बिहार बंगाली समिति ने बांग्ला भाषा की उपेक्षा को लेकर दिया धरना
पूर्णिया। बिहार बंगाली समिति ने बांग्ला भाषा की उपेक्षा को लेकर समिति अध्यक्ष अजय सान्याल की अध्यक्ष्
पूर्णिया। बिहार बंगाली समिति ने बांग्ला भाषा की उपेक्षा को लेकर समिति अध्यक्ष अजय सान्याल की अध्यक्षता में स्थानीय थाना चौक पर धरना दिया। धरना के बाद बांग्ला भाषा की हो रही उपेक्षा को लेकर मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन डीएम को सौंपा गया।
समिति ने कहा कि बिहार शिक्षा परियोजना की ओर से पुस्तक को छापने के लिए मुद्रकों का निर्धारण कर दिया जाता है, परंतु बांग्ला भाषा की किताबें छापने के संबंध में परिषद मौन है। किताबें नहीं छपने से बांग्ला भाषी छात्र अपनी मातृभाषा पढ़ने से वंचित हो रहे हैं। आज बंगला अकादमी भी बंद है। बिहार बोर्ड की परीक्षा में द्वितीय मातृभाषा के रूप में ऐच्छिक विषय में हिदी, संस्कृत, अरबी, फारसी एवं भोजपुरी भाषा का चयन करने की अनुमति है, लेकिन बांग्ला भाषा की नहीं है। अगर बांग्ला भाषा को भी ऐच्छिक और द्वितीय भारतीय भाषा के रूप में पढ़ने की मान्यता होती है, तो गैर-बांग्लाभाषी भी बंगला भाषा को पढ़ सकते हैं। इससे भोजपुरी, मैथिली, मगही समेत अन्य स्थानीय भाषा की तरह बंगला भाषा भी अपने मुख्य जन्मस्थल बिहार में विकसित होगा। समिति के अध्यक्ष अजय सान्याल, सचिव अतनु मित्र एवं उपाध्यक्ष एके बोस ने सीएम से राज्य के बांग्ला भाषी अल्पसंख्यक बच्चों को मातृभाषा पढ़ने के अधिकार से वंचित होने से बचाने एवं तथ्यों पर संज्ञान लेते हुए बांग्ला भाषा को न्याय देने की गुहार लगाई है। इस मौके पर भूपेश चंद्र राय, कार्तिक चंद्र दास, गौरव दास, शुभम दास, मिथुन दास, प्रसेनजीत कुमार दास आदि मौजूद थे।
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