय पदाधिकारी का जो आदेश होगा, उसका पालन किया जाएगा। - प्रणवेश राज, अंचलाधिकारी
क्या कहते हैं चिकित्सा पदाधिकारी?
स्वास्थ्य विभाग ने अवैध रूप से भवन तोड़े जाने को लेकर सीओ, थानाध्यक्ष, डीएम व एसडीएम को लिखित आवेदन दे सूचित कर दिया है। विभाग के पास कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है। - डॉ. सुमित कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, राजपुर
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