सुभाषचंद्र बोस की स्मृति को संजोए आज भी खड़ा है डालमियानगर सीमेंट कारखाना
नेताजी सुभाषचद्र बोस की स्मृति को संजोए आज भी डालमियानगर सीमेंट कारखाना का ढांचा खड़ा है। नेताजी ने डालमियानगर के रोहतास उद्योग समूह परिसर में 82 वर्ष पूर्व मार्च 1938 में देश के सबसे बड़े सीमेंट कारखाना का उद्घाटन किया था।
नेताजी सुभाषचद्र बोस की स्मृति को संजोए आज भी डालमियानगर सीमेंट कारखाना का ढांचा खड़ा है। नेताजी ने डालमियानगर के रोहतास उद्योग समूह परिसर में 82 वर्ष पूर्व मार्च 1938 में देश के सबसे बड़े सीमेंट कारखाना का उद्घाटन किया था। उस समय वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष थे। रोहतास उद्योग समूह 1984 में बंद हो परिसमापन में चला गया। बंदी के बाद रोहतास उद्योग पुंज का सुनहरा अतीत अब जमींदोज होने की ओर बढ़ रहा है। इस उद्योग परिसर को रेलवे ने क्रय कर लिया हैं। जहां अब रेल बैगन मरम्मत, रेल बैगन निर्माण व कॉप्लर के कारखाना लगाने की प्रक्रिया चल रही है।
प्रख्यात उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया ने यहां डालमियानगर औद्योगिक परिसर में 1933 में पहले चीनी कारखाना लगाया। इसके बाद यहां उद्योगों का विस्तार प्रारंभ हुआ और सीमेंट कारखाना, कागज, वनस्पति, साबुन, कास्टिक सोडा, केमिकल, एस्बेस्टस समेत 219 एकड़ के इस विशाल परिसर में तेजी से 13 कारखाने खड़े हो गए तथा इसकी गिनती एशिया के सबसे बड़े उद्योग पुंज में होने लगी।
1933 में यहां लगा था पहला कारखाना:
यहां 1933 में चीनी कारखाना के बाद 1937 में बिहार के उस समय के राज्यपाल रहे सर मौररिस हालेट ने सीमेंट कारखाना का शिलान्यास किया। शाहाबाद गजेटियर के अनुसार मार्च 1938 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने उद्घाटन किया था। 500 टन प्रतिदिन उत्पादन की क्षमता का यह कारखाना उस समय के देश का पहला सबसे ज्यादा उत्पादन क्षमता का कारखाना था। सीमेंट कारखाना की मशीन डेनमार्क से मंगाई गई थी। इसके बाद यहां उद्योग का जाल बिछ गया। अविभाजित बिहार का टाटा के बाद यह दूसरे सबसे बड़े उद्योग समूह में इसकी गिनती होती थी। उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया का महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, डॉ राजेंद्र प्रसाद समेत सभी स्वंतत्रता सेनानियों से मधुर संबंध थे। स्वतंत्रता आन्दोलनकारियो को वे तन ,मन व धन देकर सहयोग करते थे। अंग्रेजो के शासन में देश के स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेताओ से कारखानों का उद्घाटन इसके गवाह है। इतिहास बन गया सीमेंट कारखाना:
जुलाई 1984 में यह उद्योग समूह बंद हो गया। 2007 में रेलवे ने 219 एकड़ में फैले इस उद्योग परिसर को क्रय किया। सितंबर 2018 से यहां लगे सभी कारखाने के आइरन काटकर कबाड़ की बिक्री शुरू हो गई। कबाड़ हटाने का कार्य अब लगभग अंतिम चरण में है। रेल बैगन मरम्मत कारखाना के निर्माण को टेंडर रेलवे की अनुसंगी राइट्स ने कर दी है।