जिले की विधि व्यवस्था से लेकर विकास तक की कमान सम्हाल रही आधी आबादी
महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र के बेहतरी में पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर ही नहीं बल्कि पुरूषों से आगे निकल रही हैं। चूल्हे चौके और घरों की चारदीवारी तक सिमित रहने की रूढि़वादी परंपराओं को तोड़ अब महिलाएं महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हो विकास के नित नए आयाम गढ़ रही हैं।

सासाराम (रोहतास) । महिलाएं अब किसी भी क्षेत्र के बेहतरी में पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर ही नहीं बल्कि पुरूषों से आगे निकल रही हैं। चूल्हे चौके और घरों की चारदीवारी तक सिमित रहने की रूढि़वादी परंपराओं को तोड़ अब महिलाएं महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हो विकास के नित नए आयाम गढ़ रही हैं। जिले की भी प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर सुरक्षा व्यवस्था की कमान अधिकांश महिला अधिकारियों के हाथ में है । इसे ये अधिकारी बखूबी निभा भी रही हैं। यदि हम बात करें सुरक्षा व्यवस्था की तो इसमें सबसे पहला नाम जुड़ता है वर्तमान बीएसएपी कमांडेंट व 2011 बैच की आइपीएस स्वप्ना जी मेश्राम का। इसके बाद ब्यूटी विथ ब्रेन के रूप में प्रचलित व 2019 बैच की तेज तर्रार आइपीएस डेहरी एसडीपीओ नवजोत सिमी का नाम शामिल है। इसी प्रकार प्रशासनिक व्यवस्था में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराती बिक्रमगंज एसडीएम आइएएस प्रियंका रानी, डेहरी डीसीएलआर श्वेता मिश्र, वरीय उप समाहर्ता अनु कुमारी, डेहरी अंचलाधिकारी अनामिका कुमारी समेत कई अन्य महिला अधिकारी वर्तमान में कार्यरत हैं। पंचायती राज व्यवस्था में जिला परिषद अध्यक्ष पूनम भारती, उपाध्यक्ष वंदना राज, सदर प्रखंड प्रमुख कौशल्या देवी समेत लगभग आधे से अधिक प्रखंडों और जिला परिषद का नेतृत्व महिलाएं कर रहीं हैं।
खुद की क्षमता का आकलन कर जगाएं आत्मविश्वास
किसी भी मुश्किल हालत में सभी को धैर्य के साथ काम लेना चाहिए। महिलाएं तो धैर्य व संयम की प्रतिमूर्ति मानी जाती हैं। महिलाओं को सभी क्षेत्र में बेहतर करने का प्रयास करने के बजाय खुद की क्षमता का आंकलन कर अपनी इच्छा के अनुरूप लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। युवा पीढ़ी को खुद का भविष्य संवारने के लिए सबसे पहले खुद को पहचानना आवश्यक है।
- स्वप्ना जी मेश्राम, आइपीएस, कमांडेंट, बीएसएपी सह महिला बटालियन दृढ़ इच्छाशक्ति ने डाक्टर से बना दिया आइपीएस
डाक्टर से आइपीएस बनने का सफर आसान नहीं रहा। पढाई के दौरान हर एक चीज पर पर फोकस रखना पड़ता है। पढाई के लिए परिवार का पूरा सहयोग मिला व ²ढ़ इच्छाशक्ति से वे यूपीएससी की परीक्षा पास कर आइपीएस बन पाईं। ट्रेनिग समाप्त होने के बाद यहां पर मेरी पहली पोस्टिग है। इस दौरान विधि व्यवस्था संधारण के बारे में काफी कुछ सीखने को मिला। हम अगर जिज्ञासु हैं तो जीवन में हर रोज हर कदम पर कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है। महिलाओं को किसी भी प्रकार मुश्किलों को अपने आगे नहीं आने देना चाहिए। यदि ऐसी स्थिति बनी भी तो हिम्मत और धैर्य से काम लें। माता-पिता भी बेटियों को पढ़ा लिखा कर उन्हें उनके पैरों पर खड़ा होने का मौका दें।
नवजोत सिमी, आइपीएस, एएसपी, डेहरी मन में ठान लीजिए हम किसी से कम नहीं
महिलाएं पुरुषों को हर क्षेत्र में टक्कर दे रही हैं। बेटियां पढ़ी तो समाज का फलक बदलने लगा। बस मन में एक बात ठान लें कि हम किसी से कम नहीं हैं। महिलाएं ग्रामीण स्तर की पंचायती राज व्यवस्था से लेकर प्रशासनिक व न्यायिक व्यवस्था की कमान सम्हाल रही है। यही बदलते भारत की पहचान है। महिलाएं आज जागरूक होकर पहले खुद आत्मनिर्भर हो रही हैं। इसके बाद स्वस्थ व सुशिक्षित समाज के नवनिर्माण में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। महिलाओं को घर के साथ साथ समाज और देश के आर्थिक और सामाजिक विकास तथा बेहतर प्रबंधन में मिसाल कायम कर रही हैं।
- प्रियंका रानी, आइएएस, एसडीएम, बिक्रमगंज अपनी क्षमता को पहचानें और लक्ष्य की ओर ध्यान दें
कानून के अनुसार विधिसम्मत कार्य करने का हरवक्त प्रयास किया। पढाई के दौरान हमेशा आगे रहने का प्रयास किया। इलाहबाद युनिवर्सिटी से हमें स्वर्ण पदक मिला। इसके बाद हमने नेट और पीएचडी की भी परीक्षा पास की। इसका मुझे लाभ नौकरी के दौरान मिल रहा है। महिलाओं के बारे में मेरी यह राय है कि महिलाएं कभी भी अपने आप को पीछे ना समझें। वो अपनी क्षमता को पहचानें और लक्ष्य की ओर ध्यान दें।
- श्वेता मिश्रा, भूमि सुधार उपसमाहर्ता, डेहरी
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