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    मशरूम की खेती व मधुमक्खी पालन ने बदली इस किसान की किस्मत, जानें कैसे बनाया लाखों का साम्राज्य?

    Updated: Tue, 19 Aug 2025 05:08 PM (IST)

    रोहतास जिले के करगहर प्रखंड के किसान संतोष कुमार सिंह ने मशरूम की खेती और मधुमक्खी पालन से अपनी तकदीर बदल दी। उन्होंने 2013 में मशरूम और 2023 में मधुमक्खी पालन शुरू किया। वे प्रतिवर्ष 10 क्विंटल मशरूम और 80 किलो शहद का उत्पादन करते हैं। अन्य किसान भी उनसे प्रेरणा ले रहे हैं।

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    मशरूम की खेती व मधुमक्खी पालन कर लखपति बने संतोष

    सुरेन्द्र तिवारी, करगह (रोहतास)। जुनून और दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कोई लक्ष्य मुश्किल नहीं होता। इसे रोहतास जिले के करगहर प्रखंड अंतर्गत तेंदुनी गांव निवासी किसान संतोष कुमार सिंह ने चरितार्थ कर दिखाया है। उन्होंने 2013 में मशरूम की खेती एवं 2023 में मधुमक्खी पालन शुरू किया। ग्रामीण क्षेत्र में इनका यह धंधा वरदान साबित हो रहा है।

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    उन्होंने बताया कि डेहरी प्रखंड के आयरकोठा निवासी किसान बाबा विरेंद्र सिंह से उन्हें प्रेरणा मिली थी। प्रतिवर्ष 10 क्विंटल मशरूम का उत्पादन एवं 80 किलो शहद का उत्पादन होता है। कृषि के अलावा किसानों की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए डेयरी, मशरूम, मधुमक्खी पालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय बन रहा है।

    संतोष सिंह से प्रेरणा लेकर प्रखंड के कमालपुर, सेमरी और तेंदुनी में अन्य किसान भी Beekeeping का व्यवसाय कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन, कृषि और बागवानी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    मधुमक्खियां फूलों में परागण क्रिया कर फसल उत्पादन में एक चौथाई वृद्धि करती हैं और फूलों के रस को शहद में बदल कर छत्तों में इकट्ठा करती हैं। बाजार में शहद की बढ़ती मांग के कारण मधुमक्खी पालन किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है। मधुमक्खियां कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ अतिरिक्त आमदनी का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

    कई किसानों को किया गया है प्रशिक्षित 

    तेंदुनी, कमालपुर और सेमरी गांव के लगभग पांच दर्जन किसानों को एक बक्सा मुफ्त देकर प्रशिक्षित किया गया है। प्रत्येक किसान को 90 प्रतिशत अनुदान पर मधुमक्खी पालन के लिए 20 बक्सा उपलब्ध कराने के लिए आवेदन पत्र जमा कराया गया है तथा वे उसका लाभ भी ले रहे हैं।

    संतोष सिंह बताते हैं कि जितना अधिक बक्सा का प्रयोग किया जाएगा, उतनी ही अधिक आमदनी प्राप्त की जा सकती है। किसान अगर 25 से 30 किलोमीटर दूसरी जगह मधुमक्खियों का बक्सा रखते हैं, तो प्रति बक्सा 40 से 50 किलो शहद का उत्पादन हो सकता है।

    उन्होंने बताया कि जब तक सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन के लिए अनुदान की व्यवस्था नहीं की जाती,भारी संख्या में तब तक किसान इस व्यवसाय में रुचि नहीं ले सकते।

    प्रतिवर्ष 10 क्विंटल होता है मशरूम उत्पादन 

    संतोष कुमार सिंह के अनुसार मशरूम की खेती से प्रतिवर्ष 10 क्विंटल उत्पादन होता है। ग्रामीण क्षेत्र में ही मशरूम 140 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक जाता है। प्रत्येक घर में इस छोटे व्यवसाय को शुरू किया जा सकता है।

    महिलाओं के लिए मशरूम वरदान साबित हो सकता है। सारा काम करते हुए चारपाई के नीचे भी मशरूम का उत्पादन कर सकती हैं। पुआल से मशरूम निकालने के बाद भूसा को वर्मी कंपोस्ट के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

    खासकर मशरूम में प्रयोग किए गए भूसा के अवशिष्ट को मवेशियों को भी खिलाया जा सकता है। इससे मवेशी का दूध व उसकी गुणवत्ता बढ़ सकती है, क्योंकि इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है।

    किसान की सरकार को सलाह 

    • मधुमक्खी पालन व्यवसाय को उद्योग के रूप में स्थापित कर किसानों को प्रोत्साहित किया जाए। 
    • कैमूर पहाड़ी के जंगलों से आच्छादित इस जिला के बड़े भूभाग में मधुमक्खी पालन कर हब के रूप में विकसित किया जाए।
    • औषधीय फूलों से बने शहद स्वास्थ्य एवं अन्य बीमारियों में सहायक सिद्ध होता है।
    • मधुमक्खियों पर कीटों के प्रकोप से बचाव के लिए वैज्ञानिक विधि की व्यवस्था की जाए।
    • रॉयल जेली व मधुमक्खियों का जहर निकालने के लिए वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग हो, ऐसी व्यवस्था की जाए।