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    रुपौली से जीतने वाले तीसरे निर्दलीय प्रत्‍याशी हैं शंकर, स्वतंत्रता सेनानियों के बसेरे के रूप में रही है इलाके की पहचान

    Updated: Sun, 14 Jul 2024 11:16 AM (IST)

    Rupauli By Election Result शंकर सिंह रुपौली विधानसभा क्षेत्र के तीसरे विधायक हैं जो निर्दलीय लड़कर चुनाव जीते हैं। लोगों ने दिल खोल कर 24 साल के उनके अनवरत संघर्ष का पुरस्कार दिया है। क्षेत्र से पहली बार 39 साल पहले सन 1990 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सरयू मंडल काे जीत मिली थी। सन 2000 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बीमा भारती विजयी रही।

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    रुपौली से निर्दलीय चुनाव जीतने वाले शंकर सिंह व पूर्व विधायक बीमा भारती। (फाइल फोटो)

    मनोज कुमार, पूर्णिया। सन 1951 से अस्तित्व में रहे रुपौली विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने एक बार फिर बेहद चौंकाने वाला फैसला दिया है। निर्दलीय शंकर सिंह दलीय प्रत्याशियों के हर चक्रव्यूह को भेदते हुए विजय पताका लहरा दी है।

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    शंकर सिंह इस विधानसभा के ऐसे तीसरे विधायक हैं, जिनके सिर निर्दलीय विजेता का ताज सजा है। 24 साल के उनके अनवरत संघर्ष का पुरस्कार लोगों ने दिल खोल कर दिया है।

    रुपौली विधानसभा के 73 साल के सफर में यह तीसरा व काफी अहम पड़ाव रहा है। इस क्षेत्र की पहचान स्वतंत्रता सेनानियों के बसेरे के रूप में रही है।

    39 साल पहले सामाजिक कार्यकर्ता ने निर्दलीय जीता था चुनाव 

    गठबंधन की राजनीति में दो मजबूत धारा के बीच अपनी कश्ती को शंकर का निकाल ले जाना, दलीय क्षत्रपों तक को चौंका दिया है।

    रुपौली विधानसभा क्षेत्र से पहली बार 39 साल पहले सन 1990 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सरयू मंडल काे जीत मिली थी।

    सरयू मंडल की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में थी और वे लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहते थे। उनका मृदु स्वभाव लोगों को खूब भाया और लोगों ने उन्हें सिर ताज सजा दिया।

    इसके ठीक दस साल बाद जातीय संघर्ष की आग में जल रहे रुपौली में फैजान सरगना अवधेश मंडल की पत्नी बीमा भारती मैदान में उतरीं।

    वर्ष 2000 में बीमा ने निर्दलीय दर्ज की थी जीत

    सन 2000 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में बीमा भारती विजयी रही। इसके ठीक 24 साल बाद शंकर सिंह के सिर लोगों ने ताज सजा दिया है।

    शंकर सिंह लोजपा-रामविलास में थे। राजग में यह सीट जदयू में खाते में जाते ही उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और मैदान में उतर गए।

    24 साल से क्षेत्र में लगातार उनकी मौजूदगी पर जनता उनसे मुंह नहीं मोड़ पायी और खुले दिल से उनका समर्थन किया।

    इसी का परिणाम रहा कि वे जदयू के कलाधर मंडल को आठ हजार से अधिक मतों से पराजित करने में सफल रहे।

    24 साल बाद छिना बीमा का ताज

    सर्वाधिक जीत का रिकार्ड राजनीतिक गलियारों में शंकर सिंह की जीत के साथ बीमा भारती की हार पर भी चर्चा हो रही है।

    बीमा भारती इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि 24 साल बाद उनके सिर का ताज छिन गया है। रुपौली विधानसभा क्षेत्र से सर्वाधिक जीत दर्ज करने का रिकार्ड उनके नाम है।

    लोकसभा चुनाव में वे जदयू विधायक पद से इस्तीफा देकर राजद की प्रत्याशी बनी थी। उस चुनाव में उन्हें बहुत कम मत मिले थे।

    इस स्थिति में फिर से वे रुपौली उप चुनाव में राजद प्रत्याशी के रूप में उतरीं, लेकिन इस बार भी उन्हें मात खानी पड़ी।

    वे तीसरे स्थान पर रही। सन 2000 से रुपौली का पर्याय बन चुकी बीमा भारती के लिए राजनीतिक चुनौती अब बढ़ चुकी है।

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