सुखी जीवन के लिए हो लक्ष्य का निर्धारण
बिक्रमगंज : रोहतास। प्रत्येक मनुष्य की इच्छा होती है कि वह सुखमय जीवन व्यतीत करे। अपने परिवेश्
बिक्रमगंज : रोहतास। प्रत्येक मनुष्य की इच्छा होती है कि वह सुखमय जीवन व्यतीत करे। अपने परिवेश में विलासिता पूर्ण जीवन व्यतीत करनेवाले लोगों को देखकर यह इच्छा और भी बलवती हो जाती है। ¨कतु वास्तविकता यह है कि चाहने मात्र से सुख की प्राप्ति नहीं होती, बल्कि इसके लिए नियत समय तथा विशेष रुचि के अनुसार लक्ष्य का निर्धारण करना पड़ता है। प्रत्येक सफल मनुष्य की सफलता का राज इसी में निहित है कि उसने अपने जीवन को अपने लक्ष्य के अनुसार ढाला है। लक्ष्य का निर्धारण करना तथा उसकी प्राप्ति के लिए पूरी ताकत व समर्पण करना सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है। सफल हो जाने के बाद मनुष्य को आत्मिक संतुष्टि की अनुभूति होती है। यह तो शाश्वत सत्य है कि संतोष ही सुख का आधार है।
लक्ष्यविहीन मनुष्य का जीवन उस नौका के समान है जिसका कोई खेवैया नहीं। वह नौका हवा की दिशा के अनुसार अपना रूख बदलती रहती है। लक्ष्यविहीन मनुष्य परिश्रम तो करता है, किन्तु वह परिश्रम उसकी उदरपूर्ति तक ही सीमित रह जाता है। अब प्रश्न उठता है कि लक्ष्य का निर्धारण किस प्रकार किया जाए, उसका स्वरूप कैसा हो? लक्ष्य के चुनाव में व्यक्तिगत रुचि का बहुत बड़ा महत्व है। किसी भी कार्य में जब रुचि का मिश्रण हो जाये तो व्यक्ति ज्यादा उर्जावान होकर कार्य करता है। बहुत सारे युवा अपने घर-परिवार, अपने पड़ोसियों या अपने मित्रों के कथनानुसार अपना कार्य क्षेत्र चुनते है, किन्तु यह उनके लिए बोझ ही साबित होता है। अत: हमेशा अपनी क्षमता तथा रुचि के अनुसार ही लक्ष्य तय करना चाहिए, ताकि उसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रयास करने में आनंद आए।
दूसरी बात ध्यान देने वाली यह है कि व्यक्तिगत रुचि के साथ-साथ हमारा लक्ष्य समाजोपयोगी भी हो। अपने सुख की ¨चता करना संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है। महापुरुषों का इतिहास इस बात का साक्षी है कि उन्होंने अपना सुख त्याग कर मानवमात्र की सेवा में ही अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन का लक्ष्य स्वार्थ आधारित नहीं बल्कि परमार्थ आधारित होना चाहिए। समय रहते लक्ष्य की योजना बनाकर उसपर अमल करना भी सफल होने की आवश्यक शर्त है।
एक कहावत है, का वर्षा जब कृषि सुखाने। इस कहावत को हम बचपन से सुनते आ रहे हैं। सफल जीवन के लिए समय का मैनेजमेंट बहुत जरूरी है। विद्यार्थी जीवन में तय किया गया लक्ष्य ही भविष्य में फलीभूत होता है। अर्थात यदि समय रहते ही लक्ष्य का निर्धारण किया जाए व सतत परिश्रम होता रहे तो निश्चित रूप से सफलता कदम चूमेगी। क्योंकि लक्ष्य का निर्धारण वह कुंजी है, जो भाग्य के बंद दरवाजों को भी खोल देती है। जिस दिन हमने अपना लक्ष्य तय कर लिया उसी दिन से हम उसकी प्राप्ति के लिए प्रयास शुरू कर देते हैं। लगातार किया गया परिश्रम सफलता का मार्ग खोलती है। सुख की आस में भटकते मनुष्य को उस समय यही अनुभूति होती है, मानों रेगिस्तान में भटके हुए प्यासे को पानी मिल जाए।
कुमारी अर्चना ¨सह, प्राचार्य
द डिवाइन पब्लिक स्कूल, बिक्रमगंज, रोहतास
अंधेरे में दीपक के समान है लक्ष्य
जीवन में लक्ष्य का निर्धारण अंधेरे रास्ते में उस दीपक के समान है, जिसका सहारा लेकर पथिक अपने गंतव्य तक पहुंच सकता है। लक्ष्यविहीन मनुष्य प्रतिदिन नई योजनाएं बनाता है तथा पुन: विचलित होकर हताश व निराश होकर बैठ जाता है।
लक्ष्य का निर्धारण अपनी क्षमता व रूचि के अनुसार होना चाहिए। यह लक्ष्य के प्रति रूचि व समर्पण ही था, जिसके बल पर एकलव्य द्रोणाचार्य की मूर्ति को गुरु मानकर अभ्यास करते-करते महान धनुर्धर बन गया। लक्ष्य अपने निजी स्वार्थ पर आधारित नहीं होना चाहिए।
राघवेन्द्र नारायण पांडेय, शिक्षक
द डिवाइन पब्लिक स्कूल, बिक्रमगंज
जीवन में उद्देश्य जरूरी
जीवन का एक उद्देश्य होना चाहिए। उद्देश्यहीन जीवन का मतलब घने कोहरे में गाड़ी चलाना है। सबसे पहले हमे ये पता होना चाहिए कि आखिर लक्ष्य है क्या? अगर सफलता पौधा है, तो लक्ष्य ऑक्सीजन है। लक्ष्य हमें प्रेरित करता है। सबके लिए सफलता के अलग-अलग मायने हैं। अत: जीवन में सर्वप्रथम अपना लक्ष्य तय करें तथा उसी के अनुरूप परिश्रम करें, तभी जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है। जीवन में आगे बढ़ना है, तो बड़े लक्ष्य बनाइए व उन्हें हासिल करके ही दम लीजिए।
श्वेता ¨सह, शिक्षिका
द डिवाइन पब्लिक स्कूल, बिक्रमगंज
लक्ष्य के प्रति लगन जरूरी
दुनिया में ऐसा कोई भी इंसान नहीं होगा, जिसे सुखी जीवन नहीं चाहिए। लेकिन जीवन को सुखी बनाने के लिए लक्ष्य का निर्धारण होना चाहिए। लक्ष्य के निर्धारण के लिए हमें सबसे पहले अपना ²ष्टिकोण भी बदलना होगा। प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हमें परेशान नहीं होना चाहिए। उसे अनुकूल बनाने की कोशिश करनी चाहिए। जो लोग असफल होते हैं, उनकी सफलता का राज लक्ष्य के प्रति उनके समर्पण में ही छिपी है। जीवन को सुखी बनाने के लिए निरंतर सीखना भी चाहिए। सुखी जीवन के लिए लक्ष्य के साथ-साथ परिश्रम, धैर्य व लगन होना भी बहुत आवश्यक है।
अनुराधा ¨सह, शिक्षिका
द डिवाइन पब्लिक स्कूल, बिक्रमगंज
रुचि के अनुसार हो लक्ष्य
सभी की मंशा होती है कि वो जीवन में श्रेष्ठ बनें। लेकिन यह आसान नहीं है, क्योंकि इस होड़ में एक नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग शामिल हैं। हमें दूसरों को देखकर नहीं अपने लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुसार चलना चाहिए। स्कूल की पढ़ाई ही सबसे बड़ी चीज नहीं होती, बल्कि हमें अपनी रुचि व सुविधा के अनुसार लक्ष्य तय करना चाहिए। हम जो भी काम करें उसमें अपनी पूरी लगन, निष्ठा, परिश्रम व एकाग्रचित होकर करना चाहिए। अगर आप इतना कर लेते हैं, तो फिर दुनिया में कोई ऐसी ताकत नहीं है, जो आपको सफल होने से रोक ले।
शहनाज बेगम, कक्षा- 4
द डीपीएस, बिक्रमगंज
सोच-विचार कर हो लक्ष्य का निर्धारण
सबसे पहले हमें जीवन का मतलब समझना चाहिए। जीवन का अर्थ है कि हम उससे संतुष्ट हैं। इसका एक अर्थ यह भी है कि हमारी जितनी भी इच्छाएं हैं, वह पूर्ण हो जाएं। लक्ष्य का निर्धारण हमें बहुत ही सोच-विचार करके तय करना चाहिए। हमें अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी, लगन व निष्ठा रखनी चाहिए, वह तभी पूर्ण होगा। एक बात और कि हमारा लक्ष्य सही दिशा की ओर होना चाहिए।
हिमांशु कुमार ¨सह, कक्षा- 5
द डिवाइन पब्लिक स्कूल, बिक्रमगंज
जीवन व लक्ष्य में दीया-बाती का है संबंध
सुखी जीवन के लिए लक्ष्य का निर्धारण उतना ही जरूरी है, जैसे दीप को जलने के लिए बत्ती की जरूरत होती है। बिना लक्ष्य के हमारा जीवन उसी प्रकार अधूरा है, जिस प्रकार तेल और घी से भरी हुई दीप भी बत्ती के बिना अधूरा रह जाता है। इस भवसागर में रास्ते व किनारे तो अनेक हैं, पर मुसाफिर के लिए अपनी मंजिल तय ही करनी पड़ती है। अगर मंजिल तय नहीं है, तो जीवन रूपी नाव दरिया के किस किनारे लगेगी, इसका पता नहीं।
सृष्टि कुमारी, कक्षा- 5
द डिवाइन पब्लिक स्कूल, बिक्रमगंज
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