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    कैमूर पहाड़ी पर दोबारा पैर जमाने की कोशिश में नक्सली, NIA की छापामारी में मिले अहम सबूत तो मचा हड़कंप

    Updated: Mon, 02 Sep 2024 01:01 PM (IST)

    Bihar Crime News बिहार के रोहतास जिले में नक्सली संगठन एक बार फिर पैर पसारने की फिराक में हैं। कैमूर पहाड़ी का इलाका नक्सलियों के छिपने के लिए एक अहम ठिकाना साबित हो रहा है। दरअसल एनआईए ने इस इलाके में छापामारी कर गोला-बारूद कारतूस और नक्सली संगठन से जुड़ी पठन सामग्री बरामद भी की है। इससे हड़कंप मच गया है।

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    कैमूर पहाड़ी पर पांव पसारने के प्रयास कर रहे नक्सली।

    जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)। कैमूर पहाड़ी क्षेत्र से गत एक दशक से पांव उखड़ने के बाद भाकपा माओवादी नक्सली संगठन ने फिर से पांव जमाने के लिए सक्रियता बढ़ा दी है।

    दो वर्ष पूर्व प्रमुख माओवादी नेता विजय आर्या की गिरफ्तारी के बाद नक्सलियों ने यहां संगठन खड़ा करने के लिए कई पूर्व के पंचायत प्रतिनिधियों का सहारा लिया है।

    हाल के दिनों में इस क्षेत्र में शुरू हुईं करोड़ों की विकास योजनाओं पर भी इनकी नजर है। दो दिन पूर्व राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने माधा व सोली में छापामारी कर कई आपत्तिजनक सामग्रियां जब्त की हैं।

    गोला-बारूद और 14 कारतूस मिले

    छापामारी में गोला-बारूद के अलावा मोबाइल व कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज मिलने की बात कही जा रही है। रेहल में एक पूर्व मुखिया के यहां से 14 कारतूस मिले हैं।

    वहीं, सोली में एक पूर्व सरपंच के यहां से भी कुछ आपत्तिजनक सामान मिले हैं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का दावा है कि कैमूर पहाड़ी के लोग विकास कार्यों को तरजीह देकर लोकतंत्र में आस्था जता रहे हैं। ग्रामीणों का सहयोग व पुलिस की तत्परता से नक्सलियों का मंसूबा कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।

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    शीर्ष माओवादी नेता की हुई थी गिरफ्तारी

    विदित हो कि भाकपा माओवादी के शीर्ष नेता विजय कुमार आर्य को रोहतास थाना के समहुता गांव के निकट से उमेश चौधरी के साथ 13 अप्रैल 2022 को गिरफ्तार किया गया था।

    आर्य भाकपा माओवादी संगठन को रोहतास में मजबूत करने व संगठन के लिए धन एकत्र करने में जुटा हुआ था। उसके पास से एक टैब, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क, वाइस रिकार्डर, की पैड मोबाइल, भाकपा माओवादी का पर्चा, साहित्य व दस हजार रुपये बरामद हुए थे।

    समहुता गांव में वह उमेश चौधरी के घर अपने एक सहयोगी राजेश गुप्ता के साथ रहकर संगठन को विस्तार दे रहा था। इस मामले में अनिल यादव उर्फ अनिल व्यास, राजेश कुमार गुप्ता और रूपेश कुमार सिंह भी अभी जेल में हैं।

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