Rohtas Flood: काव नदी दूसरे दिन भी उफान पर, सैकड़ों एकड़ खेत में लगे धान के पौधे डूबे
हथिया नक्षत्र में भारी बारिश के कारण काव नदी में उफान आ गया है जिससे राजपुर अकोढ़ीगोला और संझौली प्रखंडों में धान की फसलें जलमग्न हो गई हैं। किसानों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी ऐसी बाढ़ नहीं देखी थी और अधिकारी इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। नदी में गाद भरने से जलनिकासी भी प्रभावित हुई है जिससे स्थिति और गंभीर हो गई है।

संवाद सूत्र, राजपुर (रोहतास)। हथिया नक्षत्र में शुक्रवार को तेज गरज के साथ हुई मूसलाधार बारिश से काव नदी रविवार को दूसरे दिन भी उफान पर रही। नदी के जलस्तर में वृद्धि हो जाने से क्षेत्र के सैंकड़ों एकड़ खेत में लगी धान की फसल जलमग्न हो बर्बाद हो रही है।
पानी में डूबे धान की फसल को देख किसानों का कलेजा मुंह को आ जा रहा है। बावजूद अधिकारी व जनप्रतिनिधि प्रतिनिधि मूकदर्शक बने हुए हैं। इससे किसानों में निराशा पनपने लगा है।
काव नदी में आई बाढ़ से राजपुर, अकोढ़ीगोला व संझौली प्रखंड के हजारों एकड़ खेत में लगे धान के पौधे पानी में डूबकर बर्बाद हो रहे हैं।
बाढ़ से प्रभावित राजपुर, प्रतापगंज, छनहा, कुशधर, सुअरा, पकड़ी, रामूडीह, मिश्रवलिया, अकोढ़ीगोला के कपसिया, हब्बुपुर तथा संझोली प्रखंड के बेनसागर सहित अन्य गांव के खेत में लगी धान की फसलों को नुकसान हुआ है।
क्या कहते हैं किसान
पकड़ी निवासी मदन मोहन तिवारी, प्रतापगंज के राजेंद्र सिंह, सोना महतो, कपसिया के धनंजय सिंह, विनोद सिंह, भलुआही रामजीत पांडेय, महेंद्र पांडेय, राजपुर के सतीश कुमार सिंह, अजय यादव आदि ने कहा कि काव नदी में बाढ़ आती है, लेकिन अभी तक हथिया नक्षत्र में इतनी बाढ़ कभी नहीं आई थी।
इस नक्षत्र में धान की फसल डूब जाने से पैदावार काफी प्रभावित हुआ है। अब भगवान ही किसानों के सहारा हैं। रोहिणी नक्षत्र बिचड़े वाले धान अब फूटने के कगार पर हैं, जिसे बाढ़ ने अपने आगोश में ले किसानों के सपने को चकनाचूर कर दिया।
नदी में गाद भरने से नहीं हो पाता जलनिकासी
काव नदी का जल निकास अवरूद्ध हो गया है। इसकी सफाई को ले कई बार सांसद, विधायक तथा अधिकारी से मांग की गई, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।
2023-24 में मनरेगा के तहत काव नदी की सफाई के नाम लाखों रुपये खर्च किए गए, लेकिन लूट-खसोट कर नदी की तलहटी में बसे किसानों को अपने भाग्य पर रोने के लिए छोड़ दिया गया।
लोगों का कहना है कि इटड़िया गांव के पास काव नदी में बने फाल अर्थात छलका लेबल की उंचाई अधिक हो जाने के कारण जलनिकास अवरूद्ध हो गया है।
जब तक उसका लेबल नीचे नहीं होगा तब बाढ़ से निजात पाना मुश्किल है। क्षेत्र के बुजुर्ग महेन्द्र पांडेय, राम स्वरूप राम बताते हैं कि ऐसी वर्षा आज से 30 साल पूर्व हुई है।
उधर सियावक-कुझी राजबाहा में आवश्यकता से अधिक पानी आ जाने से राजबाहा का पूर्वी तटबंध कई जगहों से टूट गया है।इससे भलुआही, कुझी, धावां, सियावक, इंद्रपुरवा गांव के धान की फसल डूब गई है। बाढ़ का पानी भलुआही मध्य विद्यालय में घुसने लगा है।
सीओ प्रणवेश कुमार ने कहा कि बाढ़ से अंचल क्षेत्र में हुई क्षति का आकलन करने के लिए हल्का कर्मचारी को भेजा जा रहा है। आंकलन रिपोर्ट जिला को भेजी जा रही है।
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