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    बढ़ती उम्र में हड्डियों की नियमित देखभाल जरूरी

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    Updated: Mon, 30 Jan 2017 03:00 AM (IST)

    पूर्णिया। शारीरिक ढांचा हड्डियों से बना है। इसकी देखभाल अत्यंत आवश्यक है। हड्डियों में

    बढ़ती उम्र में हड्डियों की नियमित देखभाल जरूरी

    पूर्णिया। शारीरिक ढांचा हड्डियों से बना है। इसकी देखभाल अत्यंत आवश्यक है। हड्डियों में पहले का लगा चोट भी बाद में घातक बन जाता है। कमर दर्द जैसी समस्या आम बनती जा रही है। रविवार को दैनिक जागरण कार्यालय में प्रश्न पहर कार्यक्रम में शहर के प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषज्ञ (आर्थोपेडिक सर्जन) डा. केएस आनंद को आमंत्रित किया गया था। एक घंटे के इस कार्यक्रम में दूरभाष पर पाठकों ने डा. आनंद से हड्डी संबंधित समस्या पर प्रश्न पूछे और उसका निदान जाना। डॉ. केएस आनंद ने बताया कि हड्डी के सेहत के लिए उससे काम लेना जरूरी है। उम्र के बढ़ने के साथ हड्डी कमजोर होती है। उसके लिए जागरूक रहने की जरूरत है। पोषक आहार के साथ कैल्सियम की दवा भी ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि हड्डी में चोट लगने पर तुरंत गर्म पानी से नहीं सेंकना चाहिए। गर्म पानी से 48 घंटे बाद ही सेंकना चाहिए। इसमें आइसबैग काफी कारगर होता है। इस दौरान मालिश भी नहीं करना चाहिए। डॉ आनंद ने जन्मजात विकृति के बारे में माता-पिता को सजग रहने की सलाह दी है। उनका कहना है कि अगर पांव के टेढ़ा होने की स्थिति में जन्म के एक सप्ताह में डॉक्टर से मुलाकात करना चाहिए। उस समय इसका इलाज आसान होता है लेकिन समय बीतने के बाद यह समस्या अधिक जटिल हो जाती है। बच्चों में हड्डी संबंधी अन्य बीमारी रिकेट्स है। इस बीमारी में उम्र के मुताबिक बच्चे का शारीरिक विकास नहीं होता है। इसके लिए समय पर डॉक्टर से बच्चे को दिखाना चाहिए। बच्चों को फास्ट फूड नहीं खिलाना चाहिए। उम्र बढ़ने के बाद अस्टियोपोरोसिस के कारण हड्ड़ी कमजोर होती है। इस उम्र में हड्डी का देखभाल जरूरी होता है।

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    इस कार्यक्रम में पाठकों के सवालों का जवाब भी डॉ केएस आनंद ने दिया।

    प्रश्न - मेरा नाम रविश रंजन है। मेरी उम्र 35 साल है। मुझे घुटने एवं कमर में दर्द रहता है।

    उत्तर - अधिक देर खड़े रहने या बैठने से यह समस्या होती है। झुकने का तरीका हमलोगों का गलत होता है। टखने और घुटने के बल पर झुकना सही लेकिन हम कमर भी झुकाते हैं। झुककर अधिक भारी सामान उठाने से भी परेशानी हो सकती है। इसके लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए। उम्र कम है इसलिए लाइफ स्टाइल में थोड़ा बदलाव करने से समस्या खत्म हो सकती है। समस्या अधिक है तो फिजियोथेरेफिस्ट से मिलकर कुछ व्यायाम सीखकर नियमित करने से यह समस्या नहीं रहेगी।

    प्रश्न - मेरा नाम रोहित्सव पप्पू है मेरी पत्नी का सर्जरी से प्रसव हुआ उसके बाद से कमर और पीठ में दर्द रहता है।

    उत्तर - एक भ्रम है कि प्रसव के दौरान सर्जरी में पीठ में सूई देने के बाद उसका दर्द रह जाता है। महिलाओं में प्रसव के बाद पीठ में दर्द का कारण वह नहीं है। प्रसव के बाद पीठ में दर्द रहता है इसके लिए फिजियोथेरेफिस्ट से मिलकर व्यायाम करना चाहिए।

    प्रश्न - मेरा नाम दिलीप राज है मेरी उम्र 35 साल है। दुर्घटना के बाद पैर में रॉड लगाया गया था। घुटने और टखने के बीच दर्द रहता है।

    उत्तर - आपको इसके लिए जल्द ही विशेषज्ञ डॉक्टर से मिलना चाहिए।

    प्रश्न - मेरा नाम सचिन है मेरी उम्र 35 साल है। यूरीक एसिड बढ़ने के कारण मेरे हाथ-पैर में दर्द रहता है।

    उत्तर - यूरीक एसिड प्रोटीन के टूटने के बाद अवशिष्ट तत्व होता है। इसके बढ़ जाने के बाद हाथ और पैर में दर्द हो जाता है। कभी-कभी चलना भी मुश्किल हो जाता है। इसके लिए दवा के साथ खानपान में विशेष ध्यान रखना चाहिए। मांस, मछली, दाल सोयाबीन में प्रोटीन अधिक होता है इसलिए ज्यादा प्रोटीनयुक्त आहार लेना बंद करें। इसका ख्याल नियमित रखना होगा। ऐसा नहीं है जब यूरीक एसिड नियंत्रित है तो प्रोटीन युक्त आहार अधिक खाने लगें। इसका ख्याल हमेशा रखना चाहिए और नियमित व्यायाम जरूर करना चाहिए। मॉर्निंग वॉक कई बीमारियों से बचने का उपाय है।

    प्रश्न - मेरा नाम राजेश कुमार है मेरी उम्र 30 साल है। गर्दन में दर्द रहता है।

    उत्तर - डॉक्टर से मिले और एक्स रे करवा लें। उसमें अगर कोई समस्या होगी पता चल जाएगा। फिजियोथरेफिस्ट से मिलकर नियमित व्यायाम जरूर करें। सोने वक्त पतला तकिया लें। अधिक गद्दे वाले विस्तर पर नहीं सोयें।

    प्रश्न - मेरा नाम अनिल है मेरी उम्र 39 साल है। मुझे घुटने में दर्द रहता है।

    उत्तर - आप डॉक्टर से मिलकर एक्स रे करवा लें।

    प्रश्न - पैर में काफी पहले चोट लगी थी। एक्स रे करने पर सबकुछ ठीक पाया गया। दर्द अभी भी रहता है सूजन भी है।

    उत्तर - लिगामेंट इंजरी में ऐसा होता है। हड़्डी नहीं टूटने के बाद भी परेशानी बनी रहती है। इसके लिए आर्थोपेडिक सर्जन से मिलना चहिए। क्लिनिकल टेस्ट के बाद एमआरआइ करा लेना चाहिए।