Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सदियों पुरानी हैं मां तुतला भवानी

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 23 Sep 2017 03:06 AM (IST)

    जिले के तिलौथू प्रखंड स्थित मां तुतलेश्वरी भवानी की प्रतिमा अति प्राचीन है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    सदियों पुरानी हैं मां तुतला भवानी

    रोहतास । जिले के तिलौथू प्रखंड स्थित मां तुतलेश्वरी भवानी की प्रतिमा अति प्राचीन है। यह मंदिर मनोवांछित फल प्राप्ति को लेकर प्रसिद्ध है। शारदीय नवरात्र की नवमी व श्रावण पूर्णिमा को तिलौथू प्रखंड के अधिकांश गांवों के लोग पहले तुतलेश्वरी माता की पूज- अर्चना कर ही अपने कुलदेवता की पूजा-अर्चना करते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शारदीय व बासंतिक नवरात्र में पूरे नौ दिनों के मेले का आयोजन होता है। मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो यहां अशुद्ध विचार से जाता है, उसे भ्रामरी देवी (भंवरा) का प्रकोप झेलना पड़ता है। दर्जनों लोगों के साथ घटनाएं घटी है। यहां बकरे की बलि देने का रिवाज है। पूरे रोहतास व कैमूर जिले में मंदिर से सटे इस प्रकार का जल प्रपात कहीं नहीं है।

    इतिहास :

    तुतला भवानी का धाम जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर तिलौथू प्रखंड में कैमूर पहाड़ी की तलहटी में है। फ्रांसिसी बुकानन ने अपने यात्रा वृतांत में लिखा है कि वह 14 सितम्बर 1812 ई. को यहां पहुंचा। उसने लिखा है कि यह प्रतिमा प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है। वहां देवी की दो प्रतिमाएं है। एक पुरानी और खंडित मूर्ति है, जबकि दूसरी नई है। प्रतिमा के आस-पास कई शिलालेख हैं। पुराना शिलालेख शारदा लिपि में आठवीं सदी का है, जो अपठित है। बाद का शिलालेख बारहवीं सदी के खरवार नायक राजा प्रताप धवल देव का है। 19 अप्रैल 1158 ई. में मां दुर्गा की दूसरी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के समय लिखा गया है। खुद खरवार नायक ने दूसरी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई है। उस समय खरवार राजा का पूरा परिवार मौजूद था। इसकी पुष्टि शिलालेख करता है। घाटी के सटे कछुअर नदी बहती है। देवी की प्रतिमा गड़वाल कालीन मूर्ति कला का सुंदर नमूना है। देवी अष्टभुजी हैं। प्रतिमा में दैत्य महिष की गर्दन से निकल रहा है, जिसे देवी अपने दोनों हाथो से पकड़कर त्रिशूल से मार रही हैं।

    कहते हैं सचिव :

    मां तुतला भवानी धाम के विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है। इसे राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने की कवायद शुरू है। मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन डेहरी आन-सोन है। वहीं निकटतम बस स्टैंड रामडिहरा आन-सोन है। यह बस स्टैंड एनएच-2 सी (डेहरी-यदुनाथपुर पथ) पर अवस्थित है। यहां से पांच किमी पश्चिम कैमूर पहाड़ी की घाटी में जाना पड़ता है। इसके लिए आटो रिक्शा उपलब्ध है। मंदिर से 100 मीटर की दूरी तक सड़क बनी हुई है।

    धर्मेंद्र ¨सह, सचिव

    मां तुतला भवानी धाम विकास समिति

    कहते हैं पुजारी :

    यह धाम अति प्राचीन है। धाम तक पहुंचने का रास्ता नहीं है। इस कारण अन्य दिनों में कम लोग पहुंचते हैं। हालांकि नवरात्र व सावन में यहां काफी भीड़ रहती है। मार्ग का निर्माण होने पर धाम में सैलानियों के आने-जाने का सिलसिला शुरू हो सकता है।

    नुनु बाबा, पुजारी