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    Bihar Election: जहां मंच से PM मोदी ने भरी थी हुंकार, वहां BJP को नहीं मिली एक भी सीट

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 02:13 PM (IST)

    रोहतास जिले में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिलने से कार्यकर्ताओं में निराशा है। प्रधानमंत्री मोदी की रैली के बाद कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि भाजपा का प् ...और पढ़ें

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)

    संवाद सहयोगी, बिक्रमगंज (रोहतास)। काराकाट विधानसभा क्षेत्र के बिक्रमगंज में करीब चार माह पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 30 मई को हुई ऐतिहासिक सभा ने भाजपा कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भर दी थी।

    हजारों की भीड़ और जबरदस्त जनसैलाब ने कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया था कि आगामी विधानसभा चुनाव में रोहतास जिले में भाजपा का परचम और बुलंद होगा।

    कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री के आगमन से विकास योजनाओं की नई सौगात के साथ-साथ भाजपा की राजनीतिक स्थिति भी मजबूत होगी। कार्यकर्ताओं का उत्साह देखते बन रहा था। भाजपा समर्थकों में उत्सव जैसा माहौल था।
    लेकिन सीट बंटवारे के बाद जो स्थिति बनी, उसने कार्यकर्ताओं के उत्साह पर पानी फेर दिया।

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    पूरे रोहतास जिले में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली है। जिले की सभी सीटें सहयोगी दलों को दे दी गई हैं। इस अप्रत्याशित निर्णय से पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक गहरे सदमे में हैं। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा कि जिस जिले को भाजपा का गढ़ माना जाता था, वहां पार्टी का नाम तक नहीं रहेगा।

    डेहरी विधानसभा सीट से पिछली बार भाजपा प्रत्याशी सत्यनारायण सिंह यादव महज 400 मतों के अंतर से हारे थे। कार्यकर्ताओं को पूरा भरोसा था कि इस बार यह सीट भाजपा को ही मिलेगी, लेकिन वह सीट भी लोजपा के खाते में चली गई। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया है।

    हालांकि, शेष छह सीटों पर भी एनडीए को पराजय का सामना करना पड़ा। शहर के चाय दुकानों से लेकर गांवों के चौक-चौराहों तक भाजपा समर्थकों में मायूसी का माहौल है। जो कार्यकर्ता कभी भाजपा और उसके नेताओं की प्रशंसा करते नहीं थकते थे, वे अब चुप्पी साधे हुए हैं।

    यदि यह चुप्पी मतदान तक बनी रही तो एनडीए को जिले में भारी नुकसान हो सकता है। अब देखना यह होगा कि शीर्ष नेतृत्व इसे कैसे ठीक करता है।

    भाजपा, जिसने कभी कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया था, आज रोहतास में खुद भाजपा मुक्त होती नजर आ रही है। जिले की राजनीति में इसे भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

    स्थानीय नेताओं का कहना है कि यदि समय रहते पार्टी नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं की भावनाओं को नहीं समझा, तो इसका खामियाजा पूरे एनडीए को चुनाव परिणामों में भुगतना पड़ सकता है।