Pappu Yadav: सांसद बनते ही फंस गए पप्पू यादव! 1 करोड़ की रंगदारी मामले में FIR दर्ज
पूर्णिया के नवनिर्वाचित सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव व एक अन्य पर एक करोड़ की रंगदारी मांगने की प्राथमिकी दर्ज हुई है। मुफस्सिल थाना क्षेत्र के एक फर्नीचर व्यवसायी ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। सांसद ने कहा- आरोप निराधार बदनाम करने की हो रही साजिश। बता दें कि पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव जीते हैं।
जागरण संवाददाता, पूर्णिया। पूर्णिया के नवनिर्वाचित सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के खिलाफ सोमवार को मुफस्सिल थाना में एक करोड़ की रंगदारी मांगने की प्राथमिकी दर्ज हुई है। प्राथमिकी में अमित यादव को भी नामजद किया गया है और उन्हें सांसद का खास बताया गया है।
शहर के बाईपास स्थित मां फर्नीचर के मालिक ने यह प्राथमिकी दर्ज कराई है। प्राथमिकी में एक करोड़ नहीं देने पर पूर्णिया छोड़कर चले जाने व जान से मारने की धमकी देने की बात कही गई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
व्यवसायी ने क्या आरोप लगाया?
व्यवसायी ने दर्ज प्राथमिकी में वर्ष 2021 व वर्ष 2023 में भी रंगदारी मांगने का आरोप लगाया है। व्यवसायी ने कहा है कि सर्वप्रथम दो अप्रैल 2021 खुद वर्तमान सांसद द्वारा उनसे दस लाख की रंगदारी मांगी गई। इसी तरह वर्ष 2023 में दुर्गा पूजा के दौरान मोबाइल व वॉट्सऐप कॉल पर 15 लाख रुपये व दो सोफा सेट मांगा गया।
इस दौरान धमकी भी दी गई और गाली-गलौज भी किया गया। लोकसभा चुनाव के दौरान छह अप्रैल 2024 को सांसद पप्पू यादव के खास सह मधेपुरा निवासी अमित यादव मोबाइल पर करीब दस से 15 काल कर सांसद के कार्यालय सह आवास पर पहुंचने व 25 लाख रुपये रंगदारी की मांग की गई। इधर, चार जून को मोबाइल संख्या 9990002432 से फर्नीचर व्यवसायी के नंबर पर फोन कर यह धमकी दिया गया कि अगर पांच साल पूर्णिया में रहना है तो एक करोड़ देना पड़ेगा।
सिर्फ बदनाम करने की साजिश, जरूरत हुई तो जाएंगे कोर्ट: पप्पू
रंगदारी की प्राथमिकी दर्ज होने पर नवनिर्वाचित सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि यह सिर्फ उन्हें बदनाम करने की एक साजिश है। उन्होंने इस मामले में पुलिस अधीक्षक से भी दूरभाष पर बात की है और इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने का आग्रह किया है। अगर पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं करती है तो वे कोर्ट भी जाएंगे।
उन्होंने कहा कि जिस अमित यादव का उल्लेख्य किया गया है, उन्हें वे जानते तक नहीं है। दूर-दूर तक उनका कोई नाता नहीं है। इधर पुलिस को पहले मामले की जांच करनी चाहिए। पुलिस को जांच में अगर कोई तथ्य मिलता तो फिर प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए थी। यह कार्रवाई बड़ी साजिश का हिस्सा है। इसमें पहले की घटना को जोड़ कहानी गढ़ने का प्रयास किया गया है।
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