हिला देगी इस जालसाज की कहानी... तीन करोड़ का Cryptocurrency, बैंक खातों में मिले ढाई करोड़; 10 देशों में किया निवेश
Cyber Crime Latest News सुपौल का मास्टरमाइंड हर्षित चीन वियतनाम थाइलैंड सहित पांच देशों की यात्रा कर चुका है। साइबर ठगी के पैसों का हर्षित ने 10 देशों में निवेश किया है। उसके बैंक खातों में ढाई करोड़ मिले। जबकि तीन करोड़ का क्रिप्टो करेंसी में निवेश कर रखा है।

राजीव कुमार, पूर्णिया। Cyber Crime Latest News सुपौल के गौसपुर से गिरफ्तार हर्षित कुमार के खिलाफ जांच का दायरा जैसे-जैसे बढ़ रहा है, उसी तरह उसके संबंध में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। आर्थिक अपराध इकाई ने उसे गिरफ्तार किया है। इस मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि इस साइबर ठग ने अपने गिरोह के लिए कोसी एवं सीमांचल के जिलों के लोगों के नाम से पांच हजार से अधिक मोबाइल सिम हासिल कर उसका फर्जीवाड़ा में उपयोग किया।
कोसी एवं सीमांचल के जिलों के अलावा उसके द्वारा बिहार के कई जिलों सहित बंगाल, झारखंड एवं ओडिशा, दिल्ली, गोवा, यूपी सहित कई राज्यों से पचास हजार से अधिक मोबाइल सिम हासिल कर उसका उपयोग भी करता रहा। जांच के बढ़ते दायरे को देखते हुए आर्थिक अपराध इकाई इस गिरोह के मास्टर माइंड हर्षित को फिर से रिमांड पर लेने की तैयारी में जुट गई है।
पांच देशों की यात्रा की थी
जांच में सुपौल जिले के गौसपुर निवासी हर्षित कुमार के पांच देशों की विदेश यात्रा करने के संबंध में भी अहम जानकारी हाथ लगी है। इन देशों में चीन, वियतनाम एवं थाइलैंड शामिल हैं। ईओयू यह पता कर रही है कि इन यात्राओं का मकसद क्या था? ठगी से कमाई गई अकूत संपत्ति का हर्षित द्वारा 10 देशों में निवेश करने के बारे में भी पता चला है। हाल के वर्षों में बिहार में भी हर्षित ने अकूत संपत्ति बनाई है। ईओयू को हर्षित के बैंक खातों में ढाई करोड़ की राशि जमा होने की जानकारी मिली है। इसकी निकासी पर रोक लगा दी गई है।
क्रिप्टो करेंसी के दो एक्सचेंज में हर्षित के दो खातों की जानकारी मिली है। अभी तक के मूल्यांकन में तीन करोड़ से अधिक की राशि होने की जानकारी मिलती है। ईओयू की साइबर विंग ने सुपौल के गौसपुर से हर्षित कुमार को गिरफ्तार किया था। हर्षित के पास से आठ सिम बाक्स डिवाइस और सैकड़ों सिम कार्ड के अलावा कई बैंकों के पासबुक, एटीएम एवं क्रेडिट कार्ड बरामद किए गए थे।
इंटरनेट मीडिया का किया दुरुपयोग
हर्षित फेसबुक एवं अन्य इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से चीन, वियतनाम, कंबोडिया, थाइलैंड, जर्मनी, हांगकांग एवं अन्य देशों के नागरिकों के संपर्क में आया और उनके टेलीग्राम ग्रुप में शामिल हो गया। इसके बाद हर्षित ने वियतनाम और चीन से चार-चार सिम बाक्स डिवाइस प्राप्त किया। इन डिवाइसों के माध्यम से समानांतर एक्सचेंज का संचालन किया जा रहा था। इनमें कंबोडिया, थाइलैंड एवं अन्य देशों में अवस्थित साइबर स्कैम के अड्डों से साइबर धोखाधड़ी के लिए काल किए जा रहे थे। वीओआइपी काल को लोकल जीएसएम काल में बदलकर देश के विभिन्न हिस्सों के नागरिकों से साइबर धोखाधड़ी की जा रही थी।
कई जिलों में किया नेटवर्क का विस्तार
सिम बाक्स चलाने के लिए बड़ी संख्या में सिम कार्ड की आवश्यकता थी। हर्षित ने इसके लिए बिहार के कई जिलों पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, भागलपुर, मुंगेर, जमुई, औरंगाबाद के अलावा झारखंड के पाकुड़ व जामताड़ा सहित कई जिलों में अपने नेटवर्क का विस्तार किया। पाकुड़ निवासी सुमित शाह ने मार्च महीने से हर्षित को लगभग 1000 सिम कार्ड की आपूर्ति कर दी थी।
सुमित शाह स्वयं सुल्तान नामक व्यक्ति से सिम कार्ड लेता था। सुल्तान ने हर्षित को लगभग 400 सिम कार्ड उपलब्ध कराए थे। हर्षित और सुल्तान की मुलाकात हाजीपुर में कई बार हुई थी। मु. सुल्तान एक कामन सर्विस सेंटर का संचालक है। वह कई फर्जी सरकारी योजनाओं में लाभार्थी बनाने का झांसा देकर गांवों में कैंप लगाकर लोगों का बायोमीट्रिक डेटा इकट्ठा करता था। इसी डेटा के सहारे सिम कार्ड प्राप्त किए जाते थे।
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