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    रोहतास में चिकित्सक दंपत्ति ने बनवाया वातानुकूलित पुस्तकालय, बच्चे कर रहे हैं निःशुल्क पढ़ाई

    डॉ सिंह सर्जन हैं और उनकी नौकरी कई बड़े-बड़े शहर में भी हो रही थी लेकिन उन्होंने इसके लिए अपना गांव और शहर चुना। यहां एक किराए के मकान में अपना अस्पताल खोला और सैकड़ों लोगों को काल के गाल से निकालने में कामयाब रहे। अपने कार्य और कर्त्तव्यनिष्ठा के बदौलत नाम और दाम दोनों कमाया।

    By Parth Sarthi Pandey Edited By: Radha Krishna Updated: Mon, 18 Aug 2025 04:00 PM (IST)
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    चिकित्सक दंपत्ति ने बनवाया वातानुकूलित पुस्तकालय, बच्चे कर रहे हैं निःशुल्क पढ़ाई

    संवाद सहयोगी, बिक्रमगंज, रोहतास। शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो पियेगा वही दहाड़ेगा। भारत रत्न डॉ भीम राव अंबेडकर की इस वाक्य को चरितार्थ कर रहे हैं बिक्रमगंज के एक चिकित्सक दंपत्ति। बिक्रमगंज के धारुपुर के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में डॉ कामेंद्र सिंह और उनकी पत्नी डॉ सोनम सिंह ने अपने गांव के युवाओं के लिए सुशिक्षित समाज बनाने के लिए वह कर दिया, जो बड़े बड़े दिग्गज भी नहीं कर पाते हैं। ये लोग इस क्षेत्र के लोगों के लिए एक आदर्श हैं।

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    डॉ सिंह सर्जन हैं और उनकी नौकरी कई बड़े-बड़े शहर में भी हो रही थी, लेकिन उन्होंने इसके लिए अपना गांव और शहर चुना। यहां एक किराए के मकान में अपना अस्पताल खोला और सैकड़ों लोगों को काल के गाल से निकालने में कामयाब रहे। अपने कार्य और कर्त्तव्यनिष्ठा के बदौलत नाम और दाम दोनों कमाया। इनका गांव धारुपुर जो किसी न किसी कारण से दबंग गांव माना जाता रहा है, यह बात उन्हें ठीक नहीं लगी।

    उनके गांव के लोग छोटे बड़े काम करके सम्मान के साथ अपना जीवन यापन करते हैं। लेकिन इस मिथ्या को तोड़ने और गांव के युवकों को शिक्षा से जोड़ने के लिए एक भव्य वातानुकूलित पुस्तकालय अपने पिता के नाम से बनवाया। पुस्तकालय में छह लाख से अधिक रुपये की किताबें हैं। इस पुस्तकालय में प्रतिदिन काफी संख्या में बच्चे आकर पढ़ते हैं। यहां लड़कियों के लिए अलग से व्यवस्था है। इस काम मे उन्हें अपनी चिकित्सक पत्नी का भी सहयोग मिला।

    पुस्तकालय में सभी उम्र के लोगों के लिए हैं पुस्तकें

    डॉ कामेंद्र सिंह ने बताया कि पुस्तकालय में सभी तरह की पुस्तकें उपलब्ध है। जैसे इंजीनियरिंग, मेडिकल में दाखिले की तैयारी, सामान्य, बैंकिंग प्रतियोगिता की तैयारी, जीके, एनसीईआरटी, विभिन्न वर्ग के कोर्स की किताबें, मनोरंजन, शिक्षाप्रद, उपन्यास, मुंशी प्रेमचंद, मैथली शरण गुप्त, स्वामी विवेकानंद, शेक्सपियर, डॉ भीम राव अंबेडकर, गीता प्रेस की धार्मिक पुस्तकें, वेद, उपनिषद, बाइबल, कुरान शरीफ सहित काफी संख्या में पुस्तक उपलब्ध हैं।

    पुस्कालय के रखरखाव के लिए कर्मी है। इस पुस्तकालय में न सिर्फ उनके गांव के बल्कि आसपास और दूर दराज से भी लोग आते व पढ़ते हैं। यह पुस्तकालय सभी के लिए निःशुल्क है। पुस्तकालय में शुद्ध पेयजल की भी व्यवस्था है।

    पुस्तकालय के आसपास है मनोरम दृश्य

    नहर के समीप बने इस पुस्तकालय के आसपास जहां एक ओर प्राचीन मां काली का भव्य मंदिर है वहीं दूसरी ओर भगवान शिव का भव्य मंदिर। उन्होंने यहां एक पार्क भी नंद वाटिका बनवाया है और फब्बारा भी लगवाया है। जब बच्चे पढ़ते-पढ़ते उबते हैं तो पार्क का मजा लेते हैं।

    कई हस्तियां यहां पुस्तकालय व पार्क देखने आए

    पुस्तकालय व पार्क के निर्माण के बाद यहां भारतीय विदेश सेवा के डॉ राकेश पाण्डेय, डॉ पारुल पाण्डेय प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ उत्तम प्रकाश, डॉ अखिलेश सिंह, डॉ समरेन्द्र सिंह, कर्नल डॉ जितेंद्र सिंह, डॉ सिद्धनाथ सिंह एडीजे अमित राज, सुनिल सिंह, डॉ उमाशंकर सिंह अधिवक्ता राममूर्ति सिंह, राजेश्वरी सिंह आईएएस प्रियंका रानी, आईपीएस डॉ के रामदास स्थानीय विधायक अरुण सिंह भी देखने जा चुके हैं और इसकी सराहना किया है।

    कहते हैं ग्रामीण

    इस गांव के निवासी संजय तिवारी, कामेश्वर सिंह, ओम नारायण सिंह ने बताया कि पुस्तकालय, पार्क व मंदिर के पुनरुद्धार से यहां अत्यंत मनोरम दृश्य शाम में दिखता है और यहां देर शाम तक ग्रामीणों का आना जाना रहता है। उक्त लोगों ने चिकित्सक दंपत्ति की सराहना किया।