नोखा विधानसभा: धान के कटोरे में बंद हो गई राइस मिलों की धड़कन
जिले के सात विधानसभा में से एक नोखा विधानसभा क्षेत्र शुरू से ही राजनीतिक ²ष्टिकोण से समृद्ध रहा है। नोखा राजपुर व नासरीगंज प्रखंड को मिलाकर बने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले या तो सूबे में मंत्री पद को प्राप्त करते रहे हैं या फिर राष्ट्रीय राजनीति में अपने को स्थापित कर चुके हैं।
प्रवीण दूबे, सासाराम : रोहतास। जिले के सात विधानसभा में से एक नोखा विधानसभा क्षेत्र शुरू से ही राजनीतिक ²ष्टिकोण से समृद्ध रहा है। नोखा, राजपुर व नासरीगंज प्रखंड को मिलाकर बने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले या तो सूबे में मंत्री पद को प्राप्त करते रहे हैं, या फिर राष्ट्रीय राजनीति में अपने को स्थापित कर चुके हैं। औद्योगिक ²ष्टिकोण से भी धान के कटोरे के रूप में पहचान बनाए जिले का यह क्षेत्र कभी चावल उद्योग का हब था। लेकिन सरकारी उदासीनता व बदलते माहौल में अब यह उद्योग संकट में है। इस बार के विधानसभा चुनाव में इस उद्योग की पुनस्र्थापना एक बड़ा मुद्दा है। हजारों मजदूर हुए बेरोजगार:
नोखा के दर्जनों राइस मिल या तो बंद हो चुके हैं या बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं, जिसके चलते हजारों मजदूरों के रोजगार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कभी अकेले नोखा में कुल दो दर्जन राइस मिल संचालित होते थे। यहां से ट्रकों पर लादकर चावल बांग्ला देश तक जाता था। यहां का चावल मंडी पूरे बिहार में प्रसिद्ध था, लेकिन उद्योग की सुस्ती से चावल मंडी में सन्नाटा पसरा हुआ है। आंकड़ों पर नजर डालें, तो एक राइस मिल में औसतन 75 से 80 लोगों को रोजगार मिलता था। किसानों, व्यवसायियों को भी अच्छी आमदनी हो जाती थी। लेकिन राइस मिल बंद होने के चलते रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। मिल बंद होने के कारण ट्रांसपोर्टर, होटल व ब्रोकर कार्य में लगे लोगों के समक्ष भी बेरोजगारी छा गई है। एक एक कर बंद हो गई राइस मिलें: कभी रोजगार के स्त्रोत साबित हो रहे जिले की राइस मिलें एक-एक कर बंद हो गई। धान का कटोरा कहे जाने वाला नोखा क्षेत्र को कभी राइस मिलों की नगरी कहा जाता था। 1948 में अन्नपूर्णा जी राइस मिल की स्थापना की गई थी। उसके बाद लगातार राइस मिलें खुलती गई। एक समय था, जब नोखा, राजपुर व नासरीगंज प्रखंड में तीन दर्जन से अधिक राइस मिलें हुआ करती थीं। लेकिन अब नोखा में महज पांच बड़ी राइस मिल ही बची हैं, जो उसना चावल के बदले अब अरवा चावल बना रही हैं। राइस मिल की बदहाली से किसानों को अपना धान बेचने की समस्या आ खड़ी हुई है। मजदूरों का पलायन भी बढ़ा है। विदेशों तक जाता था चावल:
कभी नोखा स्टेशन रोड स्थित चावल मंडी व्यवसायियों की चहल-कदमी से गुलजार हुआ करता था । 80 के दशक में नोखा का चावल बांग्लादेश, भूटान तक के व्यवसायी नोखा आकर चावल ट्रांसपोर्ट कर ले जाते थे। लेकिन 2010 के बाद मिलों की स्थिति धीरे-धीरे खराब होती चली गई। सरकारी उदासीनता व गलत नीति के कारण क्षेत्र के राइस मिल बंद होते गए। 1990 में सिर्फ नाोखा में ही 26 बड़ी राइस मिल थी। 2020 में महज पांच बची हैं, वह भी घाटे में चल रही हैं। मजदूरों के साथ सैकड़ों ट्रांसपोर्टर भी बेरोगार हो गए। नोखा के चावल उद्योग ने अपना पहचान खो दिया है। इस समस्या को लेकर मिलरों का प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से भी मिला था, लेकिन अबतक कोई फायदा नहीं हुआ। दुर्गा जी राइस मिल के संचालक जितेंद्र सिंह कहते हैं कि पैक्स की गलत नीति व सरकार के गलत फैसले से राइस मिल व्यवसाय दम तोड़ रहा है। बाजार में चावल लेने के लिए ग्राहक नहीं हैं। किसान की धान खरीद नहीं हो रही है। छोटे मिलर चावल पैक्स को देते हैं, जब कि बड़े मिलर सरकार को कई तरह के टैक्स देते हैं। जिसका नतीजा है कि बड़े मिल बंद हो रहे हैं। नोखा विधानसभा क्षेत्र से अबतक के विधायक 1952-57 रघुनाथ प्रसाद साह - कांग्रेस
19 57-62 जगदीश प्रसाद - कांग्रेस 1962-67 गुठली सिंह - कांग्रेस
1967-69 गुठली सिंह - कांग्रेस 1969-72 जगदीश ओझा - जनता पार्टी
1972-77 जगदीश ओझा - कांग्रेस 1977-82 गोपाल नारायण सिंह - जनता पार्टी
1982- 85 जंगी सिंह चौधरी - जनता दल 1985- 90 सुमित्रा देवी - कांग्रेस
1990-95 जंगी सिंह चौधरी - जनता दल 1995- 2000 आनंद मोहन सिंह- जनता दल
2000 - 2005 रामेश्वर चौरसिया - भाजपा 2005- रामेश्वर चौरसिया - भाजपा
2005-10 रामेश्वर चौरसिया - भाजपा 2010-15 रामेश्वर चौरसिया - भाजपा
2015-20 अनिता देवी, राष्ट्रीय जनता दल
ये डालेंगे वोट : वोटरों की संख्या : कुल मतदाता : 289522 पुरुष मतदाता : 152003
महिला मतदाता : 137506 थर्ड जेंडर : 13
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