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    रोहतास में तीन नदियों के संगम पर स्थित है दसशीशानाथ महादेव, सावन में लगती है भीड़

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 05:05 PM (IST)

    तीन नदियों के संगम पर स्थित है दसशीशानाथ महादेव सोन नदी के मध्य धारा में सोन उतर कोयल व सरस्वती नदी के संगम पर बाबा दसशीशानाथ महादेव शिवलिंग स्थापित है।लाखो की संख्या मे बिहार झारखंड छत्तीसगढ़ के लोग जलाभिषेक करते है।महत्वपूर्ण स्थान होने के बावजूद राज्य के पर्यटन विभाग की नजरों से ओझल है।

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    दसशीशानाथ महादेव तीन नदियों के संगम पर स्थित है।

    विनय कुमार पाठक जागरण, नौहट्टा  प्रखंड क्षेत्र के बान्दू गांव के पास सोन नदी के मध्य धारा में सोन, उतर कोयल व सरस्वती नदी के संगम पर बाबा दसशीशानाथ महादेव शिवलिंग स्थापित है। सावन महीने में यहां पहुंच कर पूजा करना एक बड़े तप से भी कठिन है। नदी के बीच धारा में होने के कारण नाव के द्वारा यहां पर भक्त पहुंचते हैं।

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    बाढ़ के बावजूद भी भक्त जान हथेली पर लेकर शिवलिंग का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं । सावन महीने के सोमवारी को निश्चित रूप से भक्त पहुंचकर पूजा पाठ एवं जलाभिषेक करते हैं।

    बान्दु गांव के ग्रामीणों का मानना है कि हजारों वर्ष से इस शिवलिंग का पूजा पाठ हो रहा है। यह शिवलिंग त्रेतायुगीन है। रावण द्वारा स्थापित होने की बात बताई जाती है, जिससे इनका नाम दसशीशानाथ महादेव है।

    ग्रामीणों ने बताया कि कैलाश पर्वत से शिवलिंग लेकर लंकापति रावण इसी रास्ते लंका जा रहा था की लघु शंका लगने पर यहां रख दिया। उसके बाद शिवलिंग नहीं उठ पाया । इसके अलावा ऐसी मान्यता भी है कि महिष्मती के राजा सहस्त्रबाहु अपने रानियों के साथ सोन नदी में जल किलोल कर रहा था। इसी समय रावण सोन में शिवलिंग स्थापित कर पूजा करने लगा।

    सहस्त्रबाहु द्वारा सोन नदी की जल प्रवाह को अवरुद्ध कर देने के कारण रावण क्रोधित हो गया। और दोनों के बीच इसी स्थल पर युद्ध हुआ था। सावन के अलावे फागुन महाशिवरात्रि के अवसर पर मेला का आयोजन होता है। यह मेला प्राचीन काल से चला आ रहा है। लाखो की संख्या मे बिहार झारखंड छत्तीसगढ़ के लोग जलाभिषेक करते है। महत्वपूर्ण स्थान होने के बावजूद राज्य के पर्यटन विभाग की नजरों से ओझल है।

    जिसके कारण इस स्थान का विकास नहीं हो पा रहा है। कोई भी जनप्रतिनिधि सांसद विधायक इस स्थान की महत्ता को लेकर कार्य नहीं कराया है। भक्त लोग कठिनाई से पहुंच कर पूजा पाठ करते हैं लेकिन जिला प्रशासन की ओर से भी भक्तों के प्रति कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है। पहुंचने के लिए यदि सुगम मार्ग स्थापित हो जाए तो इस स्थान तक लोगों को पहुंचना आसान हो जाएगा।

    यहां के पुजारी पुरुषोत्तम पाठक ने बताया कि जो भी भक्त यहां पर पूजा पाठ किए हैं उनकी मनोकामना पूर्ण हो गई है । यदि जिलाप्रशासन व पर्यटन विभाग का नजर इस ऐतिहासिक स्थान पर पड़े तो यह स्थान आज देखने योग्य हो जाय । क्षेत्र के लोग तीन नदियों के संगम पर स्थित बाबा दसशीशानाथ महादेव के शिव लिंग के पास अनेक अवसरों पर अखण्ड कीर्तन का कार्यक्रम भी आयोजित करते है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त इस स्थान की सुन्दरता देखने योग्य है सोन नदी मध्य धारा में होने के कारण पर्यटन के लिहाज से यहाँ काफी कुछ है बस इसे पर्यटन विभाग द्वारा संवारने की आवश्यकता है।

    यह स्थान डेहरी ऑन सोन रेलवे स्टेशन से 55 किलो मीटर दक्षिण में स्थित है । यह आस्था का केन्द्र है। सोन नद के बीच धारा में कोयल सोन व सरस्वती नदी के संगम पर स्थापित दसशीशानाथ महादेव का स्थान । तीन नदियों के संगम पर होने के कारण इस स्थान की सुंदरता मनोरम दृश्य देखने लायक है ।नौहट्टा प्रखण्ड के बान्दू गांव से करीब आधा किलो मीटर दक्षिण में सोन नदी के मध्य धारा में विशाल शिलाखण्ड पर बने चबूतरे पर शिवलिंग विराजमान है ।

    कैलश पर्वत और बांदू गांव के शिव लिंग को मानचित्र पर भी देखा जाय तो उसके रास्ते मे यह स्पष्ट नजर आता है । बान्दु गांव निवासी नितेश पांडेय ने बताया कि सोन नदी में स्थित चबूतरे के बगल में चट्टानों पर प्राचीन काल के राजाओं के नाम अंकित है । जिन्होंने इस स्थान का दर्शन पूजन किये है ।इस स्थान पर कुल 16 शिलालेख है। जो विभिन्न राजाओं द्वारा अपने अपने शासन काल मे लिखवाए गए है । इसमें एक शिलालेख खयरवाल वंश की है ।

    जिसमें 12वीं सदी से लेकर 16 वी सदी तक कि वंशावली अंकित है । महाराज उदय धवल प्रताप धवल देव विक्रम धवल देव सहस धवल व अन्य राजाओं ने शिवलिंग की पूजा अर्चना की थी ।फ्रांसिस बुकानन ने यात्रा वृतांत इस शिवलिंग को द्वारिश्वर महादेव नाम दिया था। आशुतोष पांडेय ने बताया कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूर्ण होती है ।

    सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय कोरोल व पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश अंशुमन पांडेय ने दो बार दसशीशानाथ की पूजा की। माननीय कोरोल ने बताते है कि दसशीशानाथ महादेव का द्वादश ज्योतिर्लिंग के तरह महत्व है। दसशीशानाथ पहुंचने पर आत्मिक शांति मिलती है।

    इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील सौरभ तिवारी ने भी गत वर्ष यहां पहुंच कर शिवलिंग के दर्शनकर पूजा पाठ किया था। बताया कि इस शिवलिंग के जलाभिषेक से इच्छित फल की प्राप्ति हो जाती है।