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    बिहार के इस गांव में 70 सालों से वोट मांगने नहीं आया कोई नेता, किसी ने नहीं देखा कैसे दिखते हैं सांसद या विधायक

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 01:09 AM (IST)

    रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड में कैमूर पहाड़ी पर बसा फुलवरिया गांव आज भी विकास से वंचित है। 1952 से यहाँ किसी नेता ने वोट नहीं माँगा। ग्रामीण 12 किलोमीटर दूर पैदल चलकर वोट डालते हैं, क्योंकि उन्हें वोटर लिस्ट से नाम कटने का डर है। यहाँ न सरकारी योजनाएँ पहुँचती हैं, न शुद्ध पेयजल है। ग्रामीण फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर हैं और अधिकारियों से शिकायत के बाद भी कोई समाधान नहीं हुआ है।

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    70 सालों से वोट मांगने नहीं आया कोई नेता

    सुधीर कुमार सिंह, तिलौथू (रोहतास)। बिहार विधानसभा चुनाव में वोट के लिए प्रत्याशियों ने शहर के साथ ही ग्रामीण व पहाड़ी क्षेत्रों में भी भाग दौड़ शुरू कर दी है। इनमें तिलौथू प्रखंड के रामडीहरा पंचायत का कैमूर पहाड़ी पर बसा एक गांव है फुलवरिया जहां 1952 के पहले आम चुनाव से लेकर आज तक किसी भी दल का कोई प्रत्याशी वोट मांगने के लिए नहीं पहुंचा है । 

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    12 किलोमीटर रास्ते तय कर वोट देना मजबूरी

    हैरानी की बात तो यह है कि इस गांव मे कई बुजुर्ग आज तक किसी सांसद या विधायक तक को नहीं देखा है। यहां के मतदाताओं को लगभग 12 किलोमीटर रास्ते तय कर अपना वोट डालने पैदल पहाड़ी रास्ते से चुरेसर गांव आना जाना पड़ता है।

    उन्हें इस बात का डर है कि अगर वे लोग मतदान करने नहीं जाएंगे तो कहीं वोटर लिस्ट से नाम न कट जाए। प्रखंड के रामडिहरा पंचायत के अंतर्गत आने वाले इस गांव में ना ही सरकारी योजनाओं का जायजा लेने कोई अधिकारी आते हैं न इस गांव के लिए कोई योजना का चयन ही हो पाता है। 

    पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाई

    यहां तक की पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाई। नतीजा उन्हें दो किलोमीटर की दूरी से पानी लाना पड़ता है। शुद्ध पेयजल की व्यवस्था स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग या पंचायत के किसी भी मद से नही हो सकी है, जिससे प्रखंड मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूरी पर राष्ट्रीय उच्च पथ 119 पर मैदानी इलाके में बसे इस गांव के लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीने को विवश है। 

    ग्रामीण बताते हैं कि इस मामले को लेकर मुखिया समेत ग्रामीणों ने कई बार लिखित शिकायत निवर्तमान विधायक सह पूर्व मंत्री मुरारी प्रसाद गौतम, जिला पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी समेत स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग से भी कर चुके है।

    मुखिया अनीता टोप्पो कहती हैं कि पूर्व में यहां से तीन किलोमीटर रसूलपुर गांव में एक करोड़ रुपए की लागत से स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा निर्मित पानी टंकी से पेयजल की आपूर्ति होती थी। किंतु जब एनएच 119 सड़क का निर्माण होने के क्रम में पाइप क्षतिग्रस्त हो जाने से जलापूर्ति ठप पड़ गई। 

    सड़क निर्माण की राशि में ही उक्त पाइप लाइन को बनाने की राशि भी समाहित थी। किंतु अभी तक पाइप को दुरुस्त नहीं किया जा सका। और ना ही मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी नल जल योजना के तहत इस वार्ड में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था कराई गई। 

    80 फीट गहराई तक का पानी फ्लोराइड युक्त

    फलस्वरूप गांव के लोग रसूलपुर गांव से या सोन नदी से पीने का पानी लाते हैं। इस गांव में 80 फीट गहराई तक का पानी फ्लोराइड युक्त है। कहीं-कहीं सरकारी चापाकल लगाए गए हैं। किंतु उससे फ्लोराइड युक्त पानी मिलता है। जिसकी जानकारी सभी अधिकारियों को है। इस मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता अमरदीप कुमार ने भी राज्य सूचना आयोग तक सूचना के अधिकार से जवाब मांगा।किंतु अभी तक समस्या यथावत है।

    शंकर खरवार ने कहा कि रिंग कल के पानी पीने से गैस के साथ पेट से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां होती है। दांत भी खराब हो जाते है।जोड़ से संबंधी बीमारी भी होती है। यह पानी मानव के साथ साथ पशुओं के लिए भी नुकसानदेह है।

    रोहित खरवार ने कहा कि पांच वर्षों से जनप्रतिनिधि से अधिकारियों तक गुहार लगाई गई, किंतु अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो सका।आज भी सोन नदी किनारे लगे रिंग कल से हमलोग पानी लाते है।

    इस वार्ड में पेयजल व्यवस्था के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर लोगो को पेयजल सुलभ कराने के लिए वरीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है।जैसे ही कोई दिशा निर्देश आता है, आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।- अबू वकर, कनीय अभियंता-पीएचईडी