चक्रवाती हवा-बारिश से धान व आलू फसल बर्बाद, किसान कर रहे मुआवजे की मांग
काराकाट में चक्रवाती हवा और बारिश से किसानों की धान और आलू की फसल बर्बाद हो गई है, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ है। लगातार बारिश के कारण खेतों में खड़ी फसल गिर गई है। किसानों का कहना है कि 42% से अधिक धान की फसल बर्बाद हो गई है और उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग से मुआवजे की मांग की है। कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को खेतों से पानी निकालने की सलाह दी है।

जागरण संवाददाता, रोहतास। काराकाट चक्रवाती हवा व वर्षा ने प्रखण्ड के किसानों की चिंता बढ़ा दी है। चुनावी चर्चा के बीच उन्हें धान व आलू फसल की बर्बादी की चिंता सताने लगी है।गुरुवार के शाम से रुक -रुक कर लेकिन लगातार हवा के साथ हुई वर्षा से किसानों की खड़ी धान की फसल खेतों में गिर गई है। इससे अधिकाधिक फसल का नुकसान हुआ है।
किसानों के अनुसार 20 घण्टे से लगातार हो रही बेमौसम की इस वर्षा से किसानों की 42 प्रतिशत से अधिक धान की फसल बर्बाद हुई है। पिपरा निवासी विजय यादव आदि किसानों का कहना है कि हवा और वर्षा से धान में लगे फूल झड़ जाने से उसमें दाने नहीं लग पाएंगे।
गिरे धान की फसलों की बर्बादी तय
जबकि खेतों में जमे पानी में गिरे धान की फसलों की बर्बादी तय है। किसान मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सुनील पासवान ने धान की फसल की भारी नुकसान होने की दवा करते हुए किसानों को आपदा प्रबंधन विभाग से क्षतिपूर्ति दिलाने की मांग की है।
अमरथा के अनिल सिंह ने कहा कि लगातार हो रही वर्षा से किसानों के अधिकाधिक धान की फसल बर्बाद हुई है। गोविंद भोग व 52 बीटी यानी कतरनी का अधिक नुकसान हुआ है। उसी गांव के अनिल कुमार राम व अशोक सिंह की पत्नी देवन्ति देवी ने कहा कि उनका तो कमर ही टूट गया है। नगदी पर खेती किए थे,धान की सारी फसल खेत में गिर पड़ी है।
धान व आलू दोनों को बर्बाद किया
अमौरा के बिरेन्द्र सिंह ने कहा कि बेमौसम की बरसात ने धान व आलू दोनों को बर्बाद किया है। कहतीं में पानी लगने से फसल की जड़ सड़ सकती हैं। इटवां के रामबदन सिंह ने कहा कि लगातार हो रही बेमौसम वर्षा से चना, गेंहू आदि रबी फसल की बुआई पर भी असर पड़ेगा।
कृषि वैज्ञानिक डॉ रविन्द्र कुमार जलज के अनुसार मौसम का बदलाव दो नवम्बर तक बने रहने का अनुमान है। लगातार हो रही चक्रवाती बारिश से धान,आलू व रबी बुआई करने वालों के लिए नुकसानदेह है।
तापमान में आई गिरावट से धान की बाली निकलने में विलम्ब होगा। जिन खेतों में धान की फसल गिरी है, या आलू के खेतों में पानी जमा हो उन खेतों से पानी निकालने का शीघ्र प्रयास करना होगा। ताकि फसल व पके हुए धान के डंठल को सड़ने से बचाव हो सके।

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