जुगाड़ का आविष्कार रद्दी से गद्दी तैयार
पूर्णिया। घर में पुराने कपड़े हैं तो उससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। इन रद्दी कपड़
पूर्णिया। घर में पुराने कपड़े हैं तो उससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। इन रद्दी कपड़ों से गद्दी, तोसक तकिया और रजाई तैयार की जा रही है। मशीन में इन कपड़ों को डाल रुई बना दिया जाता है और इसकी भराई की जाती है। जुगाड़ गाड़ी पर लगाई गई यह मशीन भी जुगाड़ों से ही बनी है। छह लोगों की टीम गांव-घर में घूम-घूमकर गद्दी तैयार कर रहे हैं।
घरों में पुराने कपड़े किसी काम के नहीं रहते। सूती कपड़े तो कई काम आ जाते हैं लेकिन ¨सथेटक कपड़े बेकार पड़े रहते हैं। बेकार पड़े ये कपड़े घर में जगह तो छेंकते ही हैं साथ चूहों का आशियाना भी बन जाते हैं। ऐसे में ये कपड़े परेशानी का कारण बन जाते हैं। लेकिन जुगाड़ टेक्नोलॉजी के इस युग में हर काम के लिए जुगाड़ निकल ही आता है। ऐसा ही एक जुगाड़ नजर आया चूनापुर में। छह लोगों की टीम पुराने कपड़ों से गद्दी तैयार कर रहे थे। मशीन में पुराने कपड़े डालते जो रुई की शक्ल में बोरे से बने एक चेंबर में जमा हो रहे थे। इस रुई से आप गद्दी, तोसक, तकिया, रजाई जो चाहें बना सकते हैं। जिस जुगाड़ गाड़ी पर यह मशीन लगी है उसी से यह संचालित भी होती है। इसके संचालक अपने साथ कपड़े भी लिए होते हैं आप अपनी पसंद के कपड़े का खोल इसमें लगा सकते हैं। तैयार करने में जुटे लोगों से पूछने पर बताया कि किलो के हिसाब से कपड़ों की धुनाई कर रुई तैयार करते हैं, बनवाने वाले जो कपड़ा पसंद करते हैं उसमें इसे भर दिया जाता है। इसके बाद सिलाई कर दी जाती है। कहा कि इससे आप कुर्सी-सोफा पर रखने वाली छोटी गद्दी बनवाएं या सोने के लिए बड़ा गद्दा बनवाएं या फिर ओढ़ने के लिए रजाई तैयार करवाएं इसमें अहसास रुई वाला ही मिलेगा। कहा कि सूती कपड़े से तैयार रुई ज्यादा नर्म होती है जबकि ¨सथेटिक कपड़ों की रुई थोड़ा कड़ा होती है। कपड़ा कोई भी हो इन्हें परेशानी नहीं है। लोग अपने हिसाब से तैयार करवाते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।