Kojagara Puja 2024: मिथिलांचल में कोजगरा पर्व की धूम, नवविवाहित वरों में उत्साह; ससुराल से मिलेंगे खास तोहफे
कोजगरा पूजा 2024 (Kojgara Puja 2024) की धूम मिथिलांचल में देखने को मिलेगी। नवविवाहित जोड़ों में खासा उत्साह है। लक्ष्मी पूजा की भी धूम रहेगी। आज रात को पूर्णिमा की चांदनी से धरती का सौंदर्य निखर जाता है और देवी महालक्ष्मी धरती पर आती हैं। इस रात को जागने की परंपरा है और नवविवाहितों को ससुराल से कोजगरा का भार-डोर आता है।

सोहन कुमार, बनमनखी (पूर्णिया)। मिथिलांचल का लोक पर्व कोजगरा सहित लक्ष्मी पूजा धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। इसको लेकर नवविवाहित वरों में खासा उत्साह देखा जा रहा है। उधर, लक्ष्मी पूजा को लेकर भी बनमनखी अनुमंडल क्षेत्र काझी लक्ष्मी मंदिर सहित अन्य मंदिर भी सजधज कर तैयार हैं। बुधवार रात में लक्ष्मी मंदिर में माता लक्ष्मी की मूर्ति की पंडित द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ प्राण-प्रतिष्ठा होगी।
कोजगरा रात की क्या है मान्यता?
कोजगरा यानी पूर्णिमा की रात की बड़ी मान्यता है। कहा जाता है कि इस रात दूधिया प्रकाश में दमकते चांद से धरती पर जो रोशनी पड़ती है। उससे धरती का सौंदर्य निखर जाता है। इस रात देवी महालक्ष्मी जो देवी महात्म्य के अनुसार, जगत की अधिष्ठात्री हैं, धरती पर आती हैं। कमल के आसन पर विराजमान होकर मां धरती पर देखती हैं कि उनका कौन भक्त सो रहा है और कौन जग रहा है, इसलिए कोजगरा का शाब्दिक अर्थ को-जागृति है।
इस रात जगने की परंपरा है। यह रात मिथिलांचल में नवविवाहित युवकों को ससुराल से कोजगरा का भार-डोर आता है और एक बार फिर लड़के को वर की तरह सजाया जाता है। जीजा और साला मिलकर कौड़ी या अन्य खेल खेलते हैं।
माथे पर तिलक लगाकर सजाया जाता है दूल्हे को:
कोजागरा की रात नवविवाहित वरों को पूरे मैथिल रीति-रिवाज से माथे पर चंदन-तिलक, आंख में काजल, सिर पर पाग, गले में माला और ससुराल से आये नये वस्त्र को पहनाकर तैयार किया जाता है। घर के आंगन में डाला जिसमें पान-मखान, नारियल, कैला, सुपाड़ी, जनेऊ, मिठाई, कौड़ी और शतरंज होता है, डाला के सामने जिसमें चौमुख दीप प्रज्ज्वलित करके रखा जाता है। एक सिंदूर-पिठार लगी कलश जिसमें जल, आम का पल्लव होता है। फिर पीढ़ी पर पूरब दिशा की ओर मुख करके नवविवाहित वर को बैठाया जाता है।
वर के हाथ में पांच पान-सुपारी, दूब, रंगा हुआ अरवा चावल से पांच ब्राह्मणों द्वारा वैदिक मंत्रों के साथ दूर्वाक्षत दिया जाता है। पांच सुहागिन द्वारा वर को डाला के धान से हींचुमाया जाता है। महिला अपने कुल देवी सहित आदि संस्कारों का मैथिली लोकगीतों से घर-आगन गूंजता है।
नवविवाहित वर को ससुराल से दिया जाता है उपहार:
- नवविवाहित वर का विवाह के बाद का पहला कोजगरा काफी हर्षपूर्वक मनाया जाता है।
- इस दिन वर सहित पूरे परिवार के लिए कन्या पक्ष की ओर से लड़के के लिए भार-दौर (उपहार) आता है।
- लड़के के कोजगरा में उसे अंग वस्त्र सहित जूता, छाता, पान, मखान, मिठाई, दही-चूड़ा आदि ससुराल से मिलता है। फिर वही पान, मखाना और मिठाई को समाज के लोगों को बांटा जाता है।
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