36 वर्ष बाद भी समस्याओं के मकड़जाल में फंसा है बिक्रमगंज अनुमंडल मुख्यालय
अनुमंडल मुख्यालय होने के बावजूद शहर विकास की रोशनी से कोसों दूर है। इस अनुमंडल का गठन 36 वर्ष पूर्व 1984 में हुआ था। लेकिन आज भी यहां के लोग बुनियादी ...और पढ़ें

अनुमंडल मुख्यालय होने के बावजूद शहर विकास की रोशनी से कोसों दूर है। इस अनुमंडल का गठन 36 वर्ष पूर्व 1984 में हुआ था। लेकिन आज भी यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं। हालांकि नगर पंचायत को नगर परिषद बनाने को ले स्थानीय लोगों की काफी दिनों से चली आ रही मांग तो पूरी हो गई, पर अन्य समस्याएं यथावत हैं। अब बिक्रमगंज अनुमंडल को जिला बनाने की मांग भी जोर पकड़ रही है।
भवन के अभाव में अनुमंडल कार्यालय व्यापार मंडल व केन यूनियन के भवन में चलता है। इस अनुमंडल के बाद बने कई अन्य अनुमंडलों में अपने निजी भवन में कार्यालय, कोषागार कार्यालय सहित कई कार्यालय बन गए, लेकिन यहां भवन के अभाव में ट्रेजरी कार्यालय में अभी प्रखंड कार्यालय चलता है। जबकि अंचल कार्यालय अभी भी पुरानी बिल्डिग में चल रहा है। वहीं प्रखंड कार्यालय को किसी तरह मरम्मत कर उसमें चकबंदी कार्यालय चल रहा है। अनुमंडल का बीआरसी भवन भी वर्षों से आधा-अधूरा पड़ा है। फिलहाल बीईओ का कार्यालय एक पुराना भवन में है। अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी का भी अपना कार्यालय नहीं है और वह मार्टिन लाइट रेलवे के जर्जर भवन में किसी तरह चल रहा है। वहीं नगर पंचायत से नगर परिषद बने इस शहर में बस, जीप, ऑटो, रिक्शा आदि के लिए के लिए कोई स्थाई स्टैंड नहीं है। जिससे बस संचालक जहां मर्जी वहीं स्टैंड घोषित कर वाहन पार्क कर देते हैं। यही स्थिति जीप स्टैंड, ऑटो स्टैंड, रिक्शा व ठेला स्टैंड का भी है। माप तौल विभाग कार्यालय भवन के अभाव में अभी भी सासाराम में चलता है। शहरवासियों का कहना है कि शहर चारों ओर से अतिक्रमण की गिरफ्त में है, लेकिन प्रशासन लाचार है। लोगों का कहना है सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण यहां विकास की रोशनी अब भी कोसों दूर है। वहीं पूर्व विधायक व भाजपा नेता राजेश्वर राज का कहना है कि भूमि अधिग्रहण करा भवन निर्माण विभाग को कार्यालय भवन बनाने का प्रस्ताव वे भिजवाए थे, जिसपर कार्य भी आगे बढ़ा था। उम्मीद है कि जल्द ही यहां सरकारी कार्यालयों के लिए भवन की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाएगी।

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