डोर टू डोर भ्रमण कर टीबी रोगियों की हो रही है खोज
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। टीबी एक संक्रामक रोग है। वर्ष 2025 तक देश से टीबी जैसी संक्रामक बीमारी के

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। टीबी एक संक्रामक रोग है। वर्ष 2025 तक देश से टीबी जैसी संक्रामक बीमारी के उन्मूलन का वर्ष रखा था। जिला यक्ष्मा केंद्र डोर टू डोर भ्रमण कर टीबी रोगियों की खोज अभियान चला रहा है। कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है।
जिले में संदिग्ध रोगियों के खोज अभियान में सावधानी बरतने का निर्देश दिया गया है।संदिग्धों में रोग पुष्टि दर जिले में अभी महज 60 फीसद है। इसको अस्सी फीसद तक करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए कर्मियों सावधानी संदिग्धों को तलाशने का प्रशिक्षण दिया गया है।
संचारी रोग पदाधिकारी डा. साबिर ने बताया कि जिले में हर माह के अंतिम सप्ताह में टीबी यक्ष्मा केंद्र सभागार में टीबी चैंपियनों की बैठक होती है। डोर टू डोर भ्रमण कर रोगियों की तलाश अभियान चलाया जा रहा है। टीबी मरीजों को जागरूक करने के साथ ही उन्हें प्रेरित भी करना है। दवा खाने के दौरान अगर किसी प्रकार की कोई परेशानी हो रही हो तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सकों के पास जाकर उपचार करायें। दवा खाने के समय किसी भी तरह की कोई मादक पदार्थ या नशीली दवाओं का सेवन नहीं करें। टीबी के मरीजों को दवा तब तक खानी है जब तक कि चिकित्सक द्वारा बंद करने के लिए सलाह नहीं दी जाती है। नियमित रूप से दवा का सेवन करना बेहतर विकल्प:-
टीबी चैंपियन अपने-अपने टीबी यूनिट में मरीजों की जानकारी मिलने पर उनसे मिलते हैं और परामर्श दिया जाता है। टीबी संक्रमित होने के बाद मरीजों की मानसिक स्थिति को जानना भी आवश्यक है। टीबी मरीज के साथ रहने वाले परिवार के अन्य सदस्यों की स्क्रीनिग करना भी प्रमुख दायित्व होता है। इसके बाद स्थानीय स्तर पर सामुदायिक स्तर पर बैठक का आयोजन कर पौष्टिक आहार खाने, रहन-सहन, नियमित रूप से दवा सेवन करने, घर से बाहर निकलते समय मास्क का प्रयोग करने, खांसने या छींकते समय मुंह को किसी कपड़े या हाथ से ढंकने जैसी जरूरी बातें बताई जाती है।
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