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    आदिवासी बच्चे पढ़ रहे सुबह-शाम, जीविका का प्रयास आया काम

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 27 Apr 2017 05:26 PM (IST)

    पूर्णिया[सूर्य नारायण चौधरी]। अभयराम चकला पंचायत के वार्ड एक एवं दो स्थित उरांव टोला में सूर ...और पढ़ें

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    आदिवासी बच्चे पढ़ रहे सुबह-शाम, जीविका का प्रयास आया काम

    पूर्णिया[सूर्य नारायण चौधरी]। अभयराम चकला पंचायत के वार्ड एक एवं दो स्थित उरांव टोला में सूरज जीविका महिला ग्राम संगठन की दीदियों के प्रयास से अब आदिवासी समुदाय के शिक्षा से वंचित बच्चे सहित स्कूली बच्चे सुबह शाम एकत्रित होकर पढ़ाई करने लगे हैं। दो महीने से बच्चे सुबह तीन घंटे तथा शाम तीन घंटे गांव के ही एक चबूतरा पर बैठकर एक साथ पढ़ाई करते हैं। पढ़ानेवाले कोई सरकारी शिक्षक नहीं बल्कि गांव के ही कुछ शिक्षित बेरोजगारों की टोली है जो बारी-बारी से समय देकर इन बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

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    इस गांव में अधिकांश मेहनत-मजदूरी करनेवाले लोग हैं लिहाजा बच्चों की पढ़ाई के प्रति उतनी गंभीरता नहीं है जितनी रहनी चाहिए। बच्चे स्कूल गए तो गए नहीं गए तो कौन देखता है। माता-पिता मजदूरी करने निकले और बच्चे स्वतंत्र। दिन भर इधर-उधर करना, मछली पकड़ना ही इनकी दिनचर्या बन गई है। इसे देखते हुए महिला ग्राम संगठन की अध्यक्ष सीतया देवी, सचिव मीना देवी एवं कोषाध्यक्ष जया देवी ने कुछ करने की सोची। बताया कि ढाई माह पूर्व 11 समूह से जुड़ी जीविका दीदियों ने इसपर विचार किया और शिक्षा के महत्व से वंचित अभिभावकों व ग्रामीणों की बुलाई गई। बैठक में यह तय हुआ था कि बच्चों को पढ़ाना-लिखाना चाहिए। अध्यक्ष सीतया देवी कहती हैं कि जो पैसे वाले हैं उनके बच्चों को तो अच्छी शिक्षा आसानी से मिल जा रही है लेकिन खासकर आदिवासी समुदाय के गरीब बच्चे कहां जाएंगे। इसके लिए गांव के पढ़े-लिखे लोगों को इन दीदियों ने समझाया और उन्हें पढ़ाने के लिए तैयार किया। जब वे तैयार हो गए तब अभिभावकों को निर्धारित समय बता बच्चों को वहां भेजने के लिए कहा गया। ग्रामीण इसपर तैयार हो गए और दो महीने पूर्व चबूतरा पर बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू हो गया। तब से यहां प्रतिदिन बच्चे आते हैं। जिनके बच्चे नहीं आते उनपर जीविका दीदियां दबाव बनाती हैं। यहां प्रतिदिन तीन घंटे सुबह और तीन घंटे शाम इन बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जा रही है। झांगर टोली के विरेन्द्र उरांव, नागेन्द्र उरांव, पंकज उरांव, शोभा उरांव, मुकेश उरांव, विनोद उरांव व अन्य युवकों के द्वारा बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। ये युवक लगन से बच्चों को पढ़ाते हैं। इसका नियंत्रण व देखरेख नियमित रूप से होता है जो जीविका की दीदियां करती है। झांगर टोला व आसपास के लोगों का कहना है कि जिन बच्चों का समय बाल मजदूरी एवं घरेलू कामों में बीतता था आज वे पढ़ाई कर रहे हैं। जीविका दीदियों की पहल और यहां मुफ्त शिक्षा दे रहे युवकों की चर्चा हर जगह हो रही है।