Bihar Election: चुनावी महासंग्राम में फूटेगा मखाना बोर्ड का लावा, किसे मिलेगा फायदा?
बिहार चुनाव में मखाना बोर्ड एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे को कैसे उठाते हैं और इससे किसको लाभ होगा। किसानों, व्यापारियों या उपभोक्ताओं में से कौन सबसे अधिक लाभान्वित होगा, यह भविष्य में पता चलेगा। मखाना बोर्ड निश्चित रूप से बिहार चुनाव में एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा होगा।

मनोज कुमार, पूर्णिया। चुनावी महासंग्राम में मखाना बोर्ड का लावा भी जमकर फूटेगा। इसकी पृष्ठभूमि पूर्व में ही तैयार हो गई थी। केंद्र सरकार द्वारा बिहार में मखाना बोर्ड की घोषणा के बाद से ही इसे दरभंगा ले जाने की सूचना मात्र से पूर्णिया समेत सीमांचल की राजनीति गर्म हो गई थी।
बाद में सत्ताधारी दल के कई बड़े नेताओं के बयान आने के बाद मामला शांत पड़ गया था और पूर्णिया में ही इस बोर्ड की स्थापना की प्रतीक्षा की जा रही थी। चुनाव से पूर्व भी इस तरह की कोई घोषणा नहीं होने से फिर यह मुद्दा सुलगने लगा है और चुनाव में इस पर लावा फूटना तय है।
पूर्णिया स्थित भोला पासवान शास्त्री कालेज के विज्ञानियों की साधना से पूर्णिया मखाना उत्पादन व विपणन में सबसे समृद्ध बन गया है। पूरे देश में मखाना का दर पूर्णिया से ही निर्धारित होता है। इधर जब मखाना बोर्ड की घोषणा हुई, तो साथ में यह भी चर्चा शुरू हो गई कि मखाना बोर्ड दरभंगा जा रहा है।
इस पर खूब हंगामा भी हुआ, लेकिन शोर धीमा पड़ता चला गया। मखाना की खेती यहां 12 हजार हेक्टेयर में होती है। यह कोसी, सीमांचल के साथ-साथ मिथिलांचल के लिहाज से भी बड़ा हिस्सा है। मखाना बोर्ड के गठन से यह मखाना खेती का बड़ा हब बन जाएगा।
किसानों का आकर्षण भी इस तरफ बढ़ रहा है और विपक्षी भी यह स्थिति भांप चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 सितंबर को पूर्णिया आए थे, तो उन्होंने मखाना बोर्ड की चर्चा की थी।
लोगों को लगा कि अब मखाना बोर्ड पूर्णिया में ही रहेगा, लेकिन चुनाव की घोषणा तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी है। वोटर आधिकार यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पानी भरे खेत में उतर मखाना को चर्चा में ला दिया था।
विदेशों में पहुंच रहा मखाना
मिथिलांचल का मखाना यूरोप, अमेरिका व खाड़ी देशों में भी जाता है। अब तो कंटेनर के माध्यम से भी निर्यात हो रहा है। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बड़ी जनसंख्या जुड़ कर लाभ कमा रही है। अगर यहां मखाना बोर्ड का गठन होता है तो यहां मखाना उद्योग और संगठित और सशक्त होगा, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। विधानसभा चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
मखाना अनुसंधान की 15 परियोजनाएं संचालित
देश में 90 प्रतिशत मखाना का उत्पादन सीमांचल और मिथिलांचल में होता है। मखाना अनुसंधान एवं विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित कुल 15 परियोजनएं यहां संचालित हैं। पूर्णिया कृषि कालेज के सहयोग से मखाना को जीआइ टैग दिलाया गया।
मखाना व्यापार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरल बनाने के लिए इसे एचएसएन कोड दिलाने में भी पूर्णिया कृषि कालेज का योगदान रहा। मखाना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए मखाना को बिहार कृषि निवेश प्रोत्साहन नीति (बीएआइपीपी) योजना में सम्मिलित किया गया है।
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