लॉकडाउन ने डिजिटल इंडिया को दिया बढ़ावा, ऑनलाइन हो रही शैक्षणिक गतिविधि
कोरोना काल ने वाकई में डिजिटल इंडिया को सशक्त किया है। इसका जीता-जागता उदाहरण ऑनलाइन पढ़ाई है। ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सभी प्रकार के आवश्यक शिक्षण सामग्री उपलब्ध है।

फोटो : 8, 9, 10, 11, 12 व 13
जागरण संवाददाता, सासाराम : कोरोना काल ने वाकई में डिजिटल इंडिया को सशक्त किया है। इसका जीता-जागता उदाहरण ऑनलाइन पढ़ाई है। ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सभी प्रकार के आवश्यक शिक्षण सामग्री उपलब्ध है। हां, इसके भी कुछ गुण-दोष है, लेकिन लोगों को पढ़ने व सीखने का एक नया आयाम दिया है। सिर्फ जरूरत है इसे सही तरीके से धरातल पर उतारने की। आज ऑनलाइन शिक्षा नहीं होती तो इस वर्ष भी लाखों बच्चों के भविष्य अंधकारमय होता। ऐसा मानना है अभिभावकों व समाजसेवियों का। ऑनलाइन शिक्षा पर दैनिक जागरण ने छात्र, अभिभावक व समाजसेवियों ने राय जानने की कोशिश की। जिसमें लोगों ने ऑनलाइन शिक्षा मौजूदा समय की मांग बताया। कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में ऑनलाइन शिक्षा नहीं होती तो इस वर्ष भी भविष्य चौपट हो जाता है। जरूरत है इसे सही तरीके से क्रियान्वयित करने की। - कोरोना काल में आनलाइन पढ़ाई जरूरी है। छात्र एवं शिक्षक अपने सुविधानुसार कभी भी पढ़ने और पढ़ाने का समय रख सकते है। सभी व्याख्यान और आवश्यक सामग्री ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से प्रदान की जाती हैं, ताकि छात्र आसानी से अपने घर पर आराम से पढ़ सके। विदेशों के कई अनुभवी शिक्षकों के लेक्चर को छात्र भारत या किसी भी देश में घर बैठे सुन और समझ सकते हैं।
रवि मिश्र, अभिभावक
- कोरोना काल ने सही मायने में भारत को डिजिटल इंडिया बना दिया है। पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में इसका व्यापक असर हुआ है। प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा संस्थानों ने ऑनलाइन कक्षाओं का सहारा लेकर नए प्रतिमान रचे हैं। आने वाले समय में यह चलन कितना प्रभावी होगा यह तो नहीं कहा जा सकता, कितु संकट काल में संवाद, शिक्षा और सहकार्य के तमाम अवसर इस माध्यम से प्रकट हुए हैं।
विनय कुमार पाल, अभिभावक
- लॉकडाउन के इस कठिन वक्त में जहां सभी विद्यालय और कॉलेज बंद है। स्कूल और कॉलेज के सभी कक्षाओं की पढ़ाई ऑनलाइन द्वारा संभव हो पाया है। विश्व के सभी विद्यार्थी ऑनलाइन शिक्षा का इस्तेमाल करके अपना अध्य्यन कर पा रहे है। ऑनलाइन शिक्षा का महत्व लोग आज अच्छे तरह से समझ पा रहे है। अगर आज ऑनलाइन माध्यम ना होता तो यह साल पढ़ाई अधूरी रह जाती और हमारे जैसे करोड़ों छात्र पढ़ नहीं पाते।
पियूष कुमार, छात्र बारहवीं जीएनएम कॉलेज परसथुआ - एक समस्या यह है कि कक्षा में छात्र यदि सुन समझ नहीं पाएं तो शिक्षक से जितनी बार चाहे सुनने समझने तक पूछ सकते थे, कितु आनलाइन में यह सुविधा नहीं होती। अनलाइन पढ़ाई में समय की पाबंदी रहती है। इसलिए शिक्षकों को दुहरा कर धीरे धीरे पढ़ाना पड़ता है। इसके कारण पढ़ाई की गति कम हो जाती है।
आनंद कुमार, छात्र जीएनएम उच्च विद्यालय परसथुआ - फोन या लैपटॉप पर तीन से चार घंटे रोजाना पढ़ाई करने से एक ओर जहां छात्रों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, तो वहीं अभिभावक भी लंबे खर्चे की चपेट में आ गए हैं।ज्यादातर अभिभावक और छात्र ऑनलाइन क्लासेज के विरोध में हैं, लेकिन स्कूल प्रशासन के दबाव के आगे वे को बेबस सा महसूस कर रहे हैं। बच्चों का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेज में यदि कुछ समझ में नहीं आता तो दोबारा पूछ भी नहीं पाते। इसके अलावा बीच-बीच में नेटवर्क खराब होने से भी दिक्कत होती है।
शोभा देवी अभिभावक शेख बहुआरा, परसथुआ
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।