Pappu Yadav: पप्पू यादव के पंच पर ओवैसी का बड़ा दांव, अब फंसेगा I.N.D.I.A का गणित!
पूर्णिया सीट राजद के कोटे में जाने के बाद से ही पप्पू यादव लगातार यही से चुनाव लड़ने की जिद पर अडिग थे और आखिरकार उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में पर्चा भर दिया। इस स्थिति के लिए पप्पू यादव ने पूरी तरह राजद को जिम्मेवार ठहराते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव व तेजस्वी यादव तक पर दगा करने का आरोप लगाया है।
प्रकाश वत्स, पूर्णिया। सीमांचल की हृदयस्थली पूर्णिया में इंडी गठबंधन की गाड़ी अभी से बेपटरी हो चली है। हाल में ही अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने वाले पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के बागावती तेवर की गूंज पटना व दिल्ली में हलचल मचा दी है।
पूर्णिया सीट राजद के कोटे में जाने के बाद से ही पप्पू यादव लगातार यही से चुनाव लड़ने की जिद पर अडिग थे और आखिरकार उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में पर्चा भर दिया। इस स्थिति के लिए पप्पू यादव ने पूरी तरह राजद को जिम्मेवार ठहराते हुए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव व तेजस्वी यादव तक पर दगा करने का आरोप लगाया है।
उनके इस पंच से इंडी गठबंधन का गणित यहां पूरी तरह फंस गया है। इधर, एआइएमआइएम ने इंडी में मचे इस घमासान पर बड़ा दाव खेल दिया है और यहां से अपना प्रत्याशी नहीं दिया है। यह स्थिति भी यहां राजद प्रत्याशी के लिए एक बड़ी मुसीबत होगी।
तीन बार सांसद रहे हैं पप्पू यादव, दो बार जीते निर्दलीय
अल्पसंख्यक बाहुल्य सीमांचल में अन्य सीटों की तरह यहां भी मुस्लिम वोट बैंक इंडी गठबंधन का आधार माना जाता रहा है। राजद के लिए माय समीकरण अभी भी रीढ़ है। इधर, पूर्व सांसद पप्पू यादव इसी आधार वोट बैंक के लिए कांग्रेस में शामिल भी हुए थे और इंडी का उम्मीदवार बनने के प्रति आश्वस्त थे।
इसी बीच यह सीट राजद के हिस्से में चली गई और अब पप्पू यादव निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं। इससे इंडी गठबंधन की गणित पूरी तरह उलझनी तय है। माना जा रहा है कि इस संभावनाओं के चलते ही एक दिन पूर्व ही राजद प्रत्याशी के नामांकन में खुद तेजस्वी यादव भी यहां पहुंचे थे।
तीन बार सांसद रह चुके पप्पू यादव
दरअसल, पप्पू यादव तीन-तीन बार सांसद चुने जा चुके हैं। इसमें दो बार वे निर्दलीय ही चुनाव जीतने में सफल रहे थे। इसका अहम कारण इस आधार वोट बैंक के साथ-साथ अन्य वर्गों में उनकी पकड़ को माना जाता था। वे पहली बार यहां 1991 में निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में ही चुनाव जीते थे।
सन 1996 में वे समाजवादी पार्टी के टिकट पर जरूर चुनाव लड़े, लेकिन सपा की यहां जमीनी पकड़ नहीं के बराबर थी। ऐसे में अघोषित निर्दलीय के रुप में ही उन्हें यहां जीत मिली। तीसरी बार 1999 के चुनाव में भी वे निर्दलीय प्रत्याशी मैदान मारने में सफल रहे थे।
सीमांचल में इंडी के लिए ओवैसी भी बन चुके हैं बड़ी कील
सीमांचल में एआइएमआइएम की एंट्री राजद व कांग्रेस के लिए नयी मुसीबत बन चुकी है। गत विधानसभा चुनाव में ओबैसी की पार्टी से चार विधायक चुने गए थे और इसमें तीन अब राजद में हैं। इस टीस को निकालने के लिए भी ओबैसी द्वारा यहां प्रत्याशी नहीं दिए जाने की बात को जोड़कर देखा जा रहा है।
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