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    रोहतास में सोन की बाढ़ ने रोहतास में मचाई तबाही, हर साल कट रही रैयती भूमि

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 05:41 PM (IST)

    हाल के वर्षों से जल संसाधन विभाग या सरकार द्वारा प्रखंड क्षेत्र मे कटाव निरोधक काम नहीं कराया गया है जिसके कारण हर साल कटाव बढ़ता जाता है। यदुनाथपुर से शाहपुर तक करीब चालीस किलोमीटर मे सोन नदी पांच से दस फीट अपनी चौड़ाई बढ़ा लेती है। जिससे किसानों का रैयती भूमि सोन में विलीन होते जा रही है।

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    सोन के बाढ़ तेज धारा में हर साल कट जाता है रैयती भूमि

    संवाद सूत्र, नौहट्टा/रोहतास। प्रखंड क्षेत्र में हर साल बरसात के दिनों में सोन में बाढ़ आती है। यह बाढ़ नौहट्टा व रोहतास प्रखंड के दर्जनों गांव के रैयति भूमि को तेज गति से काटकर सोन में विलीन करती है। तेज धारा के प्रवाह के कारण सैकड़ों एकड़ रैयती भूमि का कटाव होता है। जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गयी है।

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    हाल के वर्षों से जल संसाधन विभाग या सरकार द्वारा प्रखंड क्षेत्र मे कटाव निरोधक काम नहीं कराया गया है जिसके कारण हर साल कटाव बढ़ता जाता है। यदुनाथपुर से शाहपुर तक करीब चालीस किलोमीटर मे सोन नदी पांच से दस फीट अपनी चौड़ाई बढ़ा लेती है। जिससे किसानों का रैयती भूमि सोन में विलीन होते जा रही है। वर्ष 2003 में आयी बाढ से बांदु गांव का पांच सौ एकड़ से अधिक रैयती भूमि का कटाव एक ही रात में हो गया। गांव और सोन की दूरी तीन सौ मीटर थी अब एक मीटर भी नहीं है।

    गंभीर स्थिति को देखते हुए जलसंसाधन विभाग ने गांव बचाने के लिए कटाव निरोधक कार्य कराया ।2006 मे बोल्डर पीचिंग का सोलिंग कर तार से क्रमशः तीन सौ मीटर, दो बार डेढ डेढ सौ मीटर, दो सौ मीटर आवश्यकतानुसार काम कराया गया था। लेकिन 2016 में तटबंध के उपर कोयल नदी की धारा नया धारा तैयार करने लगी। करीब दो सौ एकड़ से अधिक रैयती भूमि का कटाव की।

    यदि नया धारा बन जाता तो बांदू गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता इसके अलावा दारानगर भदारा खैरवा शेखपुरा सिंहपुर आदि करीब पंद्रह गांव पर खतरा मंडराने लगा था। पुनः जल संसाधन विभाग ने 2010 में जियो बैग मे बालू भरवाकर कटाव निरोधक काम कराया तब से बांदू का कटाव रूका है। लेकिन इस वर्ष पानी के धारा में जियो बैग बहने की बात भी किसान बताते हैं।

    बांदु गांव के नितेश पांडेय ने बताया कि जिओ बैग सोन की धारा में बहने लगा है जिससे मिट्टी की कटाव की आशंका बढ़ गई है। यहां पर कटाव निरोधक कार्य की आवश्यकता है अन्य गांवों का कटाव लगातार जारी है। बेलौंजा गांव से भदारा गायघाट तक (करीब तीन किलोमीटर) तक कृषि कार्य के लिए किसान सोन किनारे रैयती जमीन परती छोड़ देते हैं ताकि ट्रैक्टर आसानी से आ जा सके।

    सोन किनारे की जमीन बलूई होने के कारण कीचड़ नहीं होता। बरसात के दिन में सोन की धारा रास्ता को बहाकर ले जाती है। यदुनाथपुर मटियांव नावाडीह कला, अमहुआ, नावाडीह खूर्द, तिअरा कला, तिअरा खूर्द. परछा पंडुका पडरिया तिउरा, नौहट्टा, उल्ली में सोन नदी की धारा प्रभावित करती है वही बांदू से सोन नदी में कोयल नदी मिलती है। दोनों नदी के मिलान बिंदु के कारण तेज कटाव होती है। कोयल की धारा काफी तेज होती है। सोन के साथ कोयल मिलकर बांदू, भदारा, दारानगर बेलौंजा सिंहपुर बलिआरी मे तेज कटाव करती है।

    सोन की धारा से हो रहे कटाव को रोकने के लिए पूर्व विधायक ललन पासवान ने जलसंसाधन विभाग से मांग की है। स्थानीय लोगों के द्वारा भी बार-बार कटाव निरोधक काम करने के लिए जल संसाधन विभाग मे प्रस्ताव भेजवाया जाता है लेकिन प्रस्ताव को पर सुनवाई नहीं हो पाता है। सोन के कटाव हर साल होने तथा सरकार द्वारा कोई तटबंध संबंधी काम नहीं होने के कारण किसानों में आक्रोश भी है। यदि कटाव निरोधक कार्य नौहट्टा में नहीं कराया गया तो बहुत जल्द सोन तटवर्तीय क्षेत्र के खेती की भूमि सोन नदी मे बिलीन हो जाएगी।

    अंचलाधिकारी हिंदुजा भारती ने बताया कि कटाव का जायजा लेकर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से बातचीत की जाएगी। प्रयास किया जाएगा कि तटबंध निर्माण का कार्य जिस विभाग से होता है कराया जाए।