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    Rohtas News: कोर्ट के आदेश पर अकोढ़ीगोला के निवर्तमान सीओ व सीआई पर FIR दर्ज, रिश्वत मांगने का लगा है आरोप

    By Arun Kumar GuptaEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Thu, 26 Oct 2023 07:12 PM (IST)

    रोहतास में अकोढ़ीगला के निवर्तमान सीओ अंशु कुमार सिंह व रिटायर्ड सीआई हिमांशु श्रीवास्तव के खिलाफ कोर्ट के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। परिवादी ने कोर्ट में कहा है कि निवर्तमान सीओ और रिटायर्ड सीआई ने उनसे जमीन ऑनलाइन करने की एवज में रिश्वत मांगी थी और मारपीट की थी।

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    कोर्ट के आदेश पर अकोढ़ीगोला के निवर्तमान सीओ व सीआई पर FIR दर्ज, रिश्वत मांगने का लगा है आरोप

    संवाद सूत्र, अकोढीगोला (रोहतास)। अकोढ़ीगोला के निवर्तमान सीओ अंशु कुमार सिंह व सेवानिवृत्त सीआई हिमांशु श्रीवास्तव पर अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी के आदेश पर गुरुवार को स्थानीय थाने में प्राथमिकी की गई। फिलहाल, सीओ अंशु कुमार औरंगाबाद अंचल में पदस्थापित हैं व सीआई सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

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    इस संबंध में थानाध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि थाना क्षेत्र के सलेया निवासी राम बिलास रजवार ने तत्कालीन सीओ व सीआई पर रिश्वत मांगने एवं अपशब्द का प्रयोग करते हुए मारपीट करने को लेकर अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी के पास परिवाद दायर कर न्याय की गुहार लगाई थी।

    कोर्ट के निर्देश पर अकोढीगोला अंचल के निवर्तमान अंचलाधिकारी अंशु कुमार सिंह व सीआइ हिमांशु श्रीवास्तव पर गुरुवार को प्राथमिकी की गई।

    क्या है पूरा मामला?

    उन्होंने बताया कि परिवादी ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी रैयती जमीन को ऑनलाइन करने के लिए अंचल कार्यालय में आवेदन दिया था। इसके लिए सीआई हिमांशु श्रीवास्तव द्वारा 50 हजार रुपये रिश्वत की मांग की गई।

    पहले रिश्वत मांगी और फिर मारपीट की

    वहां रुपये देने से इनकार कर वे निवर्तमान अंचलाधिकारी अंशु कुमार के कक्ष में पहुंच न्याय की गुहार लगाने लगे, तो सीआई अपने दो सहयोगी के साथ वहां पहुंचकर अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए मारपीट करने लगे। उस दौरान अंचलाधिकारी ने भी सीआई की तरफदारी कर अभद्र भाषा का प्रयोग करते वहां मौजूद सुरक्षा कर्मी से बलपूर्वक धक्का दिलाते हुए चेंबर से बाहर निकलवा दिया।

    वहां से थाना में आवेदन देकर गुहार लगाई, लेकिन तत्कालीन थानाध्यक्ष ने कोई संज्ञान नहीं लिया। फिर एससी-एसटी थाना में आवेदन देकर गुहार लगाई, लेकिन वहां से भी न्याय नहीं मिल सका। उसके बाद मजबूर होकर न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। थानाध्यक्ष के अनुसार कोर्ट के आदेश के आलोक में प्राथमिकी कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

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