यूरिया संकट से निबटने में तरल नैनो बन रहा विकल्प
नीम कोटेड यूरिया की संकट झेल रहे किसान अब तरल नैनो को विकल्प बनाने लगे हैं। कृषि विभाग के अधिकारी व कृषि वैज्ञानिक भी इसका अधिक से अधिक उपयोग की सलाह किसानों को दे रहे हैं।

जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास) : नीम कोटेड यूरिया की संकट झेल रहे किसान अब तरल नैनो को विकल्प बनाने लगे हैं। कृषि विभाग के अधिकारी व कृषि वैज्ञानिक भी इसका अधिक से अधिक उपयोग की सलाह किसानों को दे रहे हैं।
जिले के कोचस, करगहर, दिनारा,चेनारी व राजपुर समेत अन्य प्रखंडों के किसान अब इसका प्रयोग करना शुरू कर दिए हैं। कृषि वैज्ञानिक डा. रमाकांत सिंह का कहना है कि दानेदार यूरिया के एक कण के अनुपात में नैनो यूरिया की एक बूंद नौ हजार गुणा अधिक शक्तिशाली है। आधा लीटर नैनो यूरिया एक बैग दानेदार यूरिया के बराबर काम करती है। बताया कि दानेदार यूरिया जहां फसल पर 18 से 20 प्रतिशत प्रभावी होती है, वहीं नैनो यूरिया 80 से 85 प्रतिशत असरदार है। एक लीटर पानी में चार एमएल दवा का घोल बना दो बार स्प्रे करने से फसल को काफी लाभ पहुंचता है। फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए नैनो यूरिया सबसे बेहतर विकल्प है। नैनो यूरिया की पांच सौ एमएल की शीशी पूरे एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त है।
पटवन के बाद यूरिया आवश्यक : रबी फसल में पटवन के बाद यूरिया के छिड़काव की जरूरत होती है। बारिश होने व मौसम में नमी की वजह से यूरिया की मांग बढ़ गई है। जानकारी के अनुसार शनिवार तक जिले में यूरिया 982 टन ,एनपीके 590 टन तथा डीएपी 710 टन उपलब्ध होने की बात विभागीय अधिकारी बता रहे है। सोमवार को 11 सौ मीट्रिक टन यूरिया की खेप पहुंचने वाली है। किसान यूरिया की उपलब्धता को ले सवाल खड़ा कर रहे हैं। कहते हैं किसान :
अभी तक दानेदार सफेद यूरिया का इस्तेमाल करते थे। खाद की किल्लत के बाद कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर पहली बार नैनो यूरिया का प्रयोग किया है।
आलोक चौबे, कुछिला पटवन के बाद यूरिया का छिड़काव आवश्यक होता है। पिछले कई माह से लगातार यूरिया पर्याप्त नहीं मिल पा रही है। दुकानदार पर्याप्त स्टाक के बाद भी कालाबाजारी कर रहे हैं। ऐसे में नैनो यूरिया ही बेहतर विकल्प है।
कृष्णा सिंह, परसथुआ किसान सलाहकार के सुझाव पर पहली बार नैनो यूरिया का छिड़काव किया है। यह दानेदार यूरिया से सस्ता और सुलभ भी है। इसके प्रयोग के लिए अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं। ये कारगर रहा तो उर्वरक को ले किसानों की समस्या दूर हो जाएंगी।
अजय कुमार, बलथरी
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