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आर्थिक अपराध इकाई ने बैंक घोटाले में शुरू की कार्रवाई

आम लोगों ने जब आरटीआइ को हथियार बनाया तो बैंकों में किसानों के ऋण देने के नाम पर

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 08:39 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 06:16 AM (IST)
आर्थिक अपराध इकाई ने बैंक घोटाले में शुरू की कार्रवाई
आर्थिक अपराध इकाई ने बैंक घोटाले में शुरू की कार्रवाई

आम लोगों ने जब आरटीआइ को हथियार बनाया तो बैंकों में किसानों के ऋण देने के नाम पर लूटखसोट का पर्दाफाश हुआ। बार-बार शिकायत करने के बाद भी बैंक अधिकारी कार्रवाई के नाम पर मूकदर्शक बने तो मामला मुख्यमंत्री सचिवालय व पीएमओ तक पहुंचाकर प्राथमिकी दर्ज करवाई। जिले के दिनारा प्रखंड मुख्यालय स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा में वर्ष 2016 और 2017 में फर्जी एलपीसी के आधार पर बैंक द्वारा 216 लोगों को केसीसी लोन के नामपर 3.70 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। आरटीआइ से मामला उजागर होने के बाद वर्ष 2018 में बैंक के दोषी चार अधिकारियों को निलंबित किया गया व फर्जीवाड़ा के मामले में अब भी कार्रवाई जारी है।

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बताया जाता है कि इस मामले में पीएमओ व मुख्यमंत्री सचिवालय में दिनारा के आरटीआइ कार्यकर्ताओं द्वारा शिकायत किए जाने के बाद कार्रवाई शुरू हुई। कुछ ऐसे लोगों को भी एलपीसी बना दिया गया जो न तो संबंधित गांव के निवासी थे, और नही उनकी कोई जमीन थी। संबंधित अंचल कार्यालय ने भी एलपीसी को फर्जी करार दिया था। बैंक ऑफ बड़ौदा के उप महाप्रबंधक की लिखित शिकायत के बाद सामने आए इस चौंकाने वाले मामले में आर्थिक अपराध इकाई की पटना शाखा ने प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। घोटाले में बैंक के चार तत्कालीन अधिकारियों समेत 15 आरोपितों को नामजद किया गया है।

दर्ज प्राथमिकी में बैंक ऑफ बड़ौदा की दिनारा शाखा के तत्कालीन प्रबंधक प्रमोद कुमार, सुरेश प्रसाद सिन्हा, अनूप कुमार और क्रेडिट अधिकारी राजेंद्र प्रसाद तथा लाभार्थी चंद्र पासवान, सत्येंद्र पासवान, अरुण कुमार, परमहंस पांडेय, अवध किशोर पांडेय, कृष्णा पांडेय, बबन सिंह, कृष्ण बिहारी सिंह , विनोद राम, कृष्णा कुमार, शिवकुमार, देवेंद्र यादव, वीरेंद्र पाठक व अन्य को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। आरोप है कि वर्ष 2015 से 2017 के बीच बैंक के तत्कालीन नामजद आरोपितों ने 216 लोगों से तालमेल कर साजिश के तहत फर्जी भू स्वामित्व प्रमाणपत्र, फर्जी मालगुजारी रसीद और फर्जी बंध दस्तावेज के आधार पर 3.70 करोड़ रुपये का कर्ज स्वीकृत कर दिया था। लाभार्थियों ने राशि बैंक से निकाल ली थी। अब आर्थिक अपराध इकाई ने शेष वैसे लोग की सरगर्मी से तलाश में जुट गई है जिनपर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। बैंक के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नामजद बैंक कर्मियों से बैंक प्रबंधन ने काफी हद तक राशि की वसूली भी कर चुकी है। दोषी बैंक कर्मियों के अलावा फर्जी एलपीसी पर किसान बने व्यक्तियों से लगभग दो करोड़ की राशि वसूल हो चुकी है।


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